UPSC Sociology Optional Question Paper 2022: प्रश्न पत्र I

खण्ड- A

1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(a) अन्य सामाजिक विज्ञानों के संबंध में समाजशास्त्र के दायरे को परिसीमित कीजिए।
(b) एक शोधकर्ता निर्वचनात्मक (इंटरप्रिटेटिव) शोध में वस्तुनिष्ठता कैसे प्राप्त करता है?
(c) सामाजिक विज्ञान में सूचना तथा आंकड़ों के बीच अंतर सूक्ष्म है। टिप्पणी कीजिए।
(d) दुर्खीम ने तर्क दिया कि समाज व्यक्तिगत कृत्यों के योग से अधिक है। चर्चा कीजिए।
(e) समाजशास्त्री सामाजिक असमानता के विश्लेषण में लिंग (जेंडर) की परिकल्पना कैसे करते हैं?

2. (a) आपके विचार से समाजशास्त्र के उदय में ‘प्रबोध’ के किन पहलुओं ने मार्ग प्रशस्त किया? विस्तारपूर्वक समझाइए।
(b) विभिन्न प्रकार के प्रसंभाव्येतर प्रतिचयन प्रविधियों की व्याख्या कीजिए। उपयुक्त उदाहरणों सहित इसके उपयोग को समझाइए।
(c) खुली तथा बंद व्यवस्था में सामाजिक गतिशीलता की विवेचना कीजिए।

3. (a) प्रत्यक्षवादी दर्शन की वो कौन सी कमियाँ हैं जो सामाजिक यथार्थता के अध्ययन में अप्रत्यक्षवादी पद्धतियों को जन्म देती हैं?
(b) दुर्खीम तथा मर्टन मूल्यहीनता की व्याख्या कैसे करते हैं? इसका आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) फोकस ग्रुप परिचर्चा के माध्यम से आकडे एकत्र करने की प्रक्रिया में शोधकर्ता के प्रभाव को कम करने के उपाय सुझाइए।

4. (a) पूंजीवादी समाज में कार्य की गिरावट को मार्क्स के अनुसार कैसे चिन्हित किया जाता है?
(b) ऐसा दावा किया जाता है कि समाज में सामाजिक स्तरीकरण सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता के अनुरक्षण में योगदान देता है। अमलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
(c) विश्वसनीयता क्या है? इसे स्थापित करने के लिए सामाजिक विज्ञान शोधकर्ता के लिए उपलब्ध विभिन्न परीक्षणों की व्याख्या कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का संक्षिप्त उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(a) समकालीन समाज में धर्म संबंधित दुर्खीम के विचारों की प्रासंगिकता का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
(b) परिवार पर विभिन्न सिद्धांतिक परिप्रेक्ष्यों की चर्चा कीजिए।
(c) विकासशील समाजों के कार्यक्षेत्रों में नारी की उपस्थिति में वृद्धि के आशय की व्याख्या कीजिए।
(d) धर्मनिरपेक्षता के वैश्विक प्रवृत्तियों पर टिप्पणी लिखिए।
(e) विकास के परिप्रेक्षयों में सामाजिक परिवर्तन का मार्ग निर्धारण कीजिए।

6. (a) मीड के अनुसार आत्मन का विचार तब विकसित होता है जब व्यक्ति आत्म सचेतन हो जाता है। स्पष्ट कीजिए।
(b) विचारधारा आधारित राजनीति से अस्मिता आधारित राजनीति के संक्रमण के स्वरूप का विश्लेषण कीजिए।
(c) समकालीन भारतीय समाज में लघु परंपरा किस प्रकार सह-अस्तित्व में है?

7. (a) सामाजिक व्यवस्था के रूप में संबंधित पारसंस के विचारों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
(b) नव सामाजिक आन्दोलन दृष्टिकोण से ‘पर्यावरणवाद’ की व्याख्या कैसे की जा सकती है? विवेचना कीजिए।
(c) सामाजिक नीतियों के निरूपण में दबाव समूहों की भूमिका को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

8. (a) समाजशास्त्री समावेशी विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रिकरण का तर्क देते हैं । टिप्पणी कीजिए।
(b) क्या पारंपरिक सामाजिक संस्थाएं समकलीन समाज में सामाजिक परिवर्तन के कारक के रूप में शक्तिहीन होती जा रही हैं? सिद्ध करिए।
(c) पितृतंत्र तथा सामाजिक विकास के संबंध को आप कैसे समझते हैं?


