UPSC Philosophy Optional Question Paper 2018: प्रश्न पत्र I

खण्ड- A

1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) क्या ह्यूम के लिए इन डॉ सत्यों – ‘कल सूर्योदय होगा’ एकन 2+2=4′ में समान अनिवार्यता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
(b) लाइबनिज जब ‘पूर्व-स्थापित सामंजस्य’ की बात करता है, तब उसके दर्शन में स्वतंत्रता के लिए कोई स्थान है क्या? विवेचना कीजिए।
(c) ‘भाषा एक खेल है’ इसके अनुमोदन में ‘कुल-साम्य’ की संकल्पना विट्गेन्सटाइन की कैसे सहायता करती है? विवेचन कीजिए।
(d) सार्त्र अप्रामाणिकता का आत्मप्रवंचना से कैसे सम्बन्ध स्थापित करता है? सार्त्र यह क्यों दर्शाते हैं कि अप्रामाणिकता एवं आत्मप्रवंचना विसंबंधन की ओर ले जाते हैं? विवेचन कीजिए।
(e) स्ट्रॉसन अपने दर्शन में व्यक्ति (पर्सन) की संकल्पना की व्याख्या किस प्रकार करता है? विवेचन कीजिए ।

2. (a) डेकार्टस, स्पिनोजा और लाइबनिज की द्रव्य की परिभाषाओं एवं वर्गीकरणों में भिन्नता का क्या करण है, इस तथ्य के बावजूद कि वे सभी तर्कबुद्धिवादी सम्प्रदाय से ताल्लुक रखते हैं? विवेचन कीजिए।
(b) ‘बोध प्रकृति का निर्माण करता है’, कान्ट की इस अभ्युक्ति के महत्व की व्याख्या कीजिए। इस बात से आप कहाँ तक सहमत हैं कि हेगेल का निरपेक्षवाद, कान्ट के द्वैतवाद की पराकाष्ठा है? विवेचन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
(c) क्वाइन कैसे दर्शाता है कि कान्ट द्वारा विवेचित प्रागनुभविक ज्ञान का अभिप्राय ‘तत्वमीमांसीय आस्था का एक विषय’ है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

3. (a) बर्कले यह कैसे स्थापित करता है कि केवल मन एवं इसके विचार ही वास्तविक हैं? मूर एवं रसेल, बर्कले के इस मत की कैसे प्रतिक्रिया करते हैं? मूर एवं रसेल की इस प्रतिक्रिया में क्या आपको कोई भिन्नता मिलती है? विवेचन कीजिए।
(b) तार्किक प्रत्यक्षवादी यह कैसे दर्शाते हैं कि तत्वमीमांसीय कथन निरर्थक हैं? क्या उनकी अर्थ के सत्यापन की थियोरी सभी वैज्ञानिक कथनों की सार्थकता हेतु मान्य हो सकती है? विवेचन कीजिए।
(c) दर्शन की अधिकतर निर्णायक समस्याओं के बोध के लिए एकमात्र मार्ग के रूप में विट्गेन्सटाइन ‘जो कहा जा सकता है’ और ‘जिसे दिखाया जा सकता है’ में कैसे भेद करता है? क्या वह औचित्यपूर्ण है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

4. (a) असंबंधन (इपोखे) क्या है? हाइडेगर सांवृतिक (फेनॉमेनॉलॉजिकल) अपचयन की इस विधि को कैसे अस्वीकृत करता है? अनुभवातीत अहं की संकल्पना के विरुद्ध हाइडेगर की ‘जगत में होना’ की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
(b) क्या प्लेटो के प्रत्यय एवं जगत के बीच सम्बन्ध की व्याख्या तार्किक रूप से सुसंगत है? इसके सम्बन्ध में अरस्तू के विचारों की विवेचना कीजिए एवं अपने उत्तर के पक्ष में तर्क भी दीजिए।
(c) रसेल की निश्चायक वर्णन की थियोरी, उसके तार्किक परमाणुवाद से कैसे संबंधित है? विवेचन कीजिए और अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) वैशेषिक दार्शनिक इन डॉ मामलों – (i) टेबल का भूरा (ब्राउन) रंग और (ii) टेबल पर पुस्तक, के बीच संबंधों की भिन्नता की व्याख्या कैसे करते हैं? विवेचन कीजिए।
(b) माध्यमिक बौद्ध अपने ‘शून्यता’ सिद्धांत की स्थापना के लिए ‘प्रतीत्यसमुत्पाद’ सिद्धांत का किस प्रकार अनुप्रयोग करते हैं? विवेचन कीजिए।
(c) अद्वैत वेदान्त दर्शन में ‘ब्रह्म’ की अवर्णनीयता (अनिवर्चनीयता) एवं ‘माया’ की अवर्णनीयता (अनिर्वचनीयता) में क्या भेद है? विवेचन कीजिए।
(d) बौद्ध एवं न्याय दार्शनिक, ‘टेबल पर जार की अनुपस्थिति है’, हमारे इस ज्ञान की व्याख्या किस प्रकार करते हैं? विस्तृत उत्तर दीजिए।
(e) ‘पुरुष’ एक है या अनेक? इस सम्बन्ध में सांख्यसम्मत स्थिति की व्याख्या कीजिए एवं अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए।

