Indian Polity Questions for UPSC Mains Questions (भारतीय राजव्यवस्था)

2022

  •  ‘‘भारत में आधुनिक कानून की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संविधानीकरण है।’’ सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिए। (150 शब्द / 10 अंक)
  • ‘‘भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र में निवास करने और विचरण करने का अधिकार स्वतंत्र रूप से सभी भारतीय नागरिकों को उपलब्ध है, किन्तु ये अधिकार असीम नहीं है।’’ टिप्पणी कीजिए। (150 शब्द / 10 अंक)
  • राज्य सभा के सभापति के रूप में भारत के उप-राष्ट्रपति की भूमिका की विवेचना कीजिए। (150 शब्द / 10 अंक)
  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सांविधिक निकाय से संवैधानिक निकाय में रूपांतरण को ध्यान में रखते हुए इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए। (150 शब्द / 10 अंक)
  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत संसद अथवा राज्य विधायिका के सदस्यों के चुनाव से उभरे विवादों के निर्णय की प्रक्रिया का विवेचन कीजिए। किन आधारों पर किसी निर्वाचित घोषित प्रत्याशी के निर्वाचन को शून्य घोषित किया जा सकता है? इस निर्णय के विरूद्ध पीडि़त पक्ष को कौन-सा उपचार उपलब्ध है? वाद विधियों का संदर्भ कीजिए। (250 शब्द / 15 अंक)
  • राज्यपाल द्वारा विधायी शक्तियों के प्रयोग की आवश्यक शर्तों का विवेचन कीजिए। विधायिका के समक्ष रखे बिना राज्यपाल द्वारा अध्यादेशों के पुनःप्रख्यापन की वैधता की विवेचना कीजिए। (250 शब्द / 15 अंक)
  • ‘‘भारत में राष्ट्रीय राजनैतिक दल केन्द्रीयकरण के पक्ष में हैं, जबकि क्षेत्रीय दल राज्य-स्वायत्तता के पक्ष में।’’ टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द / 15 अंक)
  •  भारत और फ्रांस के राष्ट्रपति के निर्वाचित होने की प्रक्रिया का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द / 15 अंक)
  • आदर्श आचार-संहिता के उद्भव के आलोक में, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका का विवेचन कीजिए। (250 शब्द / 15 अंक)

2021

  • भारत के 14 वें वित्त आयोग की संस्तुतियों ने राज्यों को अपनी राजकोषीय स्थिति सुधारने में कैसे सक्षम किया है? (150 शब्द)
  • “एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है।” विश्लेषण कीजिए। (150 शब्द)
  • “व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को सार्थक बनाने के लिए ‘सीखते हुए कमाना (अर्न व्हाइल यू लर्न )’ की योजना को सशक्त करने की आवश्यकता है।” टिप्पणी कीजिए। (150 शब्द)
  • यद्यपि मानवाधिकार आयोगों ने भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण में काफी हद तक योगदान दिया है, फिर भी वे ताकतवर और प्रभावशालियों के विरुद्ध अधिकार जताने में असफल रहे हैं। इनकी संरचनात्मक और व्यावहारिक सीमाओं का विश्लेषण करते हुए सुधारात्मक उपायों के सुझाव दीजिए। (250 शब्द)
  • क्या ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से, डिजिटल निरक्षरता ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आइ ० सी ० टी ०) की अल्प-उपलब्धता के साथ मिलकर सामाजिक-आर्थिक विकास में बढ़ उत्पन्न किया है ? औचित्य सहित परीक्षण कीजिए । (250 शब्द)
  • ‘संवैधानिक नैतिकता ‘ की जड़ संविधान में ही निहित ही और इसके तात्विक फलकों पर आधारित है। ‘संवैधानी नैतिकता’ के सिद्धांत की प्रासंगिक न्यायिक निर्णयों की सहायता से विवेचना कीजिए। (150 शब्द)
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के संविधानों में, समता के अधिकार की धारणा की विशिष्ट विशेषताओ का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
  • उन संवैधानिक प्रावधानों को समझाइए जिनके अंतर्गत विधान-परिषदें स्थापित होती हैं। उपयुक्त उदाहरणों के साथ विधान-परिषदों के कार्य और वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द)

