UPSC Philosophy Optional Question Paper 2024: प्रश्न पत्र I

खण्ड- A

Q1. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :

(a) प्लेटो तथा अरस्तू की आकार की अवधारणाओं के बीच विभेद कीजिए ।
(b) प्रागनुभविक निर्णयों के संदर्भ में ह्यूम के संशयवाद का कांट क्या प्रत्युत्तर देते हैं ? विवेचना कीजिए ।
(c) मूर द्वारा यह सिद्ध करने के लिए क्या युक्तियाँ प्रस्तुत की गई हैं कि कुछ ऐसे सामान्य सत्य होते हैं, जिनका ज्ञान, सामान्य बुद्धि का विषय होता है ? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए ।
(d) उत्तरवर्ती विट्गेंस्टाइन ऐसा क्यों सोचते हैं कि ऐसी कोई भाषा जिसे एक ही व्यक्ति बोलता हो, ऐसी भाषा जो सार रूप से निजी हो, संभव नहीं है ? विवेचना कीजिए ।
(e) कीर्केगार्द सत्य को विषयनिष्ठता के रूप में किस प्रकार परिभाषित करते हैं ? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए ।

Q2. (a) क्या लॉक की प्राथमिक गुणों की अवधारणा का खंडन बर्कले के प्रत्ययवाद की ओर झुकाव में सहायक है ? इस संदर्भ में, यह विवेचना भी कीजिए कि किस प्रकार बर्कले का विषयनिष्ठ प्रत्ययवाद हेगेल के निरपेक्ष प्रत्ययवाद से भिन्न है ।
(b) अपने कथन – “जो कुछ भी है, ईश्वर में है” से स्पिनोज़ा किस प्रकार यह स्थापित करते हैं कि केवल ईश्वर ही निरपेक्ष रूप से यथार्थ है ? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए ।
(c) ईश्वर की सत्ता के लिए सत्तामूलक युक्ति के विरुद्ध कांट के आक्षेपों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए ।

Q3. (a) रसेल की अपूर्ण प्रतीकों की अवधारणा की व्याख्या कीजिए। यह भी समझाइए कि किस प्रकार यह अवधारणा तार्किक परमाणुवाद के सिद्धान्त की ओर ले जाती है।
(b) तार्किक प्रत्यक्षवादियों/भाववादियों के अनुसार क्या वाक्य “सभी वस्तुएँ या तो लाल होती हैं अथव लाल नहीं होती हैं” उसी प्रकार से अर्थपूर्ण है जिस प्रकार से वाक्य “यह पृष्ठ श्वेत है” अर्थपूर्ण है ? युक्तियों सहित विवेचना कीजिए ।
(c) बुद्धिवादियों में किसकी मानस – देह समस्या की व्याख्या मानव स्वातंत्र्य तथा संकल्प स्वातंत्र्य से सुसंगत है ? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए ।

Q4. (a) “अस्तित्व सार का पूर्वगामी है” इस आदर्श वाक्य से अस्तित्वादी विचारकों का क्या अर्थ है ? उनके अनुसार मानव सत्ता किस प्रकार मानव स्वातंत्र्य से संबंधित है ? विवेचना कीजिए ।
(b) हुसल ऐसा क्यों सोचते हैं कि सार तत्त्व, चेतना तथा सत् के बीच एक प्रकार की निरंतरता को प्रदर्शित करते हैं ? विवेचना कीजिए ।
(c) उन दो मताग्रहों के स्वरूप की व्याख्या कीजिए जिनको क्वाइन अपने लेख ‘टू डॉगमास ऑफ एम्पिरिसिस्म’ में संदर्भित करते हैं ।

खण्ड- B

Q5. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :

(a) क्या आप सोचते हैं कि चार्वाक दर्शन का स्वरूप प्रत्यक्षवादी / भाववादी है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क एवं प्रमाण प्रस्तुत कीजिए ।
(b) स्व की सत्ता सिद्ध करने के लिए नैयायिकों द्वारा प्रदत्त छ: तर्कों की व्याख्या कीजिए ।
(c) वैशेषिकों के अनुसार, यह दो वाक्य “वायु में ऊष्मा नहीं होती” तथा “वायु अग्नि नहीं है” क्या समान प्रकार के अभाव को संदर्भित करते हैं ? विवेचना कीजिए ।
(d) शब्दार्थ तथा वाक्यार्थ के स्वरूप के विषय में भट्ट मत, प्रभाकर के मत से किस प्रकार भिन्न है ? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए ।
(e) “विशिष्टाद्वैत दर्शन में, ईश्वर तथा जगत के बीच संबंध, व्यष्टिक आत्मा तथा उसके शरीर के समानांतर है ।” समालोचनात्मक विवेचना कीजिए ।