6. (a) नैयायिक ईश्वर के अस्तित्व को कैसे सिद्ध करते हैं? क्या योग दार्शनिक ईश्वर को उसी प्रकार सिद्ध करते हैं? यदि हाँ, टो अकिसे? और यदि नहीं, तो क्यों? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
(b) बौद्ध के लिए ‘नैरात्म्यवाद’ एवं ‘निर्वाण’ दोनों सिद्धांतों को एक साठ स्वीकार करना क्या सुसंगत है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
(c) जैन दार्शनिक ‘बंधन’ की व्याख्या कैसे करते हैं? उनके अनुसार ‘मुक्तात्मा’ एवं बद्दात्मा’ में क्या बिनन्त है? ‘मुक्तात्मा’ की अवस्था के विषय में जैनियों का क्या विचार है? विवेचन कीजिए।

7. (a) ‘विशिष्टताद्वैत’, ‘द्वैत’, ‘शुद्धाद्वैत’ एवं ‘अचिंत्यभेदाभेद’ दर्शनों में पाई जाने वाली ‘मोक्ष’ की संकल्पना का एक तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(b) अद्वैत वेदन्ती सांख्य दर्शन के ‘प्रकृतिपरिणामवाद’ की कैसे प्रतिक्रिया करता है? इस सम्बन्ध में सांख्य दर्शन अपनी स्थिति का किस प्रकार बचाव करते हैं? विवेचन कीजिए।
(c) शंकर द्वारा प्रतिपादित ‘माया’ के सिद्धांत का रामानुज कैसे खंडन करते हैं? रामानुज एवं शंकर दोनों को अपने-अपने सिद्धांतों की स्थापना के लिए ‘माया’ की क्यों आवश्यकता है? विवेचन कीजिए।

8. (a) क्या ‘स्वयंप्रकाशवाद ‘ की स्वीकृति अनिवार्यतः ‘स्वतःप्रमान्यवाद’ की स्वीकृति उत्पन्न करती है? इस संदर्भ में नैयायिकों, मीमांसकों एवं अद्वैत वेदांतियों के मतों का वर्णन कीजिए।
(b) क्या चावार्क द्वारा अनुमान का खंडन अन्य भारतीय दर्शन-संप्रदायों को स्वीकार है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या आपके विचार में अन्य संप्रदायों के विचार औचित्यपूर्ण हैं? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
(c) श्री अरविन्द के अनुसार विकास क्या है? उनके दर्शन में वर्णित त्रिविध रूपांतरण के प्रक्रम और प्रज्ञानी प्राणी के स्वरूप का विवेचन कीजिए।


UPSC Philosophy Optional Question Paper 2018: प्रश्न पत्र II

खण्ड- A

1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) उदारवादी लोकतंत्र से क्या अभिप्राय है? क्या सामाजिक संसक्ति का वैयक्तिक अधिकारों की अपनी प्रबल अभिपुष्टि के साथ संतुलन बैठाने के लिए, इसको अपेक्षाकृत अधिक गहन सिद्धांतों की आवश्यकता है? भारतीय संदर्भ से कारण प्रस्तुत कीजिए।
(b) क्या आप इस मत का समर्थन करते हैं कि भारतीय सांस्कृतिक पहचान के लिए, बहुसंस्कृतिवाद के सिद्धांतों तथा प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा के प्रति आदरभाव का समाकलन करने की आवश्यकता है? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(c) यह कहा जाता है कि भारत के सामाजिक व्यवहार पर जाति-आधारित अमूहों की पारंपरिक पकड़, विकल्पी पहचानों का निर्माण करने के सभी प्रयासों के बावजूद, बनी रही है। मोहनदास करमचंद गांधी के आलोक में चर्चा कीजिए।
(d) ‘दंड-नीति’ के आलोक में, कौटिल्य की संप्रभुता की संकल्पना पर चर्चा कीजिए।
(e) भारत के लोकतंत्र में भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए आप क्या उपाय सुझाते हैं>