2020

  • “लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम कर अंतर्गत भ्रष्ट आचरण के दोषी व्यक्तियों को आयोगगय ठहरने की प्रक्रिया के सरलीकरण की आवश्यकता है”। टिप्पणी कीजिए। (150 शब्द)
  • “सूचना का अधिकार अधिनियम में किए गए हालिया संशोधन सूचना आयोग की स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर गंभीर पेबहाव डालेंगे। विवेचना कीजिए। (150 शब्द)
  • आपके वउचार में सहयोग, स्पर्धा एवं संघर्ष ने किस प्रकार से भारत में महासंघ को किस सीमा तक आकार दिया है? अपने उत्तर को प्रमाणित करने के लिए कुछ हालिया उदाहरण उद्धृत कीजिए। (150 शब्द)
  • हाल के समय में भारत और यू. के. की न्यायिक व्यवस्थाएं अभिसरणीय एवं अपसरणीय होती पेटिट हो रही हैं। दोनों राष्ट्रों की न्यायिक कार्यप्रणालियों के आलोक में अभिसरण तथा अपसरण के मुख्य बिंदुओं को आलोकित कीजिए। (150 शब्द)
  • ‘एकदा स्पीकर, सदैव स्पीकर ! क्या आपके विचार में लोकसभा अध्यक्ष पद की निष्पक्षता के लिए इस कार्यप्रणाली को स्वीकारना चाहिए? भारत में संसदीय प्रयोजन की सुदृढ़ कार्यशैली के लिए इसके क्या परिणाम हो सकते है? (150 शब्द)
  • राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए भारतीय संविधान केन्द्रीकरण करने की प्रवृत्ति प्रदर्शित करता है। महामारी अधिनियम, 1897; आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 तथा हाल में पारित किए गए कृषि क्षेत्र के अधिनियमों के परिप्रक्ष्य में सुस्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
  • न्यायिक विधायन, भारतीय संविधान में परिकल्पित शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का प्रतिपक्षी है । इस संदर्भ में कार्यपालक अधिकरणों को दिशा-निर्देश देने की प्रार्थना करने संबंधी, बड़ी संख्या में दायर होने वाली, लोक हित याचिकाओं का न्याय औचित्य सिद्ध कीजिए। (250 शब्द)
  • भारत में स्थानीय निकायों की सुदृढ़ता एवं संपोषित ‘प्रकार्य, कार्यकर्ता व कोष’ की अपनी रचनात्मक प्रावस्था से ‘प्रकार्यात्मकता’ की समकालिक अवस्था की ओर स्थानांतरित हुई है। हाल के समय में प्रकार्यात्मकता की दृष्टि से स्थानीय निकायों द्वारा सामना की जा रही अहम चुनौतियों को आलोकित कीजिए। (250 शब्द)
  • विगत कुछ दशकों में राज्य सभा एक ‘उपयोगहीन स्टेपनी टायर’ से सर्वाधिक उपयोगी सहायक अंग में रूपांतरित हुआ है। उन कारकों तथा क्षेत्रों को आलोकित कीजिए जहां यह रूपांतरण दृष्टिगत हो सकता है। (250 शब्द)
  • एक आयोग के संविधानिकीकरण के लिए कौन-कौन से चरण आवश्यक है? क्या आपके विचार में राष्ट्रीय महिला आयोग को संविधानिकता प्रदान करना भारत में लैंगिक न्याय एवं सशक्तिकरण और अधिक सुनिश्चित करेगा? कारण बताइए। (250 शब्द)