Q6. (a) चार्वाकों द्वारा स्व का अतींद्रिय कोटि के रूप में खंडन तथा बौद्धों द्वारा आत्मा के खंडन के बीच विभेद कीजिए ।
(b) प्रतीत्यसमुत्पाद के समान मत से ही बौद्ध दर्शन के दो सम्प्रदाय विपरीत निष्कर्षों जैसे कि “सभी वस्तुएँ शून्य हैं” तथा “सभी वस्तुएँ यथार्थ हैं” तक किस प्रकार पहुँचते हैं ? युक्तियों सहित उत्तर दीजिए ।
(c) जैनों के अनुसार भावबन्ध तथा द्रव्यबन्ध में क्या अंतर है ? विवेचना कीजिए ।

Q7. (a) सांख्यकारिका में प्रतिपादित प्रकृति के विकासक्रम संबंधित मत को प्रस्तुत कीजिए। इस संदर्भ में, बुद्धि, महत तथा अहंकार के बीच भेद की भी व्याख्या कीजिए ।
(b) “जब तक चित्त में परिवर्तन तथा रूपांतरण होते रहेंगे, उनमें स्व/आत्म का प्रतिबिंबन होगा, जो विवेक की अनुपस्थिति में स्वयं को उनसे आत्मसात करेगा ।” उपर्युक्त कथन के आलोक में योगदर्शन के मोक्षशास्त्र की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए ।
(c) “हमारा योग चढ़ाव तथा उतराव का दो तरफा गमनागमन है।”
उपर्युक्त कथन की श्री ऑरबिंदो की पूर्ण (इन्टिग्रल) योग की अवधारणा के संदर्भ में विवेचना कीजिए ।

Q8. (a) मुझे यह ज्ञान कैसे होता है कि मैं जानता हूँ ? नैयायिकों, भट्ट मीमांसकों तथा प्रभाकरों के संदर्भ में इस प्रश्न का उत्तर दीजिए ।
(b) “एक अभ्यर्थी जिसे दिन के समय में कभी अध्ययन करते हुए नहीं देखा गया है, एक प्रतियोगी परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त कर लेता है।” भट्ट मीमांसक तथा नैयायिक इस अभ्यर्थी की सफलता की किस प्रकार व्याख्या करेंगे? विवेचना कीजिए ।
(c) किन आधारों पर प्रभाकर तथा नैयायिक, स्मृति को प्रमाण के रूप में अस्वीकार करते हैं ? विवेचना कीजिए ।


UPSC Philosophy Optional Question Paper 2024: प्रश्न पत्र II

खण्ड- A

1. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :

(a) प्लेटो की न्याय की अवधारणा का संक्षेप में विवेचन कीजिये ।
(b) सामाजिक अनुबन्ध सिद्धान्त के उद्भव एवं विकास का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए ।
(c) जातीय भेदभाव के मुख्य उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिये ।
(d) मार्क्स द्वारा प्रदत्त परकीयकरण की अवधारणा की व्याख्या प्रस्तुत कीजिए ।
(e) समाजवाद तथा साम्यवाद की दो भिन्न राजनैतिक विचारधाराओं के रूप में तुलना कीजिए ।

2. (a) मानववाद के प्रमुख सिद्धान्तों का निरूपण कीजिए । यूरोप में प्रबोधन का प्रादुर्भाव किस प्रकार मानववाद का मार्ग प्रशस्त करता है ? विवेचना कीजिए ।
(b) राजनैतिक आदर्शों के रूप में स्वतन्त्रता (लिबर्टि) एवं समानता की अवधारणाओं का समीक्षात्मक विवेचन कीजिये |
(c) प्रजातन्त्र के आधारभूत सिद्धांत के रूप में धर्म निरपेक्षवाद पर गाँधी के मतों का निरूपण कीजिए ।

