क्रांतिकारी: बंगाल, पंजाब। महाराष्ट्र। यू.पी., मद्रास प्रेसीडेंसी। भारत के बाहर. छोड़ा; कांग्रेस के भीतर वामपंथी: जवाहरलाल नेहरू। सुभाष चंद्र बोस, कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अन्य वामपंथी दल।

  1. कांग्रेस के भीतर वामपंथ के उदय और वृद्धि का विवरण दीजिए। क्या जवाहरलाल नेहरू भारतीय और विश्व समस्याओं के प्रति समाजवादी दृष्टिकोण में विश्वास करते थे और यदि हां तो क्यों?(1986)
  1. ‘राष्ट्रीय आंदोलन ने संवैधानिक समस्याओं के अलावा अन्य समस्याओं के प्रति भी चिंता दिखाई है।’ उन कारकों पर चर्चा करें जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में वामपंथी विचारधारा के उदय में मदद की।(1990)
  1. कांग्रेस आंदोलन में वामपंथ के उदय और विकास का विवरण दीजिए। इसका समकालीन भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा?(1997)
  1. “सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा राष्ट्रवाद, फासीवाद और साम्यवाद का मिश्रण थी।” टिप्पणी।(2002)
  1. कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के नेतृत्व और कार्यक्रम की प्रकृति पर चर्चा करें।(2002)
  1. 1905 से 1931 तक भारत में क्रांतिकारी आंदोलनों के उदय और प्रगति के कारणों का परीक्षण करें।(2003)
  1. कांग्रेस के भीतर वामपंथ के उद्भव का कारण बताइए। इसने कांग्रेस के कार्यक्रम और नीति को कहाँ तक प्रभावित किया?(2006)
  1. 1905-1946 के बीच भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों के बदलते स्वरूप का वर्णन करें।(2008)
  1. “कांग्रेस में वामपंथी समूह के उद्भव ने सामाजिक और आर्थिक एजेंडे को कट्टरपंथी बना दिया।” आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।(2011)
  1.  “बम एवं गुप्त समिति तथा सक्रियता एवं बलिदान के माध्यम से प्रचार के विचार मात्र, पश्चिम से आयात हुए थे।” (2015)
  1. “परवर्ती 1920 एवं 1930 के दशकों में भारत में एक शक्तिशाली वामपंथी गुट विकसित हुआ। जिसने राष्ट्रीय आन्दोलन को मौलिक दृष्टि से परिवर्तित करने की दिशा में योगदान दिया।” समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (2015)
  1. गदर आन्दोलन की उत्पत्ति की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए तथा भारत में क्रांतिकारियों पर उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए। (2017)
  1. विश्व युद्ध I और II के बीच भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में समाजवादी विचारधाराओं के विभिन्न स्वरूपों की संवृद्धि को स्पष्ट कीजिए। (2018)
  1. भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में सुभाष चन्द्र बोस की भूमिका का मूल्यकन कीजिए। (2019)
  1. “भारत में ट्रेड यूनियन आन्दोलन ने महत्वपूर्ण पड़ावों पर न केवल राष्ट्रीय संघर्ष के आह्वान का समर्थन किया वरन् अनेक मार्गों से इसके विषय तथा स्वरूप को भी प्रभावित किया।” (2020)
  1. 1920 के दशक में भारत में कम्युनिस्ट आन्दोलन के उदय ने ट्रेड यूनियन आन्दोलन को एक उग्रवादी तथा क्रांतिकारी सामग्री प्रदान की। (2021)

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