UPSC Sociology Optional Question Paper 2017: प्रश्न पत्र I

खण्ड- A

1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(a) स्पष्ट कीजिए कि समाजशास्त्र किस प्रकार से तर्कबुद्धिवाद व वैज्ञानिक मिजाज पर आधारित एक सुस्पष्ट विषय के रूप में उभर कर आया है।
(b) प्रत्यक्षवाद की मीमांसा के रूप में नृजातिप्रणाली वैज्ञानिक और घटनावैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यों का परीक्षण कीजिए।
(c) समाजशास्त्रीय अनुसंधान में चरों (वेरिएबल्स) के महत्व को, उदाहरण सहित, समझाए।
(d) टैलकोट पार्संस के ‘पैटर्न चरों’ की संकल्पना का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
(e) क्या हम ‘गरीबी’ को ‘गरीब जीवन-निर्वाह’ के बराबर मान सकते हैं? अपना विस्तृत उत्तर दीजिए।

2. (a) समाजशास्त्र विषय के अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ बदलते हुए समीकरणों पर चर्चा कीजिए।
(b) प्रत्यक्षवाद और उत्तर-प्रत्यक्षवाद के आधारिक अभ्युपगमों का परीक्षण कीजिए।
(c) समाजशास्त्र में व्याख्यात्मक परिप्रेक्ष्य के मुख्य सिद्धांतों का विस्तृत विवेचना कीजिए।

3. (a) इमाईल दुर्खीम के द्वारा ‘आत्महत्या’ के अपने अध्ययन में अपनाई गई सुस्पष्ट समाजशास्त्रीय विधि की चर्चा कीजिए।
(b) हेगेलीय द्वन्द्वात्मक पद्धति की मीमांसा के रूप में ऐतिहासिक भौतिकवाद की मार्क्सवादी संकल्पना का विश्लेषण कीजिए।
(c) सामाजिक अनिसंधान की गुणात्मक विधियों के ज्ञानमीमांसीय आधारों का परीक्षण कीजिए।

4. (a) सामाजिक स्तरीकरण के मार्क्सवादी अभिप्राय की वेबरीय समालोचना क्या है?
(b) सामाजिक स्तरीकरण के मुख्य आयामों के रूप में लिंग, नृजातीयता और प्रजाति (रेस) का परीक्षण कीजिए।
(c) असमता पर समाजशास्त्रीय अनुसंधान के संदर्भ में, विश्वसनीयता और प्रामान्यता की समस्या को हम किस प्रकार से हल कर सकते हैं?

खण्ड ‘B’

5. (a) ‘मजदूरों के अनौपचारिकरण’ से आप क्या समझते हैं? भारत के विशेष संदर्भ में, अपना उत्तर लिखिए।
(b) आजादी के बाद के भारत में राज्य और नागरिक समाज के बीच बदलते हुए आमना-सामना (इंटरफ़ेस) पर चर्चा कीजिए।
(c) धर्म के समाजशास्त्र में, ‘पवित्र’ और ‘लौकिक’ के दुर्खेमीय अभिप्राय का एक आकलन प्रस्तुत कीजिए।
(d) समकालीन भारत में लिंग पर आधारित श्रमविभाजन के रूप में ‘पितृसत्तात्मक सौदाकारी’ का परीक्षण कीजिए।
(e) सामाजिक परिवर्तन के एक अभिकर्ता के रूप में, जनसम्पर्कमाध्यम (मास मीडिया) की भूमिका का आकलन कीजिए।

6. (a) पूंजीवादी समाज में, गत वर्षों में श्रम के संगठन की परिवर्तनशील प्रकृति की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
(b) ‘नव सामाजिक आंदोलनों’ में नया क्या है? भारत के विशेष संदर्भ में, इसके उत्तर को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
(c) बहुदलीय राजनीतिक प्रणाली में, दबाव गुटों की गत्यात्मकता की जाँच कीजिए।

7. (a) विवाह में समकालीन प्रवृत्तियों व परिवार के बदलते रूपों के बीच संबंध का परीक्षण कीजिए।
(b) भारतीय समाज में, नातेदारी प्रणाली की प्रादेशिक भिन्नताओं पर चर्चा कीजिए।
(c) वर्तमान संदर्भ में, धर्म-निरपेक्षता की संकल्पना में समस्याओं का विश्लेषण कीजिए।

8. (a) सामाजिक परिवर्तन की कीन्ही दो थियोरियों का विस्तारपूर्वक परीक्षण कीजिए।
(b) सामाजिक परिवर्तन को उत्पन्न करने में विज्ञान व प्रौद्योगिकी की भूमिका का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
(c) भारतीय समाज में प्रचलित विभिन्न प्रकारों की धार्मिक रीतियों का विस्तृत वर्णन कीजिए।


UPSC Sociology Optional Question Paper 2017: प्रश्न पत्र II

खण्ड- A

1. निम्नलिखित प्रश्नों के समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से संक्षिप्त उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हो:

