UPSC Hindi Literature Optional Paper-1 2017: हिंदी साहित्य प्रथम प्रश्न पत्र

खण्ड ‘A’

  1. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए।
    (a) देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता
    (b) मध्यकाल में काव्य-भाषा के रूप में प्रयुक्त ब्रज की विशेषताएं
    (c) उन्नीसवीं शताब्दी में कड़ी बोली की स्तिथि
    (d) खुसरो की काव्य-भाषा की मुख्य विशेषताएं
    (e) अप्रभ्रंश की व्याकरणिक विशेषताएं
  2. (a) रहीम की कविता की मार्मिकता पर प्रकाश डालिये
    (b) हिंदी के प्रचार-प्रसार के आंदोलन में किन्ही दो प्रमुख संस्थाओं के योगदान पर प्रकाश डालिये ।
    (c) पश्चिमी हिंदी की किन्ही दो बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिये ।
  3. (a) हिंदी में वैज्ञानिक लेखन की स्तिथि अभी भी संतोषप्रद नहीं है इस कतहँ का सोदाहरण उत्तर दीजिये ।
    (b) दक्खिनी हिंदी का परिचय दीजिए ।
    (c) हिंदी की तकनिकी शब्दावली के निर्माण में आने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिये ।
  4. (a) राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रयोग की वर्तमान स्तिथि पर प्रकाश डालिये ।
    (b) विश्व हिंदी-सम्मेलनों की सार्थकता पर अपना मत व्यक्त कीजिये।
    (c) हिन्दुस्तानी की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिये  ।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए
(a) तुलसीदास की प्रासंगिकता
(b) केशव की संवाद-योजना की विषेशताएँ –
(c) ‘ब्राम्हण’ पात्र के माध्यम से प्रताप नारायण मिश्र का हिंदी-पत्रकारिता को प्रदत्त योगदान
(d) हिंदी रंगमंच : दशा, दिशा, संभावना
(e) कृष्णा सोबती की कहानियां : कथन का वैविध्य

6. (a) ‘कामायनी’ के आधार पर जयशंकर प्रसाद की सौंदर्य-चेतना पर प्रकाश डालिये।
(b) यशपाल की विचारधारा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
(c) मैला आँचल के महत्त्व पर प्रकाश डालिये ।

7. (a) रामविलास शर्मा के आलोचना-कर्म की सीमाओं का वर्णन कीजिये।
(b) मोहन राकेश के नाट्य-शिल्प की ‘आधे अधूरे’ नाटक के आधार पर समीक्षा कीजिये ।
(c) “तारसप्तक ‘का प्रकाशन हिंदी कविता के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ था” – इस कतहँ का तर्कसंगत उत्तर दीजिये ।

8. (a) ‘ललित निबंधकार’ के रूप में हजारी प्रसाद दिवेदी की निबंध-कला का विवेचन कीजिये।
(b) कांतिकुमार जैन के संस्मरणों के वैशिष्ट्य का निरोपण कीजिए।
(c) “‘अज्ञेय’ के यात्रा-वर्णन उनके व्यक्तित्व का दर्पण है” – इस कथन का सोदाहरण विवेचन कीजिये ।


UPSC Hindi Literature Optional Paper-2 2017: हिंदी साहित्य द्वितीय प्रश्न पत्र

खण्ड ‘A’

1. निम्नलिखित काव्यांशों की लगभग 150 शब्दों में ऐसी व्याख्या कीजिए की इसमें निहित काव्य-मर्म भी उद्घाटित हो सके :

(a) जीवन मुँहचाही को नीको,
दरस परस दिन रात करति है कान्ह पियारे पी को ।
नयनन मुँदि -मुँदि किन देखौ बँध्यो ज्ञान पोथी को।
आछे सुंदर स्याम मनोहर और जगत सब फीको।
‘सुनौ जोग को का लै कीजै जहाँ ज्यान हि जी को?
खाटी मही नही रुचि मानै सूर खवैया घी को।।