2019

  • किन आधारों पर किसी लोक प्रतिनिधि को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अधीन निरर्हित किया जा सकता है? उन उपचारों का भी उल्लेख कीजिए जो ऐसे निरर्हित व्यक्ति को अपनी निरर्हता के विरूद्ध उपलब्ध है।
  • संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति एक परिसीमित शक्ति है और इसे आत्यंतिक शक्ति के रूप में विस्तृत नहीं किया जा सकता है। इस कथन के आलोक में व्याख्या कीजिए कि क्या संसद संविधान के अनुच्छेद 368 के अंतर्गत अपनी संशोधन की शक्ति का विशदीकरण करके संविधान के मूल ढांचे को नष्ट कर सकती है?
  • स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का भारत के राजनीतिक प्रक्रम के पितृतंत्रत्मक अभिलक्षण पर एक सीमित प्रभाव पड़ा है। टिप्पणी कीजिए।
  • महान्यायवादी भारत की सरकार का मुख्य विधि सलाहकार और वकील होता है। चर्चा कीजिए।
  • क्या आपके विचार में भारत का संविधान शक्तियों के कठोर पृथक्करण के सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता है, बल्कि यह नियंत्रण एवं संतुलन के सिद्धांत पर आधारित है? व्याख्या कीजिए।
  • न्यायालयों के द्वारा विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित मुद्दों को सुलझाने से, परिसंघीय सर्वोच्चता का सिद्धांत और समरस अर्थान्वयन उभर कर आए हैं। स्पष्ट कीजिए।
  • धर्मनिरपेक्षता को भारत के संविधान के उपागम से फ्रांस क्या सीख सकता है?

2018

  • आप इस मत से कहा तक सहमत है कि अधिकरण सामान्य न्यायालयों की अधिकारिता को कम करते है? उपर्युक्त को दृष्टिगत रखते हुए भारत में अधिकरणों की संवैधानिक वैधता तथा सक्षमता की विवेचना कीजिए। (250 शब्द)
  • भारत एवं यू ० एस ० ए ० दो विशाल लोकतंत्र है। उन आधारभूत सिद्धांतों का परीक्षण कीजिए जिन पर ये दो राजनीतिक तंत्र आधारित है।
  • भारत के वित्तीय आयोग का गठन किस प्रकार किया जाता है? हाल में गठित वित्तीय आयोग के विचारार्थ विषय (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) के बारे में आप क्या जानते है? विवेचना कीजीए। (250 शब्द)
  • भारत मे स्थानीय शासन के एक भाग के रूप में पंचायत प्रणाली के महत्व का आकलन कीजिए। विकास परियोजनाओ के वित्तीयन के लिए पंचायतें सरकारी अनुदानों के अलावा और किन स्रोतों को खोज सकती है? (250 शब्द)
  • समाज के कमजोर वर्गों के लिए विभिन्न आयोगों की बहुलता, अतिव्यापी अधिकारिता और प्रकार्यों के दोहरेपन की समस्याओं की ओर ले जाती है। क्या यह अच्छा होगा कि सभी आयोगों को एक व्यापक मानव अधिकार आयोग के छत्र में विलय कर दिया जाए? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए। (250 शब्द)
  • इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ई ० वी ० एम ०) के इस्तेमाल संबंधी हाल के विवाद के आलोक में, भारत में चुनावों की विश्वस्यता सुनिश्चित करने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग के समक्ष क्या-क्या चुनौतियाँ हैं?(150 शब्द)
  • क्या राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एन ० सी ० एस ० सी ०) धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थानों में अनुसूचित जातियों के लिए संवैधानिक आरक्षण के क्रियान्यवन का प्रवर्तन करा सकता है? परीक्षण कीजिए। (150 शब्द)
  • किन परिस्थितियों में भारत के राष्ट्रपति के द्वारा वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा की जा यक्ति है? ऐसी उद्घोषणा के लागू रहने तक, इसके अनुसरण के क्या-क्या परिणाम होते है? (150 शब्द)
  • आप यह क्यों सोचते है कि समितियाँ संसदीय कार्यों के लिए उपयोगी मानी जाती है?इस संदर्भ में प्राक्कलन समिति की भूमिका की विवेचना कीजिए। (150 शब्द)
  • “नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सी ० ए ० जी ०) को एक अत्यावश्यक भूमिका निभानी होती है।” व्याख्या कीजिए की यह किस प्रकार उसकी नियुक्ति की विधि और शर्तों और साथ ही साथ उन अधिकारों के विस्तार से परिलक्षित होती है, जिनका प्रयोग वह कर सकता है। (150 शब्द)
  • क्या उच्चतम न्यायालय का निर्णय (जुलाई 2018) दिल्ली के उप-राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच राजनैतिक कशमकश को निपटा सकता है? परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)

