दिल्ली सल्तनत की स्थापना: घुरलान आक्रमण – घुरलान की सफलता के पीछे के कारक;
आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिणाम;
दिल्ली सल्तनत और प्रारंभिक तुर्की सुल्तानों की स्थापना;
एकीकरण: इल्तुतमलश और बलबन का शासन
- बलबन को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा? उन्हें सुलझाने में वह कहां तक सफल हुए? क्या वह राजत्व के अपने सिद्धांत में एक ट्रेंड-सेटर था?(1985)
- : बलबन का राजत्व का सिद्धांत लगभग 200 शब्दों में टिप्पणी करें।(1995)
- ग़यासुद्दीन बलबन का एक अनुमान दीजिए।(1996)
- “राजपूतों की निम्न घुड़सवार सेना तुर्क-अफगानों और मुगलों के हाथों उनकी हार का एकमात्र कारण नहीं थी।” टिप्पणी।(2001)
- ‘कोर ऑफ़ फोर्टी’ और उसके सुल्तानों के साथ संबंधों पर संक्षिप्त निबंध लिखें।(2004)
- ‘कोर ऑफ़ फोर्टी’ और उसके सुल्तान के साथ संबंधों पर लघु निबंध लिखें।(2008)
- दिल्ली सल्तनत के विस्तार और सुदृढ़ीकरण में इल्तुतमिश के योगदान का मूल्यांकन करें।(2011)
- विभिन्न बाधाओं के बावजूद स्वतंत्र शासक के रूप में अपनी परिस्थिति सुदृढ़ करने के लिए रजिया सुल्तान ने जो कदम उठाए उनका विश्लेषण कीजिए। (2013)
- मंगोल खतरे का सामना करने के लिए बलबन ने क्या कदम उठाए थे? (2015)
- बलबन की ‘रक्त और लोहे’ नीति का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (150 शब्द)(2017)
- “तराईन और चंदावर की लड़ाइयों ने भारत में तुर्की शासन की नींव रखी थी” । विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।(2018)
- आन्तरिक कलह एवं संघर्ष में लिप्त व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा वाले भारत पर आक्रमण करना गौरी को पर्याप्त निमंत्रण था। विवेचना कीजिए। (2019)
- तुर्की आक्रमण के सामने उत्तरभारतीय राज्यों के पराजित होने के कारणों का आकलन कीजिए। (2020)
- क्या आप सुल्तान इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक मानते हैं? विवेचना कीजिए। (2021)
- ‘इक्ता’ प्रथा के महत्व की विवेचना कीजिए। दिल्ली सल्तनत के प्रशासन के केन्द्रीकरण में इसने कैसे मदद की? (2021)