UPSC Political science (PSIR) Optional Question Paper 2013: प्रश्न पत्र I

खण्ड- A

1. निम्नलिखित में से प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणी लिखिए:

(a) “वैयक्तिक राजनीतिक ही है”
(b) “मूलभूत स्थिति”
(c) “बिना तलवार मात्र प्रसंविदाएं कोरे शब्द हैं, जिनमें किसी को सुरक्षा देने की शक्ति नहीं होती” (हॉब्स)
(d) श्री अरबिन्द का “स्वतंत्रता विषयक विचार”
(e) आधुनिकीकर्ता के रूप में सैयद अहमद खान

2.(a) उदारतावाद की समुदायवादी समीक्षा का विवेचन कीजिए।
(b) अम्बेडकर कृत मार्क्सवाद की समीक्षा का परीक्षण कीजिए।
(c) ग्रामसी के अनुसार, आधिपत्य (प्राधान्य) एवं प्रभुत्व के बीच का अंतर स्पष्ट कीजिए।

3. (a) प्राकृतिक अधिकारों और मानवीय अधिकारों के बीच संबंध का विश्लेषण कीजिए।
(b) प्रवहीँ भारतीय राजनीतिक विचारधारा में प्रतिपादित ‘धर्म’ के महत्व का परीक्षण कीजिए।
(c) मार्क्स के अनुसार राज्य को किस रूप में भौतिकवादी माना जा सकता है> चर्चा कीजिए।

4. (a) मूल्यपरक बहुलवाद सम्बन्धी बर्लिन की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
(b) राज्य के विषय में कौटिल्य के सप्तांग सिद्धांत का विश्लेषण कीजिए।
(c) लास्लेट के दृढ़-कथन, कि हॉब्स नहीं, अपितु फ़िलमर, लॉक का मुख्य विरोधी था, पर टिप्पणी कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हों:

(a) भारत मे स्वतंत्रता आन्दोलन के विषय में मार्क्सवादी धारणा
(b) उद्देशिका का महत्व
(c) भारतीय संसद का ह्रास
(d) विकास का गाँधीवादी परिप्रेक्ष्य और उसकी समसामयिक प्रासंगिकता
(e) चिपको आन्दोलन तथा नर्मदा बचाओ आन्दोलन उसकी पारस्परिक तुलना और अंतर

6. (a) भारत में हाल के समय की नृजातीय राजनीति की परिघटना की व्याख्या कीजिए।
(b) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के महत्व का विश्लेषण कीजिए।
(c) भारतीय संविधान के अंतिम निर्वचक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका का परीक्षण कीजिए।

7. (a) “सहकारी संघवाद से ही यद्यपि प्रबल केन्द्रीय अथवा सामान्य सरकार का जन्म होता है, तथापि अनिवार्यतः इसके फलस्वरूप प्रायः केन्द्रीय नीतियों की प्रशासनिक अभिकरण बन जाने वाली दुर्बल प्रांतीय सरकारें उत्पन्न नहीं होती। भारतीय संघवाद से यही प्रदर्शित हुआ है।” (ग्रानविल ऑस्टिन)
(b) भारतीय राजनीति में प्रतिमान रूप में “एकदलीय प्रभुत्व” (डब्ल्यू. एच. मौरिस-जोन्स) की अवधारणा आज किस सीमा तक प्रासंगिक है? व्याख्या कीजिए।
(c) भारत में मिली-जुली (गठबंधन) सरकार के प्रधानमंत्री की स्थिति का विश्लेषण कीजिए।

8. (a) मौलिक अधिकारों के संदर्भ में अनुच्छेद 368 के विस्तार-क्षेत्र को समझने की दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय के ‘गोलकनाथ’ एवं ‘केशवनन्द भारती’ विषयक निर्णयों के महत्व का परीक्षण कीजिए।
(b) भारत में नारी आन्दोलन के सिलसिले में ‘समता की ओर (1974)’ नामक परिपत्र के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए उस पर टिप्पणी कीजिए।
(c) 73 वें संविधान-संशोधन अधिनियम के विशेष संदर्भ में पंचायती राज संस्थाओं की परिवर्तनशील संरचना का परीक्षण कीजिए।


UPSC Political science (PSIR) Optional Question Paper 2013: प्रश्न पत्र II

खण्ड- A

1. निम्नलिखित के उत्तर दीजिए, जो लगभग 150 शब्दों में हों:-

(a) भारतीय विदेश-नीति में परिवर्तन के तत्वों का परिचय दीजिए।
(b) ‘विश्व व्यापार संगठन’ (डब्ल्यू. टी. ओ.) की वार्ताओं में भारतवर्ष की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
(c) भारत-जापान संबंधों की हाल की गतिविधियों का परीक्षण कीजिए।
(d) सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की माँग के विरुद्ध की जाने वाली आपत्तियों का वर्णन कीजिए।
(e) भारत का नाभिकीय मत क्या एक व्यवहार्य सिद्धांत है?

