अलगाववाद की राजनीति; मुस्लिम लीग; हिंदू महासभा; साम्प्रदायिकता और विभाजन की राजनीति; सत्ता का हस्तांतरण; आजादी।
- 1937 से 1947 तक मुस्लिम लीग की राजनीति के मुख्य पहलुओं की जाँच करें। क्या देश का विभाजन अपरिहार्य था?(1989)
- ‘लॉर्ड माउंटबेटन सैन्य भाषा में एक ऑपरेशन, रिट्रीट आयोजित करने का आदेश लेकर आए थे।’ लगभग 200 शब्दों में टिप्पणी करें।(1990)
- ‘इसलिए, माउंटबेटन का कार्य केवल विवरणों पर काम करना और विभाजन को प्रभावित करना था, जिसकी मांग लीग ने की थी और जिसे ब्रिटिश सरकार और कांग्रेस दोनों ने स्वीकार कर लिया था; और नया वायसराय इसे निष्पादित करने के लिए आदेशात्मक ढंग से आगे बढ़ा।’ टिप्पणी।(1993)
- “कांग्रेस की ताकत का महिमामंडन करना और लीग की ताकत को नकारना अंधा होना है।” (पी.सी.जोशी, 1945)। टिप्पणी।(1994)
- पाकिस्तान आंदोलन ने लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक इकाई को अलगाववादी राजनीतिक ताकत में बदल दिया। स्पष्ट करें.(1996)
- “स्वतंत्रता और विभाजन दोनों भारतीय मध्यम वर्ग का काम थे।” टिप्पणी।(1998)
- भारतीय मुस्लिम लीग की उत्पत्ति और विकास का पता लगाएँ।(1999)
- ‘इसलिए हम ब्रिटिश सरकार को यह सलाह देने में असमर्थ हैं कि जो शक्ति वर्तमान में ब्रिटिश हाथों में है, उसे दो पूरी तरह से अलग संप्रभु राज्यों को सौंप दिया जाना चाहिए।’ टिप्पणी करें।(2004)
- “मुझे लगा कि यदि हमने विभाजन स्वीकार नहीं किया तो भारत कई टुकड़ों में विभाजित हो जाएगा और पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।” टिप्पणी करें।(2006)
- “मानव जाति के इतिहास में किसी कवि और दार्शनिक द्वारा अपने लोगों के भाग्य को आकार देने में ऐसा चमत्कार करने का कोई अन्य उदाहरण नहीं है।” (एम. इकबाल को श्रद्धांजलि) टिप्पणी करें।(2007)
- चर्चा करें कि कांग्रेस ने 1947 में भारत का विभाजन क्यों स्वीकार किया?(2009)
- “1937-1939 के दौरान हुए घटनाक्रम ने राष्ट्रीय एकता के एजेंडे को आगे बढ़ाने की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की क्षमता को बहुत कम कर दिया।” टिप्पणी।(2010)
- “आखिरकार अंग्रेजों ने 15 अगस्त,1947 को भारत को क्यों छोड़ा ? साम्राज्यवादी उत्तर यह है कि स्वतंत्रता केवल अंग्रेजों के स्वनिर्धारित उद्देश्य को पूर्ण कर स्वशासन में भारतीयों की सहायता करना था।” परीक्षण कीजिए। (2014)
- 1930 तथा 1940 के दशकों में विभाजन की राजनीति में विभिन्न घुमावों तथा मरोड़ो का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (2018)
- “भारतीय नेताओं से अपने वार्तालाप तथा अपने मत के आधार पर लार्ड माउण्टबैटन शीघ्र इस निष्कर्ष पर पहुचे कि विभाजन ही एकमात्र व्यावहारिक तथा यथोचित समाधान था।” (2020)