(b) ऋषिनारि उधारि कियो सठ केवट मीत पुनीत सुकीर्ति लही।
निजलोक दियो सबरी खग को कपि थाप्यो सो मालुम है सबही ।
दससीस विरोध सभीत विभीषण भूप कियो जग लीक रही।
करुणानिधि को भजु रे तुलसी रघुनाथ अनाथ के नाथ सही।

(c) (i) सायक सम मायक नयन रंगे त्रिविध रंग गात ।
झखौ बिलखि दुरि जात जल लखि जलजात लजात।।
(ii) सब ही त्यौं समुहाति छीनु, चलति सबनु दै पीठि ।
वाही त्यौं ठहराति यह, कविलनवी लौं दीठि ।।

(d) अंधकार के अट्टहास सी मुखरित सतत चिरंतन सत्य,
छिपी सृष्टि के कण-कण में तू यह सुंदर रहस्य है नित्य।
जीवन तेरा क्षुद्र अंश है व्यक्त नील घनमाला में,
सौदामिनी संधि सा सुंदर क्षण भर रहा उजाला में।

(e) पिस गया वह भीतरी
औ’ बाहरी दो कठिन पाटों वीच,
ऐसी ट्रेजिडी है नीच !!
बावड़ी में वह स्वयं
पागल प्रतीकों में निरंतर कह रहा
वह कोठरी में किस तरह
अपना गणित करता रहा
औ’ मर गया।

2. (a) ‘कबीर की कविता “अस्वीकार” के साथ-साथ स्वीकार की भी कविता है।’ – इस कथन के संदर्भ में कबीर काव्य का विश्लेषण कीजिए।
(b) “काव्य, जीवन को अर्थवत्ता प्रदान करता है और काव्य की अर्थवत्ता बिम्ब से निर्मित होती है।” – इस कथन के आलोक में सूरदास के काव्य का मूल्यांकन कीजिए।
(c) “जायसी कृत ‘पद्मावत’ में वर्णित ‘प्रेम’, सौंदर्य, भाव-गांभीर्य और माधुर्य की त्रिवेणी से उद्भासित है।” – इस कथन के संदर्भ में जायसी की प्रेम-व्यंजना का विवेचन कीजिए।

3. (a) “‘भारत-भारती’ की राष्ट्रीय-चेतना हिन्दू जातीयता पर अवलंबित है।” इस कथन के संदर्भ में अपना मत सोदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
(b) “निराला की रचना ‘कुकुरमुत्ता’ अनुभूतिगत एवं अभिव्यक्तिगत दोनों स्तरों पर काव्य-आभिजात्य से मुक्ति का महत प्रयास है।” इस कथन की व्याख्या करते हुए निराला के काव्य-सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए।
(c) “अज्ञेय ने ‘असाध्यवीणा’ कविता में अनेक मिथकों के माध्यम से अभीष्ट एवं सार्थक बिम्बों का सृजन किया है।” अज्ञेय की काव्य-कला के संदर्भ में विचार कीजिए।

4. (a) “दिनकर की रचना ‘कुरुक्षेत्र’ के सृजन का रक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयोजन ‘शिवेतरक्षतये’ भी है।” – अपने मत को सोदाहरण एवं तर्क सहित प्रस्तुत कीजिए।
(b) “मुक्तिबोध ने ‘ब्रह्मराक्षस’ कविता में फैन्टेसी शैली के माध्यम से कविता जैसी विधा में नाटकीय प्रभाव की सृष्टि की है।” – इस कथन की तर्क एवं उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
(c) “नागार्जुन अकाल को प्राकृतिक अभिशाप के रूप में कम, मानवीय अभिशाप के रूप में ज्यादा देखते हैं।” – इस कथन के आलोक में नागार्जुन के काव्य की अमीक्षा कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए और उसका भाव-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए। (प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में)
(a) हा ! भारतवर्ष को ऐसी मोहनिद्रा ने घेरा है कि अब उसके उठने की आशा नहीं। सच है, जो जान बूझकर सोता है उसे कौन जगा सकेगा? हा दैव ! तेरे विचित्र चरित्र हैं, जो कल राज करता था वह आज जूते में टाँका उधार लगवाता है। कल जो हाथी पर सवार फिरते थे, आज नंगे पाँव बन-बन की धूल उड़ाते फिरते हैं।

