द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की दुनिया: दो शक्ति गुटों का उदय; तीसरी दुनिया का उद्भव और गुटनिरपेक्षता; यूएनओ और वैश्विक विवाद।

  1. द्वितीय विश्व युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण प्रभावों में से एक “यूरोप का विभाजन”, पूर्वी और पश्चिमी था।(1998)
  1. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के परिदृश्य में युद्ध में मित्र शांति में मित्र नहीं रहे। अपने अध्ययन काल में इस दृष्टिकोण की सत्यता का परीक्षण करें।(1999)
  1. “द्वितीय विश्व युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में से एक ‘यूरोप का पूर्वी और पश्चिमी विभाजन’ था।” टिप्पणी करें।(2002)
  1. ‘सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का हृदय है।’(2003)
  1. 1947 और 1962 के बीच शीत युद्ध के विभिन्न आयामों और चरणों का आलोचनात्मक परीक्षण करें।(2005)
  1. “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, सोवियत गुट के प्रति पश्चिम की रणनीति ‘नियंत्रण की नीति” के रूप में सामने आई। टिप्पणी।(2008)
  1. संयुक्त राष्ट्र संगठन के शांति स्थापना प्रयासों का परीक्षण करें।(2009)
  1. “यूरोप को 1945 में शांति का सामना करना पड़ा, राजनीतिक रूप से असंगठित और आर्थिक रूप से अपंग हो गया।” विस्तार से बताएं।(2010)
  1. तीसरी दुनिया के उद्भव के लिए अग्रणी परिस्थितियों की व्याख्या करें और विश्व मामलों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करें।(2010)
  1. क्या आप इस बात से सहमत होंगे कि गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने शांति के माहौल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?(2011)
  1.  “चार्टर को सावधानी से बनाने पर भी संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति के रखवाले और अन्तराष्ट्रीय मध्यस्थ की भूमिका लगभग मंद और निष्प्रभावी रही है और शीत युद्ध की समाप्ति पर भी स्थिति वही है।” स्पष्ट कीजिए। (2013)
  1. 1956 के सवेज संकट की उत्तरदायी परिस्थितियों का विवेचन कीजिए और वैश्विक राजनीति पर इसके प्रभावों ल परीक्षण कीजिए। (2014)
  1. “दो विश्व युद्धों के कारण यूरोपीय मूर्खता के माध्यम से यूरोप को ग्रहण लग गया था।” अविस्तार स्पष्ट कीजिए। (2014)
  1. “ट्रूमेंन सिद्धान्त एवं मार्शल प्लान को रूसी धड़े ने रूसी प्रभाव को सीमित करने के लिए एक शस्त्र के रूप में माना।” समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (2015)
  1. “संयुक्त राष्ट्र संघ (यू ० एन ० ओ ०) का निर्माण ‘लीग ऑफ नेशंस’ के अनुभव के प्रकाश में किया गया था, परन्तु संयुक्त राष्ट्र संघ के संविधान में शामिल अधिदेश के बावजूद, विश्व शांति को बनाए रखने में इसकी प्रभावी भूमिका में संसंजकता और सामूहिक उपागम का अभाव रहा है।” परीक्षण कीजिए। (2015)
  1. “विश्व मामलों में गुट-निरपेक्ष आंदोलन की भूमिका को बड़ा नुकसान हुआ है, जिसका कारण तीसरी दुनिया के राष्ट्रों, जिन्होंने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया था, के मध्य परस्पर संहारक द्वन्दों का होना है।” स्पष्ट कीजिए। (2015)
  1. वैमनस्य शैथिल्य की ओर बढ़ती हुई परिस्थितियों की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए। (2016)
  1. मार्शल योजना को अपनाने की परिस्थितियों की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए। (2018)
  1. चर्चा कीजिए कि वर्ष 1946 से 1991 तक संयुक्त राक्षत्र संघ किस हद तक वैश्विक विवादों को हल करने में सफल रहा है। (2018)
  1. “गुटनिरपेक्षता, भारत तथा अन्य नव स्वतंत्र राष्ट्रों के उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद से अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने व सशक्त करने के संघर्ष के प्रतीक के रूप में मानी गई ।” (2019)
  1. “नए आजाद हुए देशों के बाहुल्य को ‘तृतीय विश्व’ के रूप में जाना गया जो न तो प्रथम बिश्व के पूंजीवादी लोकतन्त्र थे, और ना ही दूसरे विश्व के साम्यवादी देशों से सम्बन्धित थे।” (2020)
  1. शीत युद्ध के दौरान, गुट-निपेक्ष आन्दोलन के कुछ महत्वपूर्ण नेता इस आन्दोलन को सैन्य गुटों से दूर रखना चाहते थे। (2021)
  1. क्या आप समझते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय विवादों के निपटारे तथा विश्व में शांति बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है? (2021)

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