कदंब, पल्लव, बादामल के चालुक्य; राजव्यवस्था और प्रशासन, व्यापार संघ। साहित्य; वैष्णव और शैव धर्म का विकास। तमिल भक्त आंदोलन, शंकराचार्य; वेदान्त; मंदिर और मंदिर वास्तुकला संस्थान; पाल, सेन, राष्ट्रकूट, परमार, राजव्यवस्था और प्रशासन; सांस्कृतिक पहलू। सिंध पर अरबों की विजय; अल्बरूनी, कल्याण के चालुक्य, चोल, होयसल, पांड्य; राजव्यवस्था और प्रशासन; स्थानीय सरकार; कला और वास्तुकला, धार्मिक संप्रदायों का विकास। मंदिर और मठों की संस्था, अग्रहार, शिक्षा और साहित्य, अर्थव्यवस्था और समाज।

  1. चालुक्यों और पल्लवों के बीच संघर्ष के इतिहास का संक्षेप में वर्णन करें। इसके कारणों का विश्लेषण कीजिए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।(1985)
  1. भारतीय वास्तुकला में पल्लवों का योगदान।(1986)
  1. दक्षिण भारत में कला और प्रशासन के विकास के इतिहास में पल्लवों के योगदान के महत्व का मूल्यांकन कीजिए ।(1988)
  1. कांची के पल्लवों और वातापी के चालुक्यों के अधीन प्रशासनिक व्यवस्था और कला के विकास का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए ।(1990)
  1. कांची के पल्लवों और बादामी के चालुक्यों का काल किस प्रकार प्रायद्वीपीय भारत में एक नए ऐतिहासिक चरण की शुरुआत का प्रतीक होगा?(1991)
  1. यह कहना कहां तक ​​सही है कि ई.पू. के दौरान भारतीय इतिहास की शक्ति और ओजस्विता कितनी थी? 500-750 ई. विंध्य के दक्षिण में स्थित था?(1995)
  1. भारत में अरबों के आगमन के ऐतिहासिक महत्व पर संक्षिप्त निबंध लिखिए।(1995)
  1. प्रशासन और कला में पल्लवों की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिये ।(1997)
  1. बादामी के चालुक्यों और पल्लवों के बीच दक्षिण भारत में वर्चस्व के लिए संघर्ष का विवरण दीजिए।(2000)
  1. क्या राष्ट्रकूटों, गुजर प्रतिहारों और पालों के बीच त्रिकोणीय संघर्ष ने उत्तरी भारत में एक राजनीतिक शून्यता पैदा कर दी जिससे महमूद गजनवी के आक्रमण में मदद मिली?(2001)
  1. वातापी के चालुक्यों के उत्थान और अन्य शासकों के साथ उनके संघर्ष का विवरण दीजिए। कला के प्रति उनके संरक्षण पर एक टिप्पणी लिखिए।(2004)
  1. प्रारंभिक दक्षिण भारतीय मंदिरों की स्थापत्य शैली में क्षेत्रीय विविधताओं को उजागर करें।(2009)
  1. प्रारंभिक भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में श्रेणियों और व्यापार संगठनों की भूमिका का आकलन करें।(2010)
  1. 550-750 ई.पू. के दौरान प्रायद्वीपीय भारत में जीवंत सांस्कृतिक गतिविधियों का विश्लेषण करें। इसकी तुलना समकालीन उत्तर भारत की स्थिति से करें।(2012)
  1. प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में श्रेणियों (गिल्डस)एवं व्यापारिक संगठनों की भूमिका की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए। (2015)
  1. भारत में मन्दिर स्थापत्यकला के उद्भव और विकास की रूपरेखा को, उनकी प्रादेशिक शैलियों एवं विभिन्नताओं का उल्लेख करते हुए प्रस्तुत कीजिए। (2017)
  1. पल्लवों के विशेष संदर्भ में दक्षिण भारत के प्रादेशिक मंदिर स्थापत्य के उदय और विकास का वर्णन कीजिए। (2020)
  1. ‘वर्णाश्रम धर्म’ कैसे गुप्त एवं गुप्तोंत्तर काल में सामाजिक एवं आर्थिक विकास से उत्पन्न होने वाली बढ़ती सामाजिक जटिलताओं को प्रदर्शित करता है? (2021)

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