भारत में आर्यों का विस्तार।
वैदिक काल: धार्मिक और दार्शनिक साहित्य;
ऋग्वैदिक काल से उत्तर वैदिक काल तक परिवर्तन;
राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन;
वैदिक युग का महत्व; राजतंत्र एवं वर्ण व्यवस्था का विकास।
- ऋग्वैदिक लोगों को ज्ञात भौगोलिक क्षेत्र की चर्चा करें। क्या वे समुद्र से परिचित थे?(1985)
- प्रारंभिक वैदिक काल की राजनीतिक व्यवस्था में लोकतांत्रिक तत्वों पर 200 से अधिक शब्दों के लघु निबंध लिखें।(1986)
- सिंधु घाटी (हड़प्पा) के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक जीवन की तुलना प्रारंभिक वैदिक लोगों के जीवन से करें और सिंधु और प्रारंभिक वैदिक संस्कृतियों के सापेक्ष कालक्रम पर चर्चा करें।(1987)
- ऋग्वैदिक समाज में महिलाओं की स्थिति पर 200 से अधिक शब्दों के लघु निबंध लिखें।(1988)
- वैदिक युग में धार्मिक विचारों और अनुष्ठानों के विकास पर संक्षेप में चर्चा करें। क्या वे सिंधु सभ्यता के धर्म के साथ कोई समानता दर्शाते हैं?(1989)
- उत्तर वैदिक काल में सामाजिक व्यवस्था का निरूपण, इस पर 200 से अधिक शब्दों के लघु निबंध लिखें।(1990)
- ‘सिंधु सभ्यता का उद्भव अचानक नहीं हुआ।’ कथन पर चर्चा करें. भौगोलिक विस्तार और कालक्रम की दृष्टि से सिंधु सभ्यता, वैदिक सभ्यता के संबंध में किस प्रकार ठहरती है?(1990)
- सिंधु घाटी और वैदिक संस्कृतियों के बीच अंतर और समानता का विश्लेषण करें।(1992)
- स्थलीय क्षेत्र के वैदिक देवता पर संक्षिप्त निबंध लिखें:।(1993)
- प्रारंभिक वैदिक और उत्तर वैदिक संस्कृतियों के बीच परिवर्तन और निरंतरता के तत्वों को सामने लाएँ।(1993)
- 2000 ई.पू. और सी। 500 ई.पू. सी के बीच डेटा योग्य भारतीय उपमहाद्वीप की महत्वपूर्ण पुरातात्विक संस्कृतियों की विशिष्ट विशेषताओं का वर्णन करें। (1995)
- वैदिक साहित्य पर संक्षिप्त निबंध लिखें।(1995)
- वैदिक अनुष्ठानों पर संक्षिप्त निबंध लिखिए।(1997)
- उत्तरवैदिक आर्यों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण दीजिए। उनके राजनीतिक और आर्थिक जीवन को बदलने में लोहे ने क्या भूमिका निभाई?(1998)
- उत्तर वैदिक काल के लोगों के सामाजिक जीवन का वर्णन करें। यह ऋग्वैदिक जीवन से किस प्रकार भिन्न था?(2004)
- वैदिक धर्म को समझने के विभिन्न दृष्टिकोणों का मूल्यांकन करें।(2009)
- इस दृष्टिकोण का परीक्षण करें कि वैदिक भारत में बलिदान एक अनुष्ठान और सामाजिक आदान-प्रदान का एक रूप था।(2010)
- वैदिक देवताओं के वैचारिक आधार का मूल्यांकन करें।(2011)
- वैदिक स्रोतों से मानव आवासों के विषय में जो सूचना प्राप्त होती है उसके विषय में विभिन्न मतों की समीक्षा कीजिए। (2013)
- “वर्ण अवधारणा सदैव ही अधिकांश रूप से सैद्धांतिक प्रतिमान रहा है तथा कभी भी समाज का वास्तविक वर्णन नहीं।” प्राचीन भारत के संदर्भ में टिप्पणी कीजिए। (2013)
- “उपनिषदों के सिद्धान्त वैदिक चिन्तन का निष्कर्ष प्रस्तुत करते हैं।” विवेचना कीजिए। (2014)
- “पुरातत्व-विज्ञान आर्यों को नही जनता है; केवल साहित्य ही आर्यों को जनता है।” अमलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (2015)
- पूर्व वैदिक समाज के समतावादी स्वरूप में, उत्तर वैदिककाल के दौरान किस प्रकार से परिवर्तन हुए थे? (2016)
- नवीनतम खोजों के प्रकाश में वैदिक-हड़प्पाकालीन सम्बन्धों पर विभिन्न मतों का समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिए। (2017)
- परीक्षण कीजिए कि ऋग्वैदिक से उत्तर-वैदिक काल तक वरन् व्यवस्था के रूपान्तरण ने स्त्रियों की स्थिति को किस प्रकार प्रभावित किया।(2019)
- हड़प्पा संस्कृति के लिए कोई साहित्यिक स्रोत नहीं हैं एवं वैदिक काल के लिए कोई पुरातात्विक साक्ष्य नहीं हैं। इस तथ्य की व्याख्या कीजिए।(2019)
- वैदिक धर्म को पुनर्जीवित और लोकप्रिय बनाने में पुराण नवप्रवर्तनकारी साहित्यिक शैली थे। सोदाहरण विस्तार कीजिए। (2020)
- ऋग्वेद में उल्लिखित धर्म के स्वरूप और देवताओं के वर्गीकरण पर प्रकाश डालिए। (2020)
- क्या आप मानते हैं कि उपनिषदीय सिद्धांत वैदिक धार्मिक विचारों की उच्च स्थिति को मूर्त रूप देते हैं? टिप्पणी कीजिए। (2021)