2017

  • संविधान (एक सौ एक संशोधन) अधिनियम, 2016 के प्रमुख अभिलक्षणों को समझाइए। क्या आप समझते है यह “करों के सोपाणिक प्रभाव को समाप्त करने में और माल तथा सेवाओं के लिए साझा राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध करने में” काफी प्रभावकारी है? (250 शब्द)
  • निजता के अधिकार पर उच्चतम न्यायालय के नवीनतम निर्णय के आलोक में, मौलिक अधिकारों के विस्तार का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
  • भारतीय संविधान में संसद के दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाने का प्रावधान है। उन अवसरों को गिनाइए जब सामान्यतः यह होता है तथा उन अवसरों को भी जब यह नही किया जा सकता, और इसके कारण भी बताइए। (250 शब्द)
  • भारत मे लोकतंत्र की गुणता को बढ़ाने के लिए भारत के चुनाव आयोग ने 2016 में चुनावी सुधारों का प्रस्ताव दिया है। सुझाए गए सुधार क्या हैं और लिकतंत्र को सफल बनाने में वे किस सीमा तक महत्वपूर्ण है?
  • “भारत में स्थानीय स्वशासन पद्धति, शासन का प्रभावी साधन साबित नही हुई है।” इस कथं का समलीचनात्मक परीक्षण कीजीए तथा स्थिति में सुधार के लिए अपने विचार प्रस्तुत कीजिए। (150 शब्द)
  • भारत में उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014’ पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का समालोचनात्मक परीक्षण कीजीए। (150 शब्द)
  • “लोकसभा और राज्य विधानसभाओ के एक ही समय में चुनाव, चुनाव-प्रचार की अवधि और व्यय को तो सीमित कर देंगे, परंतु ऐसा करने से लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही कम हो जाएगी।” (150 शब्द)
  • भारतीय राजनीतिक प्रक्रम को दबाव समूह किस प्रकार प्रभावित करते हैं? क्या आप इस मत से सहमत हैं की हाल के वर्षों में अनौपचारिक दबाव समूह, औपचारिक दबाव समूह की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली रूप में उभरे है? (150 शब्द)

2016

  • संघ और राज्यों के लेखाओं के संबध में, नियंत्रक और महालेखापरीक्षक की शक्तिओं का प्रयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 149 से व्युत्पन्न है। चर्चा कीजिए कि क्या सरकार की नीति कार्यान्वयन की लेखापरीक्षा करना अपने स्वयं (नियंत्रक और महालेखापरीक्षक) की अधिकारिता का अतिक्रमण करना होगा या कि नहीं।
  • ‘उद्देशिका (प्रस्तावना) में शब्द ‘गणराज्य’ के साथ जुड़े प्रत्येक विशेषण पर चर्चा कीजिए। क्या वर्तमान परिस्थितियों में वे प्रतिरक्षणीय है?
  • कोहिलो केस में क्या अभिनिर्धारित किया गया था? इस सन्दर्भ में, क्या आप कह सकते है की न्यायिक पुनर्विलोकन संविधान के बुनियादी अभिलक्षणों में प्रमुख महत्त्व का है?
  • क्या भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने एक परिसंघीय संविधान निर्धारित कर दिया था? चर्चा कीजिए।
  • अर्ध-न्यायिक (न्यायिकवत) निकाय से क्या तात्पर्य है? ठोस उदहारणों की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
  •  69वे संविधानं संशोधन अधिनियम के उन अत्यावश्यक तत्वों और विषमताओं, यदि कोई हो, पर चर्चा कीजिए, जिन्होंने दिल्ली के प्रशासन में निर्वाचित प्रतिनिधियों और उप-राज्यपाल के बीच हाल में समाचारों में आये मतभेदों को पैदा कर दिया है। क्या आपके विचार में इससे भारतीय परिसंधीय राजनीति के प्रकार्यण में एक नई प्रवत्ति का उदय होगा?
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जिसके साथ हाशिया नोट फ्जम्मू-कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में अस्थाई उपबंधय् लगा हुआ है, किस सीमा तक अस्थाई है? भारतीय राज्य-व्यवस्था के सन्दर्भ में इस उपबंध की भावी सम्भावनाओ पर चर्चा कीजिए?
  • “भारतीय राजनीतिक पार्टी प्रणाली परिवर्तन के ऐसे दौर से गुजर रही है, जो अंतरर्विरोधो और विरोधाभासों से भरा प्रतीत होता है।” चर्चा कीजिए।