2. निम्नलिखित के उत्तर दीजिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हो:-

(a) विकसित औद्योगिक समाजों और विकासशील समाजों के सामाजिक आंदोलनों की तुलना करते हुए उनके बीच के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
(b) विश्व-राजनीति के क्षेत्रीयकरण के कारणों पर प्रकाश डालिए।
(c) विश्व के पर्यावर्णिक सरोकारों के विषय में भारत और चीन की दृष्टियों की तुलना करते हुए उनके बीच के अंतर को स्पष्ट कीजिए।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हो:-

(a) नाभिकीय बहुप्रजता के संदर्भ में मानकों, निषेधों तथा धर्मानुयायी समुदायों की क्या भूमिका रहती है?
(b) एक क्षेत्रीय आर्थिक एवं व्यापारिक व्यवस्था के रूप में ए.पी.ई.सी. (APEC) को प्रमाणित कीजिए।
(c) शीतयुद्धोंत्तर काल में अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक अर्थव्यवस्था में हुए मुख्य परिवर्तनों का परिचय दीजिए।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हो:-

(a) राजनैतिक प्रक्रिया में सामाजिक आन्दोलन का उत्थान क्या जनप्रिय सोपान का सभारंभ है या प्रतिनिधिक राजनीति का ह्रास? परीक्षण कीजिए।
(b) ‘गुटनिरपेक्षता 2.0’ प्रलेख के प्रमुख तत्वों पर प्रकाश डालिए।
(c) वैश्विक अर्थव्यवस्था में लिंग की भूमिका और उसके महत्व का परिचय दीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हो:-

(a) सोवियत-परवर्ती विश्व में अमरीकी प्रभुत्व के विरुद्ध चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
(b) शीतयुद्धोंत्तर काल में नाभिकीय बहुप्रजता की गति किस ओर संकर्त कर रही है?
(c) विश्व राजनीति की कार्यावली में लिंगन्याय के स्थान का विवेचन कीजिए।
(d) ‘वैश्विक सामान्यजन विश्व-समाज का अंग है, अतएव विश्व को हि उनकी चिंता करनी पड़ेगी।’ टिप्पणी कीजिए।
(e) वाशिंगटन सर्वानुमति से लेकर वर्तमान युग तक वैश्विक अर्थव्यवस्था की यात्रा का अंकन कीजिए।

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हो:-

(a) राज्यकेंद्रस्थ विश्व-दृष्टि के प्रमुख सिद्धांतों का परीक्षण कीजिए।
(b) मार्क्सवादी दृष्टि समसामयिक अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की व्याख्या किस प्रकार करती है?
(c) ‘राष्ट्रीय हित गतिशील होते हैं।’ उपयुक्त उदाहरण देते हुए समसामयिक विश्व-राजनीति में राष्ट्र हितों की गतिशील प्रकृति का परिचय दीजिए।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हो:-

(a) ‘भारतवर्ष के विदेश-व्यापार की आर्थिक अंतर्वस्तु अधिकाधिक बढ़ रही है।’ पिछले दशक में घटित आर्थिक राजनयिक गतिविधियों द्वारा उपर्युक्त कथन की पुष्टि कीजिए।
(b) यथार्थवाद के पूर्ववर्ती बुद्धिवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।
(c) ‘शक्ति का अंश दर अंश क्रमशः निर्माण’ ही प्रकार्यवाद का आधार है। सविस्तार विवेचन कीजिए।

8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए, जो प्रत्येक लगभग 250 शब्दों में हो:-

(a) ‘राष्ट्रपारीय सक्रिय व्यक्ति वैश्विक राजनीति की प्रेरक शक्ति बन गए हैं।’ सविस्तार विवेचन कीजिए।
(b) ‘न्यूनतम राज्य वैयक्तिक स्वातंत्र्य को सुनिश्चित करता है।’ न्यूनतम राज्य की संकल्पना का परीक्षण कीजिए।
(c) ‘अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के अंतर्गत शक्तियों के प्रभुत्व को बनाए रखने के निमित्त सामूहिक सुरक्षा एवं सामूहिक प्रतिरक्षा संस्थागत एवं राज्यतंत्र का काम करते हैं।’ विस्तृत विवेचन कीजिए।


Similar Posts

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments