UPSC Sociology Optional Question Paper 2015: प्रश्न पत्र I
खण्ड- A
1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(a) क्या समाजशास्त्र एक विज्ञान है? अपने उत्तर के पक्ष में कारण बताइए।
(b) समाज के अध्ययन में ऐतिहासिक विधि की प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।
(c) चरों (वेरिएबल्स) से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अनुसंधान में उनकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
(d) तर्कसंगत प्रभाविता (लैजिटिमेट डौमीनेशन) के प्रारूपों के विश्लेषण में वेबर ने किन संकल्पनाओं का उपयोग किया था?
(e) “कोई भी समाज ँ टो पूर्णतया खुला हो सकता है और ण् ही पूर्णतया बंद हो सकता है।” टिप्पणी कीजिए।
2. (a) पूंजीवाद के विकास में कैल्विनिय नीतिवाद की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
(b) सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में वस्तुनिष्ठता एवं मूल्य निरपेक्षता के अनुरक्षण की समस्याओं का परीक्षण कीजिए।
(c) “स्व एवं समाज जुड़वा होते हैं ।” मीड के इस कथन का परीक्षण कीजिए।
3. (a) यह क्यों कहा जाता है कि अनुसंधान में यादृच्छिक प्रतिचयन की विश्वसनीयता एवं वैधता अधिक होती है?
(b) सामाजिक स्तरीकरण की मार्क्सीय एवं वेबरीय थियोरियों में विभेदन कीजिए।
(c) प्रबोध (ऐनलाईटेनमेंट) ने समाजशास्त्र के उद्भव में किस प्रकार का योगदान किया था?
4. (a) “मानव व्यवहार को समझने के लिए अप्रत्यक्षवाद कार्यप्रणाली अत्यावश्यक है।” विवेचना कीजिए।
(b) पारसंस के ढांचे में सामाजिक साम्यावस्था किस प्रकार से अनुरक्षित रहती है?
(c) “असंबंधिता (ऐनोमी) की जड़ें सामाजिक संरचना में होती हैं।” आर. के. मर्टन के योगदान का उल्लेख करते हुए इसको स्पष्ट कीजिए।
खण्ड ‘B’
5. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(a) सामंतवादी समाज में और पूंजीवादी समाज में, कार्य के सामाजिक संगठन के बीच विभेदन कीजिए।
(b) “लोकतंत्र में सामाजिक रूपांतरण (सोशल ट्रांसफॉर्मेशन) के लिए विचारधारा निर्णायक होती है।” विवेचना कीजिए।
(c) संप्रदाय और पंथ में उदाहरण देकर अंतर स्पष्ट कीजिए।
(d) क्या मातृवंशीय समाज में पुरुष सत्ता अनुपस्थित होती है? विवेचना कीजिए।
(e) सामाजिक परिवर्तन को समझने में, ‘सांस्कृतिक पश्चता’ के विचार की प्रासंगिकता को स्पष्ट कीजिए।
6. (a) “शिक्षा सामाजिक एवं असमानताओं को बनाए रखने में सहायक होती है।” इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(b) उन परिस्थितियों की व्याख्या कीजिए जिनमें सामूहिक कार्रवाई एक सामाजिक आंदोलन में परिवर्तित हो जाति है।
(c) बंधुता (किनशिप) में विरासत (वंश) और मैत्री संबंधी नियम किस प्रकार एक दूसरे से भिन्न होते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
7. (a) धर्म निरपेक्षीकरण (लौकिकीकरण) को परिभाषित कीजिए। आधुनिक विश्व में इसके मुख्य आयाम क्या है?
(b) तृतीयक क्षेत्रक के बढ़ते हुए महत्व ने हाल में कार्य के औपचारिक संगठन को कमजोर बना दिया है। इस कथन का परीक्षण कीजिए।
(c) प्रतीत होता है कि जातीय विचारधारा ने लोकतंत्र को सुदृढ़ किया है। टिप्पणी कीजिए।
8. (a) “वैश्वीकरण में वि-भूभागीयकरण शामिल है।” राष्ट्र-राज्य का उल्लेख करते हुए इसका परीक्षण कीजिए।
(b) सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में परंपरा एवं आधुनिकता के द्वन्द्वात्मक संबंध का परीक्षण कीजिए।
(c) “धार्मिक जीवन के प्रारम्भिक रूपों” पर दुर्खीम के विचारों को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
UPSC Sociology Optional Question Paper 2015: प्रश्न पत्र II
खण्ड- A
1. निम्नलिखित प्रश्नों के समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से संक्षिप्त उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हो:
(a) जनजातियों की स्वतंत्रता के पक्ष में वेरियर एलविन के विचार
(b) कृषि भूमि आमूल परिवर्तनवादी के रूप में ज्योतिराव फुले
(c) भारतीय जाति-व्यवस्था पर लुई ड्यूमा का संदर्श
(d) महात्मा गांधी पर अस्पृश्यों का भरोशा किस सीमा तक था?
(e) गरीबी का नारिकरण (फेमिनाइजेशन)
2. (a) क्या भारत में जाति-व्यवस्था परिवर्तित हो रही है, कमजोर पड़ रही है या कि विघटित हो रही है?
(b) भारतीय परिवार-व्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण अध्ययनों का वर्णन कीजिए।
(c) उत्तर भारत की और दक्षिण भारत की बंधुता प्रणाली की विस्तृत रूप में तुलना कीजिए।
3. (a) भारत में सामाजिक परिवर्तन का विश्लेषण करने में भारतीय परंपरा के आधुनिकीकरण की रूपावली पर चर्चा कीजिए।
(b) पितृतंत्र क्या है? भारत में यह किस प्रकार बालक समाजीकरण प्रतिरूप को प्रभावित करता है?
(c) भारत में वृद्धों की समस्या पर चर्चा कीजिए। उनकी समस्याओं के समाधान निकालने के लिए कौन-से विभिन्न परिप्रेक्ष्य हैं?
4. (a) भारतीय राष्ट्रवाद के विश्लेषण में मार्क्सवादी उपागम की व्याख्या कीजिए।
(b) हिन्दू धर्म के कौन से आधारिक सिद्धांत हैं? क्या हिन्दू धरण एकेश्वरवाद या बहु-ईश्वरवाद पर आधारित है?
(c) भारत में पी ० सी ० पी ० एन ० डी० टी ० अधिनियम को कार्यान्वित करना क्यों आवश्यक है?
खण्ड ‘B’
5. निम्नलिखित प्रश्नों के समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से संक्षिप्त उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हो:
(a) भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण घटक
(b) जनजातीय उप-योजना (टी ० एस ० पी ०) के मुख्य उद्देश्य
(c) विकास के माध्यम से विस्थापन कया ग्रामीण भूमिहीन और सीमांत किसानों पर प्रभाव
(d) नगरीय भारत में अनौपचारिक श्रम-बाजार से संबंधित मुद्दे
(e) जाति-व्यवस्था में परिवतनों को समझने के लिए श्रीनिवास का संस्कृतिकरण किस सीमा तक एक आधुनिकताकारी या परंपराकारी बल है?
6. (a) भारतीय मध्यम वर्ग पर उत्तर-1970 नारी-अधिकारवादी आंदोलन के प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
(b) भारत में नृजातीय अस्मिता तथा धार्मिक अस्मिता के मुख्य सरोकार कौन-से हैं?
(c) भारत में स्त्रियों एवं बच्चों के दुर्व्यापार (ट्रैफ़िकिंग) की समस्या कितनी गंभीर है?
7. (a) एक विवेकी लोकतंत्री के रूप में बी ० आर 0 अंबेडकर पर चर्चा कीजिए।
(b) स्वतंत्र भारत में किसान आंदोलनों के मुख्य अभिलक्षणो की व्याख्या कीजिए।
(c) मुस्लिम व्यक्तिगत कानून बोर्ड, इस्लामी नारी-अधिकारवादी कार्यसूची से किस हद तक सहमत है?
8. (a) गांधी एक सदाचारी, तपस्वी एवं कर्मशील व्यक्ति थे। ‘हिन्द स्वराज’ के संदर्भ में विश्लेषण कीजिए।
(b) मानव विकास उपागम निश्चयपूर्वक कहता है कि आर्थिक वृद्धि की अपेक्षा शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल की वृद्धि अधिक महत्वपूर्ण है। उत्तर-उदारीकृत भारतीय समाज के प्रकाश में इस मुद्दे पर चर्चा कीजिए।
(c) प्रेस की स्वतंत्रता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।