UPSC Sociology Optional Question Paper 2022: प्रश्न पत्र II

खण्ड- A

1. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का,समजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, संक्षिप्त उत्तर लगभग 150 शब्दों में लिखिए:

(a) भारतीय समाज के अध्ययन के लिए एम. एन. श्रीनिवास के संरचनात्मक-प्रकार्यवादी उपागम की विस्तारपर्वक व्याख्या कीजिए।
(b) क्या आप सहमत हैं कि भारत में कृषि वर्ग संरचना परिवर्तित हो रही है? दृष्टांतों के साथ अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(c) भारत में आदिवासी समुदायों के एकीकरण की चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए।
(d) परिवर्तनशील भारतीय समाज के संदर्भ में आन्द्रे बेतै की सुसंगत (हार्मोनिक) तथा विसंगत (डिसहार्मोनिक)सामाजिक संरचनाओं की अवधारणाओं को आप किस प्रकार देखते हैं?
(e) लीला दुबे की “बीज तथा भूमि” की अवधारणा को समझाइए।

2. (a) भारतीय समाज की समझ के लिए जी. एस. घूर्ए के भारतविद्यात्मक (इंडोलोजिकल)उपागम का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(b) जाति व्यवस्था की बदलती प्रकृति को उपयुक्त दृष्टांतों सहित विस्तार से बताइए।
(c) भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की समस्याओं की चर्चा कीजिए तथा उन्हें हल करने के उपाय सुझाइए।

3. (a) योगेंद्र सिंह की ‘भारतीय परंपरा के आधुनिकीकरण’ पर थीसिस का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(b) एक वैचारिक प्रणाली के रूप में पितृसत्ता के भौतिक आधार पर चर्चा कीजिए।
(c) भारत में अस्पृश्यता के विभिन्न अवरूपों को समझाइए।

4. (a) भारतीय राष्ट्रवाद की वृद्धि की सामाजिक पृष्टभूमि का परीक्षण कीजिए।
(b) यह समझाइए कि भूमि-सुधार किस प्रकार वांछनीय कृषि रूपांतरण ला सके।
(c) भारत में ग्रामों के अध्ययन करने के दौरान आने वाली चुनौतियों की चर्चा कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का,समजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, संक्षिप्त उत्तर लगभग 150 शब्दों में लिखिए:

(a) महिला सशक्तिकरण के लिए कानून की एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में चर्चा कीजिए।
(b) भारत में धर्म-निरपेक्षीकरण की विभिन्न समझों का परीक्षण कीजिए।
(c) भारत में अनौपचारिक क्षेत्र की वृद्धि को आप किस प्रकार देखते है?
(d) लोकतंत्र को शक्तिशाली बनाने में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
(e) ग्रामीण भारत में गरीबी उन्मूलन में सहकारिता क्या भूमिका निर्वाह करती है?

6. (a) परीक्षण कीजिए कि क्या ग्रामीण बंधन अभी भी एक सामाजिक यथार्थता के रूप में जारी है। अपना तर्क दीजिए।
(b)नृजातीयता को परिभाषित कीजिए। भारत में नृजातीय आन्दोलनों की वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारकों की चर्चा कीजिए।
(c) राजनीतिक अभिजात्यों की संरचना की परिवर्तनशील प्रकृति की चर्चा कीजिए।

7. (a) “समाज में समानता प्रोत्साहित करने के स्थान पर, वर्तमान शिक्षा व्यवस्था ने स्वयं सामाजिक-आर्थिक असमानताओं में वृद्धि करने में योगदान दिया है।” टिप्पणी कीजिए।
(b) प्रवास की संरचना में हाल के रुझानों पर चर्चा कीजिए।
(c) मलिन बस्तियों से संबंधित वंचनाओं के विभिन्न स्वरूपों की चर्चा कीजिए।

8. (a) भारत में दलित आन्दोलनों में शामिल विभिन्न मुद्दों को सामने लाएं।
(b) ‘विकास तथा पर्यावरण’ के मध्य द्वन्द्वात्मकता का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(c) औद्योगिक श्रमिक-वर्ग की परिवर्तनशील प्रकृति की चर्चा कीजिए।


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