UPSC Hindi Literature Optional Paper-1 2020: हिंदी साहित्य प्रथम प्रश्न पत्र

खण्ड ‘A’

1. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए :

(a) अपभ्रंश और प्रारम्भिक हिन्दी के व्याकरणिक स्वरूप में प्रमुख अंतर
(b) खड़ी बोली के विकास में संत साहित्य की भूमिका
(c) तकनीक की भाषा के रूप में हिन्दी का विकास
(d) हिन्दी के स्वरूप-निर्धारण में भारतेन्दु युग का योगदान
(e) देवनागरी लिपि का मानक स्वरूप

2. (a) मानक हिन्दी की व्याकरणिक विशेषताएं बताइए।
(b) स्वातंत्रयोत्तर भारत की संवादी भाषा के रूप में हिन्दी के प्रयोग की चुनौतियाँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
(c) सूफी कवियों द्वारा प्रयुक्त अवधी के स्वरूप पर विचार कीजिए।

3. (a) उन्नीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली की प्रतिष्ठा के प्रमुख कारण क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
(b) भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिन्दी के प्रयोग की प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
(c) खुसरो द्वारा प्रयुक्त खड़ी बोली के स्वरूप का विवेचन कीजिए।

4. (a) स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अहिन्दी भाषी व्यक्तियों के योगदान की चर्चा कीजिए।
(b) ब्रज और खड़ी बोली का अन्तः संबंध बताइए।
(c) ज्ञान-विज्ञान की हिन्दी के विकास में पारिभाषिक शब्दावली क्यों आवश्यक है? समझाइए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए :

(a) हजरी प्रसाद द्विवेदी के साहित्य के इतिहास-लेखन की दृष्टि
(b) सिद्ध और नाथ साहित्य का परवर्ती हिन्दी साहित्य पर प्रभाव
(c) समकालीन चिंतकों की दृष्टि में कबीर का साहित्य
(d) भारतेन्दु के नाट्य-कर्म की लोकोन्मुखता
(e) डॉ. नगेन्द्र का हिन्दी आलोचना को योगदान

6. (a) प्रसाद के नाटकों में व्यक्त राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना को स्पष्ट कीजिए।
(b) “भारतीय नवजागरण हिन्दी गद्य के विकास की आधार-भूमि है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
(c) घनानन्द की कविता में व्यक्त स्वानुभूति और स्वच्छंदता का विवेचन कीजिए।

7. (a)भीष्म साहनी के उपन्यासों में निहित सामाजिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
(b) हिन्दी रंगमंच के विकास में मोहन राकेश का योगदान बताइए।
(c) रामचन्द्र शुक्ल की आलोचना-दृष्टि पर स्वाधीनता आंदोलन के प्रभाव की चर्चा कीजिए।

8. (a) कुबेरनाथ राय के ललित निबंधों के सांस्कृतिक पक्ष पर विचार कीजिए।
(b) कृष्णा सोबती के कहानी-लेखन में स्त्री-विमर्श का संदर्भ बताइए।
(c) हिन्दी की व्याकरणिक आलोचना का विवेचन कीजिए।


UPSC Hindi Literature Optional Paper-2 2020: हिंदी साहित्य द्वितीय प्रश्न पत्र

खण्ड ‘A’

1. निम्नलिखित काव्यांशों की लगभग 150 शब्दों में ऐसी व्याख्या कीजिए की इसमें निहित काव्य-मर्म भी उद्घाटित हो सके :
(a) कबीर प्रेम न चषिया, चषि न लीया साव ।
सूनें घर का पांहुणा , ज़्यूं आया त्यूं जाव ।।
कबीर चित चमंकिया, चहुं डिसि लागी लाई ।
हरि सुमिरण हाथूं घड़ा, बेगे लेहु बुझाइ ।।

(b) खेलन सिखए,अलि, भलै चतुर अहेरी मार ।
कानन-चारी नैन-मृग नागर नरनु सिकार ।।
लग्यो सुमनु ह्वै है सफलु, आतप-रोसु निवारि ।
बारी,बारी आपनी सींचि सुहृदता-बारि ।।

(c) जिसकी प्रभा के सामने रवि-तेज भी फीका पड़ा,
अध्यात्म विद्या का यहाँ आलोक फैला था पड़ा!
मानस-कमल सबके यहाँ दिन-रात रहते थे खिले,
मानो सभी जन ईश की ज्योतिश्छ्टा में थे मिले।।

(d) शोषण की श्रृंखला के हेतु बनती जो शांति,
युद्ध है, यथार्थ में, व’ भीषण अशान्ति है;
सहना उसे हो मौन, हार मनुजत्व की है,
ईश की अवज्ञा घोर, पौरुष की श्रांति है;
पातक मनुष्य का है, मरण मनुष्यता का,
ऐसी शृंखला में धर्म विप्लव है, क्रांति है।

(e) अलस अंगड़ाई लेकर मानो जाग उठी थी वीणा :
किलक उठे थे स्वर-शिशु।
नीरव पद रखता जालिक मायावी
सधे करों से धीरे-धीरे
डाल रहा था जाल हेम तारों का।