2. (a) स्वतंत्रता और समता को किस सीमा तक लोकतंत्र के विशिष्ट अभिलक्षणो के रूप में माना जा सकता है? विवेचना कीजिए।
(b) संप्रभुता पर लास्की के विचार का, राजनीतिक थियोरी में क्या एक संतोषजनक स्थिति के रूप में, समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
(c) क्या आप अराजकतावादियों की राजनीतिक विचारधारा का समर्थन करते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।

3. (a) बहुसंस्कृतिवाद से आप क्या समझते हैं? वैश्वीकरण और बहुसंस्कृतिवाद किस प्रकार एक-दूसरे से संबंधित हैं? इनका संबंध किस प्रकार सांस्कृतिक परिवर्तनों को प्रभावित करता है?
(b) क्या मार्क्सवादी समाजवाद और वैयक्तिक स्वतंत्रता सुसंगत हैं? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए।
(c) वर्तमान काल के संदर्भ में, मानवतावाद के किस रूप को, आप प्रासंगिक मानते हैं? विस्तार से विवेचना कीजिए।

4. (a) “मानव अधिकार और मानव गरिमा अब भविष्य में किसी एक विशेष संस्कृति की उपज नहीं होंगे, बल्कि वे एक आदर्श विश्व के लिए सामूहिक मानवीय अभिलाषा की उपज होंगे।” चर्चा कीजिए।
(b) स्त्री-भ्रूणहत्या के संदर्भ में, स्त्री-पुरुष भेदभाव का आप लिस प्रकार मूल्यांकन करते हैं? विवेचना कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) किस अर्थ में, भाषा का धर्मनिरपेक्ष उपयोग भाषा के धार्मिक उपयोग से भिन्न है? चर्चा कीजिए।
(b) यह तर्क प्रस्तुत करना कि पुनर्जन्म की संकल्पना पर ईश्वर-विरोधी धार्मिक विचार दार्शनिक रूप से महत्वपूर्ण है, किस सीमा तक युक्तिसंगत है?
(c) क्या आप ईश्वरविहीन धर्म को उचित सिद्ध कर सकते हैं? अपने उत्तर के लिए समर्थन (आधार) प्रस्तुत कीजिये ।
(d) क्या कोई यह दावे के साथ कह सकता है कि ‘धार्मिकता’ और ‘अनैतिकता’ के बीच अंतःसंबंध है? विवेचना कीजिए।
(e) क्या हिन्दू धर्म बहुदेववादी है? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।

6. (a) विभिन्न धर्मों के परस्पर-विरोधी सत्यता दावों के संबंध में अनन्यता, समवेशिता और बहुतत्ववाद के बीच विभेदन कीजिए।
(b) “सत्य एक है, फिर भी लोग इसको अलग-अलग रूपों में अनुभव करते हैं।” आधुनिक भारतीय संदर्भ को ध्यान में रखते हुए इसका समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
(c) क्या ईश्वर की संकल्पना के लिए ईश्वर का अस्तित्व आवशीन है? सत्तामूलक (प्रत्यय-सत्ता) युक्ति के संदर्भ से परीक्षण कीजिए।

7. (a) ‘पवित्र’ और ‘पावन’ शब्द धर्म के उद्देश्य के लिए जातिवाचक नाम के तौर पर इस्तेमाल किए जाने लगे हैं। क्या आप सहमत हैं कि धर्म के उद्देश्य (विषय-वस्तु) के रूप में, ईश्वर को स्वीकारा जा सकता है? विवेचना कीजिए।
(b) धार्मिक भाषा की ब्रेथवेट की असंज्ञानात्मक थियोरी का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) मोक्ष प्राप्ति के पथ के रूप में, भक्ति की संकल्पना का मूल्यांकन कीजिए।

8. (a) संत थॉमस एक्विनास के ईश्वरीय ज्ञान के पाँच मार्गों की भारतीय दर्शन के न्याय संप्रदाय के ईश्वर के अस्तित्व के तर्कों के साथ तुलना कीजिए।
(b) जगत के सृष्टिकर्ता के रूप में, ईश्वर के अस्तित्व के विरुद्ध, बौद्धमत के तर्कों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
(c) धार्मिक प्रतीतों के वैशिष्ट्य के विश्वतीत संदर्भ के रूप में महत्व को स्पष्ट कीजिए, जो सांस्कृतिक, आकाशीय व पार्थिव जगत में मध्यस्थता स्थापित करते हैं।


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