2015

  • खाप पंचायतें-संविधानेतर प्राधिकरणों के तौर पर प्रकार्य करने, अक्सर मानवाधिकार उल्लंघनों की कोटि में आने वाले निर्णयों को देने के कारण खबरों में बनी रही हैं। इस संबंध में स्थिति को ठीक करने के लिए विधानमंडल, कार्यपालिका और न्यायपालिका द्वारा की गई कार्रवाइयों पर समालोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  • अध्यादेशों का आश्रय लेने ने हमेशा ही शक्तियों के पृथक्करण सिद्धांत की भावना के उल्लंघन पर चिंता जागृत की है। अध्यादेशों को लागू करने की शक्ति के तर्काधार को नोट करते हुए विश्लेषण कीजिए कि क्या इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के विनिश्चयों ने इस शक्ति का आश्रय लेने को और सुगम बना दिया है। क्या अध्यादेशों को लागू करने की शक्ति का निरसन कर दिया जाना चाहिए?
  •  राष्ट्रपति द्वारा हाल में प्रख्यापित अध्यादेश के द्वारा माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 में क्या प्रमुख परिवर्तन किए गए हैं? यह भारत के विवाद समाधान यांत्रिकत्व को किस सीमा तक सुधारेगा? चर्चा कीजिए।
  • क्या स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार में दीवाली के दौरान पटाखे जलाने के विधिक विनियम भी शामिल हैं? इस पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के, और इस संबंध में शीर्ष न्यायालय के निर्णय/निर्णयों के, प्रकाश में चर्चा कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि वे कौन-से संभावित कारक हैं जो भारत को राज्य की नीति के निदेशक तत्व में प्रदत्त के अनुसार अपने नागरिकों के लिए समान सिविल संहिता को अभिनियमित करने से रोकते हैं।
  • हाल के वर्षों में सहकारी परिसंघवाद की संकल्पना पर अधिकाधिक बल दिया जाता रहा है। विद्यमान संरचना में असुविधाओं और सहकारी परिसंघवाद किस सीमा तक इन असुविधाओं का हल निकाल लेगा, इस पर प्रकाश डालिए।
  •  सुशिक्षित और व्यवस्थित स्थानीय स्तर शासन-व्यवस्था की अनुपस्थिति में ‘पंचायतें’ और ‘समितियाँ’ मुख्यतः राजनीतिक संस्थाएँ बनी रही हैं न कि शासन के प्रभावी उपकरण। समालोचनापूर्वक चर्चा कीजिए।