(b) ज्यों-ज्यों सभ्यता बढ़ती जाएगी त्यों-त्यों कवियों के लिए यह काम बढ़ता जाएगा। इससे यह स्पष्ट है की ज्यों-ज्यों हमारी वृत्तियों पर सभ्यता के नये-नये आवरण चढ़ते जाएंगे त्यों-त्यों एक ओर तो कविता की आवश्यकता बढ़ती जाएगी, दूसरी ओर कवि-कर्म कठिन होता जाएगा।

(c) मैं फिर काम शुरू करूंगा – यहीं इसी गाँव में, मैं प्यार की खेती करना चाहता हूँ। आँसू से भीगी धरती पर प्यार के पौधे लहलहायेंगे। मैं साधना करूंगा, ग्रामवासिनी भारतमाता के मैले आँचल तले। कम से कम एक ही गाँव के कुछ प्राणियों के मुरझाये आठों पर मुस्कराहट लौटा सकूँ। उनके हृदय में आशा और विश्वास को प्रतिष्ठित कर सकूँ।

(d) याद वह करती है,किन्तु जैसे किसी पुरानी तस्वीर के धूल भरे शीशे को साफ कर रही हो। अब वैसा दर्द नहीं होता। सिर्फ उस दर्द को याद करती है, जो पहले कभी होता था। तब उसे अपने पर ग्लानि होती है। वह फिर जान- बूझकर उस घाव को कुरेदती है, जो भरता जा रहा है।

(e)आवेग एक वस्तु है, जीवन दूसरी। जीवन जल का पात्र है, आवेग उसमें बुदबुदा मात्र है। जीवन की सफलता के लिए किसी समय आवेग का दमन आवश्यक हो जाता है, जैसे रोग में पथ्य अरुचिकर होने पर भी उपयोगिता के विचार से ग्रहण किया जाता है।

6. (a) “चूंकि कृषक जीवन की समस्या उस समय के भारत की मुख्य समस्या थी, इसलिए ‘गोदान’ में कृषक जीवन की ट्रेजरी का आख्यान मानो युगीन समस्याओं का प्रतिनिधि आख्यान है।” इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।

(b) “मैला आँचल में अभिव्यक्त स्त्री-पुरुष संबंध एक नवीन मुक्ति के पक्ष में है।” इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? तार्किक व्याख्या कीजिए।

(c) “‘महाभोज’ स्वतंत्रयोत्तर भारतीय राजनीति की विकृति के पर्दाफाश का ज्वलंत दस्तावेज है।” – तर्क एवं उदाहरण सहित सिद्ध कीजिए।

7. (a) ‘भारत-दुर्दशा’ प्रायः कथाविहीन, घटनाविहीन नाट्य-रचना है। फिर भी इसके मंचन की संभावनाएं कम नहीं हैं।’ अभिनेयता की दृष्टि से विवेचन कीजिए।

(b) ‘स्कंदगुप्त’ नाटक की प्रमुख समस्या राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्या है। प्रसाद की नाट्य-दृष्टि के संदर्भ में इस कथन की समीक्षा कीजिए।

(c) “दूध और दवा” कहानी की मूल संवेदना आदर्श और यथार्थ के द्वन्द्व एवं संघर्ष से निर्मित है। – इस कथन के संदर्भ में कहानी की समीक्षा कीजिए।

8. (a) “कविता क्या है” निबंध के आधार पर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की “कविता की भाषा” विषयक मान्यताओं पर प्रकाश डालिए।

(b) क्या प्रेमचंद की कहानियाँ घटना प्रधान अधिक और चरित्र प्रधान कम हैं? आलोचनात्मक टिप्पणी लिखते हुए अपने मत का प्रतिपादन कीजिए।

(c) “नन्हों” कहानी की भाषा ग्रामीण मुहावरों और शब्दों से युक्त जीवंत भाषा है।’ कथन के आलोक में कहानी के भाषा-सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए।


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