2. (a) ‘कवितावली’ में निहित युगीन संदर्भों का सोदाहरण विवेचन कीजिए।
(b) “‘पद्मावत’ में आध्यात्मिक प्रेम की झाँकियाँ विद्यमान हैं।” इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? सोदाहरण समझाइए।
(c) ‘मुक्तिबोध अपनी कविता में एक सच्चा-खरा और संघर्षशील संसार रचते हैं।’ इस कथन की समीक्षा कीजिए।

3. (a) “‘कुरुक्षेत्र’ एक साधारण मनुष्य का शंकाकुल हृदय है, जो मस्तिष्क के स्तर पर चढ़कर बोल रहा है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
(b) ‘प्रसाद मूलतः प्रेम और सौन्दर्य के कवि हैं।’ इस कथन के आधार पर ‘कामायनी’ में अभिव्यक्त प्रेम एवं सौन्दर्य का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
(c) ‘सूरदास में जितनी सहृदयता और भावुकता है, प्रायः उतनी चतुरता और वाग्विदग्धता भी है।’ ‘भ्रमरगीत-सार’ के पारिप्रेक्ष्य में विवेचना कीजिए।

4. (a) कबीरदास के रचना संसार में निहित समाज-चिंता पर प्रकाश डालिए।
(b) ‘राम की शक्तिपूजा’ एक पराजित मन और दूसरे अपराजित मन के अस्तित्व की अनुभूति है। इस कथन की व्याख्या करते हुए निराला के काव्य का मूल्यांकन कीजिए।
(c) नागार्जुन की कविता में प्रकृति वर्णन का विवेचन कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए और उसका भाव-सौन्दर्य प्रतिपादित कीजिए। (प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में)

(a) इस गतिशील जगत में परिवर्तन पर आश्चर्य ! परिवर्तन रुका की महापरिवर्तन – प्रलय हुआ ! परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है। स्थिर होना मृत्यु है, निश्चेष्ट शांति मरण है। प्रकृति क्रियाशील है। समय पुरुष और स्त्री की गेंद लेकर दोनों हाथ से खेलता है।
(b) राजनीति साहित्य नही है। उसमें एक एक क्षण का महत्व है। कभी एक क्षण भी स्खलित हो जाए, तो बड़ा अनिष्ट हो सकता है। राजनीतिक जीवन की धुरी में बने रहने के लिए व्यक्ति को बहुत जागरूक रहना पड़ता है।
(c) यदि प्रेम स्वप्न है, तो श्रद्धा जागरण है। प्रेम प्रिय को अपने लिए और अपने को प्रिय के लिए संसार से अलग करना चाहता है। प्रेम में केवल दो पक्ष होते हैं और श्रद्धा में तीन। प्रेम में कोई मध्यस्थ नहीं पर श्रद्धा में मध्यस्थ अपेक्षित है।
(d) मैं प्रेम को संदेह से ऊपर समझती हूँ। वह देह की वस्तु नही, आत्मा की वस्तु है। संदेह का वहाँ जरा भी स्थान नहीं और हिंसा तो संदेह का ही परिणाम है। वह सम्पूर्ण आत्म-समर्पण है। उसके मंदिर में तुम परीक्षक बनकर नहीं, उपासक बनकर ही वरदान पा सकते हो।
(e) और यह राजधानी ! जहां सब अपना है, अपने देश का है….. पर कुछ भी अपना नहीं है, अपने देश का नहीं है। तमाम सड़कें हैं, जिन पर वह जा सकता है, लेकिन वे सड़कें कहीं नहीं पहुंचाती। उन सड़कों के किनारे घर हैं, बस्तियां हैं पर किसी भी घर में वह नहीं जा सकता।

6. (a) “‘भारत दुर्दशा’ नाटक में व्यंग्य को एक जबरदस्त हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गयाहै।” स्पष्ट कीजिए।
(b) “‘दिव्या’ ऐतिहासिक पृष्टभूमि में व्यक्ति और समाज की प्रवृत्ति और गति का चित्र है।” इस कथन का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए।
(c) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित निबंध ‘कुटज’ का तात्विक विवेचन कीजिए।

7. (a) ‘कविता क्या है’ निबंध के आधार पर कविता के संबंध में निबंधकार के विचारों का विवेचन कीजिए।
(b) ‘प्रसाद के नाटक भारत के इतिहास का पुनर्निर्माण करते हैं।’ ‘स्कंधगुप्त’ नाटक के संदर्भ में इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(c) ‘मैला आँचल’ के आधार पर उपन्यासकार की जीवनदृष्टि का परिचय दीजिए।

8. (a) “‘आषाढ़ का एक दिन’ का कालिदास दुर्बल नही है; कोमल, अस्थिर और अंतर्द्वंद्व से पीड़ित है।” इस कथन की सप्रमाण संपुष्टि कीजिए।
(b) “‘गोदान’ भारतीय कृषि जीवन का ज्वलंत दस्तावेज है।” इस कथन की सोदाहरण समीक्षा कीजिए।
(c) ‘भोलाराम का जीव’ के माध्यम से हरिशंकर परसाई की व्यंग्य चेतना पर प्रकाश डालिए।


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