भौगोलिक कारक; शिकार करना और एकत्र करना (पुरापाषाण और मध्यपाषाण); कृषि की शुरुआत (नवपाषाण और ताम्रपाषाण काल)।

  1. भारत में नवपाषाण मानव की प्रगति को समझने में पुरातात्विक सामग्रियाँ किस सीमा तक उपयोगी हैं?(2010)
  2. लिखित लिपि के अभाव में ताम्रपाषाणीय मृदभांड हमको समकालीन संस्कृति एवं जीवन शैलियों का अद्भुत ज्ञान देते हैं। आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए। (2013)
  3. भारत में नवपाषाणकाल की प्रादेशिक विशिष्टताओं की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए और उनका कारण भी बताइए । (2016)
  4. मध्य भारत और दक्कन में गैर-हड़प्पाकालीन ताम्रपाषाण संस्कृतियों का उदय न केवल लोगों की जीवन-निर्वाह की पद्धति में परिवर्तन का द्योतक है, वरन् प्राक् से आद्य ऐतिहासिक काल के समग्र संक्रमण का भी द्योतक है। समालोचनापूर्वक विश्लेषण कीजिए। (2017)

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