UPSC Philosophy Optional Question Paper 2015: प्रश्न पत्र I

खण्ड- A

1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) हेगेल के इस स् कथन की व्याख्या कीजिए: “समस्त अभेद, अभेदाभेद है।”
(b) संवृत्तिशास्त्रीय अपचयवाद के समर्थन में हूसर्ल की तर्कबुद्धि की व्याख्या कीजिए।
(c) ‘मैं एक मनुष्य से मिला’ यह कथन कैसे रसेल के लिए शब्दार्थक दृष्टि से समस्यापरक है? रसेल इस कथन की सार्थकता का विवरण कैसे देते हैं?
(d) किस अर्थ में प्रत्यय अंतर्यामी और इंद्रियातीत दोनों ही हो सकते हैं? इस संदर्भ में प्लेटो के सामान्य और विशेषों के सिद्धांत की विवेचना कीजिए।
(e) कैसे ह्यूम के अनुभव का विश्लेषण किसी स्थायी सत्, चाहे वह भौतिक हो या मानसिक, में विश्वास के लिए कोई आधार नहीं छोड़ता है।

2. (a) कैसे ‘सभी देह विस्तारित हैं’ – एक विश्लेषणात्मक निर्णय है, किन्तु ‘सभी देह भारी हैं’ एक संश्लेषणात्मक निर्णय है? क्या ‘प्रत्येक घटना का एक कारण है’ – एक विश्लेषणात्मक अथवा एक संश्लेषणात्मक निर्णय? व्याख्या कीजिए।
(b) विट्गेन्सटाइन का अर्थ का चित्र सिद्धांत क्या है? उसके द्वारा इस सिद्धांत को छोड़ने तथा अर्थ के उपयोग सिद्धांत को प्रस्तावित करने के क्या कारण हैं?
(c) अरस्तू के आकार और भौतिक द्रव्य के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए। यह अरस्तू को कैसे परिवर्तन (गति) एवं स्थायित्व की समस्या के समाधान के लिए समर्थ बनाता है?

3. (a) कान्ट के दिक एवं काल के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए। यह सिद्धांत कान्ट को यह व्याख्या करने में कैसे समर्थ बनाता है कि गणितीय प्रतिज्ञप्तियाँ संश्लेषणात्मक और अनुभवनिरपेक्ष दोनों हो सकती हैं?
(b) देकार्त के अनुसार एक ‘स्पष्ट और सुभिन्न प्रत्यय’ क्या है? स्पष्ट और सुभिन्न प्रत्ययों की ज्ञानमीमांसीय स्थिति क्या है? क्या यह विवरण भौतिक पदार्थों के अस्तित्व को सिद्ध करने में देकार्त का सहायक है? व्याख्या कीजिए।
(c) इंद्रियानुभववाद के दो हठधर्म क्या हैं, जिन पर क्वाइन प्रहार करता है? द्वितीय हठधर्म के विरुद्ध उसके तर्क क्या हैं?

4. (a) लॉक किस प्रकार मूल गुणों और गौण गुणों के बीच भेद करता है? क्या वह मूल गुणों के प्रत्यय और मूलगुणों के साथ साथ गौण गुणों के प्रत्यय और गौण गुणों के बीच भी भेद करता है? विवेचना कीजिए।
(b) ‘जो भी रंगीन है वह विस्तृत है’, क्या यह वाक्य तार्किक प्रत्यक्षवादियों की अर्थपूर्णता की कसौटी को संतुष्ट करता है? व्याख्या कीजिए।
(c) हाइडेगर की प्रामाणिकता की अवधारणा का विवेचन कीजिए और व्याख्या कीजिए कि कैसे एक अप्रामाणिक डिजाइन खोयी आत्मा को पुनः प्राप्त करता है?

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) “चैतन्य से विशिष्ट देह के अतिरिक्त आत्मा कुछ नहीं है।” इस मत को स्वीकार करने में चार्वाक के क्या तर्क हैं?
(b) वैशेषिक दर्शन के अनुसार पदार्थ के आवश्यक लक्षण क्या हैं?
(c) न्याय दर्शन में प्रतिपादित वैध हेतु (वेडिल हेतु) की उपाधियों की व्याख्या कीजिए।
(d) “योगशचित्तवृत्तिनिरोध:” से क्या तात्पर्य है? चित्तवृत्त तथा उसके प्रभावों की योग दर्शन के अनुसार व्याख्या कीजिए।
(e) मध्यमिकों के अनुसार सत् के स्वरूप की व्याख्या करने में चतुष्कोटि की भूमिका की व्याख्या कीजिए।

6. (a) प्रत्यक्ष की प्राचीन न्याय परिभाषा की व्याख्या कीजिए। इस परिभाषा को परवर्ती न्यायायिकों द्वारा क्यों अपर्याप्त माना गया है?
(b) “जैन तत्वमीमांसा सापेक्षवादी एवं वस्तुवादी बहुतत्ववाद है।” विवेचना कीजिए।
(c) क्षणिकवाद को सुस्थापित करने के लिए बौद्धों के तर्क क्या हैं? क्या यर तर्क अनिवार्यतः कृतप्रणाश (कृतनाश) और अकृताभ्युपगम की ओर ले जाते हैं?