(a) भारतीय समाज को समझने में एम. एन. श्रीनिवास के द्वारा इस्तेमाल किए गए संरचनात्मक एवं प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य की एक समालोचना लिखिए।
(b) वर्तमान समय में अन्तर्जातीय सम्बन्धो में ‘सोपान’ के सिद्धांत या ‘विभेद’ के सिद्धांत में से कौन सा अधिक महत्वपूर्ण है?
(c) भारत में इस्लाम का जिस प्रकार आचरण किया जाता है, उसके सुस्पष्ट अभिलक्षण क्या हैं, और समय के साथ उनमें किस प्रकार परिवर्तन आया है?
(d) अस्पृश्यता के विरुद्ध संघर्ष, गाँधीवादी से अंबेड़करवादी स्थितियों तक, अपने रूपों एवं परिप्रेक्ष्यों में किस प्रकार परिवर्तित हुए हैं?
(e) ‘उत्पादन के परिवर्तनशील साधन और बढ़ी हुई ग्रामीण गरीबी’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

2. (a) भारत में औपनिवेशिक शासन के दौरान सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों के मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म का सुधार करना और उसका संश्लेषीकरण थे। ऐसे कीन्ही दो महत्वपूर्ण आंदोलनों पर लिखिए।
(b) भारतीय परंपरा के आधुनिकीकरण पर योगेंद्र सिंह के शोध-प्रबंध पर चर्चा कीजिए, और वर्तमान समय के संदर्भ में उसकी अनुप्रयोज्यता का मूल्यांकन कीजिए।
(c) स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक, जाति व्यवस्था के सांस्कृतिक और संरचनात्मक पहलुओं में क्या-क्या परिवर्तन आए हैं?

3. (a) ऋणग्रस्तता किसानों को आत्महत्या तक पहुँचाने वाले चिंताजनक मुद्दों में से एक है। कारणों पर चर्चा कीजिए और समाधानों को सुझाइए।
(b) ‘घर’ और ‘परिवार’ के बीच विभेद को सुस्पष्ट कीजिए और मूल्यांकन कीजिए कि संयुक्त परिवार पूर्णतः विघटित हो गए हैं अथवा नहीं ।
(c) उत्तर भारतीय नातेदारी व्यवस्था की दक्षिण भारतीय नातेदारी व्यवस्था के साथ तुलना कीजिए।

4. (a) विशिष्ट प्रदेशों से उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, ‘प्रमुख जाति’ और ‘वोट बैंक’ की संकल्पनाओं को स्पष्ट कीजिए।
(b) जनजातीय समुदायों में धर्म परिवर्तन की प्रकृति क्या है? औपनिवेशिक समय और स्वातंत्रयोत्तर समय से दो उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
(c) शहरी गंदी बस्ती में रह रहे दलित गरीब परिवार की मुख्य समस्याओं की, ग्रामीण परिवेश में रह रहे समान प्रकार के परिवार की समस्याओं के साथ तुलना कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित प्रश्नों के समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से संक्षिप्त उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हो:
(a) सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा में वृद्धि के क्या करण हैं?
(b) भारत में शिक्षा और समता पर एक टिप्पणी लिखिए।
(c) “नवोन्नत वर्ग” (क्रीमी लेयर) से संबंधित समस्याओं का विवरण दीजिए।
(d) क्या आप सहमत हैं कि बाल श्रम का मुद्दा अनौपचारिक क्षेत्रक के संबंध में और उसके आगे भी प्रश्नों को जन्म देता है? कारण बताइए।
(e) महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर उभरते हुए सरोकार क्या हैं?

6. (a) विकास प्रेरित असंतुलनों के कुछ ऐसे असाधारण मुद्दों, जिन पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है, पर चर्चा कीजिए।
(b) भारत में विरासत पर्यटन के शहरी सामाजिक-स्थानिक प्रारूपों पर प्रभाव ल परीक्षण कीजिए।
(c) पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और गुजरात के ‘डेमारू’ राज्यों में निम्न स्त्री-पुरुष अनुपात के क्या-क्या कारण और हल हैं?

7. (a) महिलाओं के आंदोलन के और महिला सशक्तिकरण की राजकीय नीति से अभिलाभों के बावजूद स्त्री-पुरुष समानता उपलब्धि से बहुत दूर है। ऐसी दो प्रमुख चुनौतियों की पहचान कीजिए, जो इस लक्ष्य तक पहुँचने में बाधक हैं ।
(b) राष्ट्र-निर्माण किस सीमा तक भारतीय समाज में अनेकताओ के दृढ़ीकरण पर निर्भर करता है?
(c) नृजातीयता और उप-नृजातीयता से संबंधित मुद्दों को स्पष्ट कीजिए।

8. (a) ‘सांस्कृतिक पुनरुज्जीवनवाद’ से क्या तात्पर्य है? हाल ही के समय में अभिनयी कलाओं, भाषा प्रसारण तथा कला और शिल्प से कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
(b) आपके विचार में, भारतीय समाज में सामाजिक भेदभाव के दो मौलिक अक्ष कौन-से हैं? क्या वे बदल रहे हैं?
(c) क्या कारण है कि हमने ‘विशेष रूप से दुर्बल जनजातीय समूह (पी.वी.टी.जी.)’ नामक जनजातियों की अन्य श्रेणी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है?उनको ऐसा क्यों कहा जाता है?


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