3. (a) क्या आप इस मत से सहमत हैं कि अरस्तु, प्लेटो की अपेक्षा ‘राज्यवाद’ और ‘व्यक्तिवाद’ के मध्य मध्यम मार्ग को प्रशस्त करने में अधिक सफल हैं ? युक्तियुक्त विवेचन कीजिये ।
(b) किन आधारों पर आप मृत्युदण्ड के प्रत्यय को एक प्रभावशाली निवारक के रूप में स्वीकार या अस्वीकार करेंगे ? विवेचना कीजिये ।
(c) सामाजिक प्रगति प्राप्त करने के लिए आर्थिक विकास क्या एक अनिवार्य आवश्यकता, पर्याप्त आवश्यकता, दोनों अथवा दोनों में से कोई नहीं है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क तथा प्रमाण प्रस्तुत कीजिए ।

4. (a) महिलाओं के सशक्तिकरण को उपलब्ध करने के लिए लैंगिक समानता की एक अनिवार्य शर्त के रूप में विवेचना कीजिए । स्त्री भ्रूणहत्या के खतरे की रोकथाम में महिला सशक्तिकरण की भूमिका का परीक्षण भी कीजिए ।
(b) संप्रभुता की अवधारणा के सन्दर्भ में ‘अर्थशास्त्र’ क्या अन्तर्दृष्टि प्रदान करता है ? क्या आधुनिक समय में उसकी कोई प्रासंगिकता है ? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए ।
(c) बहुसांस्कृतिक समाजों के उत्थान के लिए सहिष्णुता तथा सहअस्तित्व के नैतिक सिद्धान्तों की भूमिका की विवेचना कीजिए ।

खण्ड- A

5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :

5. (a) क्या नैतिकता के बिना धर्म सम्भव है ? विवेचना कीजिये ।
(b) धर्म के सन्दर्भ में निरपेक्ष सत्य की अवधारणा पर टिप्पणी लिखिये
(c) न्याय-वैशेषिक के अनुसार मोक्ष (अपवर्ग) की अवधारणा का विवेचन कीजिये ।
(d) धर्म में तर्क की भूमिका का विवेचन कीजिये |
(e) धार्मिक भाषा के सादृश्यमूलक स्वरूप की व्याख्या कीजिये ।

6. (a) क्या मोक्ष की सुगठित अवधारणा के लिए आत्मा की अमरता तथा पुनर्जन्म की अवधारणाओं को मानना आवश्यक है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क तथा प्रमाण प्रस्तुत कीजिए ।
(b) स्पिनोजा के दर्शन में ईश्वर की अवधारणा किस प्रकार उनकी द्रव्य तथा गुण की तत्त्वमीमांसा में अन्तर्बद्ध है ? आलोचनात्मक विवेचना कीजिए ।
(c) “अशुभ की समस्या, ईश्वर की किसी मत में किस प्रकार अवधारणा की जाती है, उसका सीधा परिणाम है।” आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए ।

7. (a) बौद्ध-धर्म का प्रतिपादन एवं मूल्यांकन ईश्वर रहित धर्म के रूप में कीजिये ।
(b) इल्हाम के दावों के सम्बन्ध में किस प्रकार की ज्ञानमीमांसीय प्रामाणिकता सम्भव है ? अपनी टिप्पणीयों सहित विवेचना कीजिए ।
(c) ईश्वर की सत्ता के लिए सत्तामूलक युक्ति का आलोचना सहित निरूपण कीजिए ।

8. (a) धार्मिक भाषा के संज्ञानात्मक एवं असंज्ञानात्मक विवरण के मध्य भेद को स्पष्ट कीजिये । क्या संज्ञानात्मक दृष्टि किसी व्याघात की ओर ले जाती है ? आर. बी. ब्रेथवेट के दार्शनिक मत के संदर्भ में उत्तर दीजिये ।
(b) “जगत का सर्वोपरि कारण होने के लिए, ईश्वर की अनिवार्यतः किसी प्रकार की भौतिक अभिव्यंजना होनी चाहिए ।” क्या आप इस मत से सहमत हैं ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क तथा प्रमाण प्रस्तुत कीजिए ।
(c) अद्वैतवेदान्त के अनुसार धार्मिक अनुभूति की मुख्य विशेषताओं का विवेचन कीजिये ।


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