7. (a) माध्यमिक, योगाचारवादी एवं सर्वास्तिवादी सत् के स्वरूप के संबंध में कैसे भिन्न मत रखते हैं? सर्वास्तिवादी कैसे अपने में सत् की सुविज्ञता के विषय में भिन्न मत रखते हैं?
(b) अतिमानसिक चेतना की अनुभूति में श्री अरविन्द का समग्रयोगकैसे सहायक है? विवेचना कीजिए।
(c) विवर्तवाद एवं परिणामवाद के बीच कार्यकारण-भाव के संदर्भ में भेद स्पष्ट करें तथा इस सिद्धांतों के आलोक में शंकर एवं रामानुज, जगत की स्थिति के संबंध में कैसे भिन्न मत रखते हैं, व्याख्या कीजिए।

8. (a) मीमांसकों के अनुसार ज्ञान के प्रामाण्य सिद्धांत (प्रमान्यवाद) की व्याख्या कीजिए। न्याय के प्रामाण्य सिद्धांत की आलोचना मीमांसक कैसे करते हैं?
(b) ईश्वर के प्रति रामानुज के संप्रत्यय की व्याख्या कीजिए और उन कठिनाइयों की जाँच कीजिए जो भौतिक द्रव्य एवं चित की ईश्वर के साथ संबंध की व्याख्या करते समय उनके सामने आयी ।
(c) अपने कार्यकारण-भाव के सिद्धांत के आलोक में क्या सांख्य दर्शन के लिए जगत में चेतना की उपस्थिति की व्याख्या करना सम्भव है? विवेचना कीजिए।


UPSC Philosophy Optional Question Paper 2015: प्रश्न पत्र II

खण्ड- A

1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) “समता का अर्थ प्रत्येक के साथ सम बरताव करना नहीं है।” चर्चा कीजिए।
(b) क्या लोकतान्त्रिक राज्य में सविनय अवज्ञा तर्कसंगत है? विवेचना कीजिए।
(c) संप्रभुता की हैरोल्ड लास्की की मीमांसा की विवेचना कीजिए।
(d) लोकतंत्र में व्यक्तिगत एवं सामूहिक अधिकारों का किस प्रकार समाधान क्या जाता है? स्पष्ट कीजिए।
(e) “असाम्यिक विकास सामाजिक प्रगति के बजाय सामाजिक संघर्षों की ओर ले जाता है।” व्याख्या कीजिए।

2. (a) स्त्री-पुरुष भेदभाव का तात्पर्य क्या है? क्या यह समता और सामाजिक न्याय का उल्लंघन नहीं है? विवेचना कीजिए।
(b) क्या महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण स्त्री-पुरुष भेदभाव का विलोपन कर देता है? विवेचना कीजिए।
(c) जाति-व्यवस्था की अंबेडकर की समालोचना का मूल्यांकन कीजिए।

3. (a) क्या बहुसंस्कृतिवाद वैश्विक समाज की एक आवश्यकता है? विवेचना कीजिए।
(b) “दंड का उद्देश्य नैतिक कानून की रक्षा करना और अपराधी के साथ न्याय करना है।” विवेचना कीजिए।
(c) संसदीय लोकतंत्र के स्वरूप और प्रकार्यों का मूल्यांकन कीजिए।

4. (a) “मानव के लिए आवश्यक है कि वह भौतिक और साथ-ही-साथ आध्यात्मिक रूप से विकसित होता जाय।” अंबेडकर के इस कथन का मूल्यांकन कीजिए।
(b) “भाईचारे और स्वतंत्रता के बिना समता का कोई मूल्य नहीं होगा।” विवेचना कीजिए।
(c) धार्मिक राष्ट्रवाद धर्मनिरपेक्ष राज्य के लिए किस प्रकार खतरा होता है? स्पष्ट कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) ईश्वर के गुणों पर एक समीक्षात्मक टिप्पणी लिखिए।
(b) क्या किसी धर्म की अतिजीविता के लिए ईश्वर का अस्तित्व एक आवश्यक शर्त है? व्याख्या कीजिए।
(c) क्या नैतिकता आवश्यक रूप से धर्म पर आधारित होती है? विवेचना कीजिए।
(d) क्या ईश्वर ‘प्राकृतिक अशुभ’ का कारण है? चर्चा कीजिए।
(e) क्या ‘आस्था’ और ‘तर्कबुद्धि’ साथ-साथ चलते हैं? चर्चा कीजिए।

6. (a) धार्मिक भाषा को किस प्रकार सत्यापित कीया जा सकता है? क्या यह कहना सही है कि धार्मिक भाषा सत्यापित होती है, क्योंकि इसे मिथ्यापित नहीं किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
(b) हिन्दू धर्म और इस्लाम में रहस्यवाद के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
(c) क्या ‘श्रुति या ‘इस्लाम’ को ‘तर्कबुद्धि’ के द्वारा तर्कसंगत सिद्ध किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।

7. (a) क्या आपके विचार में बुराई एक ऐसी कड़वी दवागोली है, जिसको कोई भी ईश्वरवादी आसानी से निगल नहीं सकता है? विवेचना कीजिए।
(b) “अमरता का तात्पर्य ‘कर्म’ और ‘पुनर्जन्म’ की अनुपस्थिति का होना है।” विवेचना कीजिए।
(c) ईश्वर की सत्ता के पक्ष में ‘न्याय’ के तर्कों का परीक्षण कीजिए।

8. (a) “नैतिक मूल्यों से वंचित धार्मिक मनुष्य की अपेक्षा एक अनीश्वरवादी व्यक्ति अधिक उम्दा हो सकता है।” विवेचना कीजिए।
(b) ईश्वर के अस्तित्व के पक्ष में दिए जाने वाले ‘सत्तामीमांसीय’ और ब्रह्मांडमीमांसीय’ तर्कों का परीक्षण कीजिए।
(c) मोक्ष क्या है? ‘वेदान्त’ संप्रदाय के अनुसार इसकी प्राप्ति के साधनों की संक्षेप में विवेचना कीजिए।


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