2014

  • आप ‘वाक् और अभिव्यक्ति स्वातंत्रय’ संकल्पना से क्या समझते है? क्या इसकी परिधि में घृणा वाक् भी आता है? भारत में फिल्में अभिव्यक्ति के अन्य रूपों से तनिक भिन्न स्तर पर क्यों है? चर्चा कीजिए।
  •  मृत्यु दंडादेशों के लघूकरण में राष्ट्रपति के विलंब के उदाहरण न्याय प्रत्याख्यान के रूप में लोक वाद-विवाद के अधीन आए हैं। क्या राष्ट्रपति द्वारा ऐसी याचिकाओं को स्वीकार करने/अस्वीकार करने के लिए एक समय सीमा का विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए? विश्लेषण कीजिए।
  • भारत में राष्ट्रीय मानव अधिकारी आयोग सर्वाधिक प्रभावी तभी हो सकता है, जब इसके कार्यों को सरकार की जवाबदेही को सुनिश्चित करने वाले अन्य नागरिकों का पर्याप्त समर्थन प्राप्त हो। उपरोक्त टिप्पणी में प्रकाश में, मानव अधिकार मानकों को प्रोन्नति करने और उनकी रक्षा करने में, न्यायपालिका और अन्य संस्थाओं के प्रभावी पूरक के तौर पर, एन.एच.आर.सी. की भूमिका का आकलन कीजिए।
  • ‘आधारिक संरचना’ के सिद्धांत से प्रारंभ करते हुए, न्यायपालिका ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत एक उन्नतिशील लोकतंत्र के रूप में विकसित करे, एक उच्चतः अग्रलक्षी भूमिका निभाई है। इस कथन के प्रकाश में, लोकतंत्र के आदर्शाे की प्राप्ति के लिए हाल के समय में ‘न्यायिक सक्रियतावाद’ द्वारा निभाई भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  • यद्यपि परिसंघीय सिद्धांत हमारे संविधान में प्रबल है और वह सिद्धांत संविधान के आधारिक अभिलक्षणों में से एक है, परंतु यह भी इतना ही सत्य है कि भारतीय संविधान के अधीन परिसंघवाद सशक्त केंद्र के पक्ष में झुका हुआ है। यह एक ऐसा लक्षण है जो प्रबल परिसंघवाद की संकल्पना के विरोध में है। चर्चा कीजिए।
  •  संसद और उसके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ, जैसे कि वे संविधान की धारा 105 में परिकल्पित हैं, अनेकों असंहिताबद्ध और अ-परिगणित विशषाधिकारों के जारी रहने का स्थान खाली छोड़ देती हैं। संसदीय विशेषाधिकारों के विधिक संहिताकरण की अनुपस्थिति के कारणों का आकलन कीजिए। इस समस्या का क्या समाधान निकाला जा सकता है?

2013

  • कुछ वर्षों से सांसदों की व्यक्तिगत भूमिका में कमी आई है जिसके फलस्वरूप नीतिगत मामलों में स्वस्थ रचनात्मक बहस प्रायः देखने को नहीं मिलती। दल परिवर्तन विरोधी कानून, जो भिन्न उद्देश्य से बनाया गया था, को कहाँ तक इसके लिए उत्तरदायी माना जा सकता है?
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A की इससे कथित संविधान के अनुच्छेद 19 के उल्लंघन के संदर्भ में विवेचना कीजिए।
  • पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के हाल के निदेशों को ‘नागाओं’ द्वारा उनके राज्य को मिली विशिष्ट स्थिति को रद्द करने के ऽतरे के रूप में देखा गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371A के आलोक में इसकी विवेचना कीजिए।
  • ‘संविधान में संशोधन करने संसद के स्वैच्छिक अधिकार पर भारत का उच्चतम न्यायालय नियंत्रण रखता है।’ समालोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  • अन्तर-राज्य जल विवादों का समाधान करने में सांविधानिक प्रक्रियाएँ समस्याओं को सम्बोधित करने व हल करने में असफल रही है। क्या यह असफलता संरचनात्मक अथवा प्रक्रियात्मक अपर्याप्तता अथवा दोनों के कारण हुई है? विवेचना कीजिए।
  • प्रभावक-समूह राजनीति को कभी-कभी राजनीति का अनौपचारिक मुखपृष्ठ माना जाता है। उपर्युक्त के संबंध में, भारत में प्रभावक-समूहों की संरचना व कार्यप्रणाली का आकलन कीजिए।

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