UPSC Hindi Literature Optional Paper-1 2018: हिंदी साहित्य प्रथम प्रश्न पत्र

खण्ड ‘A’

1. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए :

(a) देवनागरी लिपि की विशेषताएं
(b) हिन्दी भाषा का मानक स्वरूप
(c) पश्चिमी हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ
(d) रहीम की काव्य भाषा और उसकी विशेषताएं
(e) संत साहित्य में अवधी का योगदान

2. (a) विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में हिन्दी भाषा के प्रयोग की स्थिति का आकलन कीजिए।
(b) आरंभिक हिन्दी के विकास में अपभ्रंश की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
(c) हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में नागरी प्रचारिणी सभा, काशी और दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चेन्नई (मद्रास) की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।

3. (a) पारिभाषिक शब्दावली से आप क्या समझते हैं? हिन्दी में पारिभाषिक शब्दावली निर्माण के इतिहास का उदाहरण सहित मूल्यांकन कीजिए।
(b) खड़ी बोली हिन्दी के साथ उसकी प्रमुख बोलियों के अंतःसंबंधों पर प्रकाश डालिए।
(c) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की राष्ट्रीय चेतना की मुखर अभिव्यक्ति हिन्दी साहित्य में हुई है – सोदाहरण समीक्षा कीजिए।

4. (a) राजभाषा के रूप में हिन्दी को सर्वस्वीकार्य बनाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
(b) दक्खिनी हिन्दी की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
(c) मानक हिन्दी की व्याकरणिक संरचना के स्वरूप पर चर्चा कीजिए।

खण्ड ‘B

5. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए :
(a) सिद्ध-नाथ साहित्य का भाषिक तथा साहित्यिक अवदान
(b) कृष्णभक्ति काव्य धारा के विकास मे विविध संप्रदायों का योगदान
(c) रीतिमुक्त कवियों की प्रणय चेतना
(d) भारतेन्दु ने अपने नाटकों में संस्कृत की चरित्र-चित्रण पद्धति का अनुसरण किया है- सोदाहरण समझाइए।
(e) प्रेमचंद की कहानिए को मूल स्तर

6. (a) विद्यापति की कविताओं में व्यक्त भक्ति के स्वरूप का सोदाहरण विवेचना कीजिए।
(b) भारतीय साहित्य की उपेक्षिता नारी को अपना अधिकार दिलाकर मैथिलीशरण गुप्त ने नारी विमर्श को एक नवीन दिशा दी है-कैसे ? समझकर लिखिए।
(c) गोस्वामी तुलसीदास रामराज्य के माध्यम से कल्याणकारी राज्य का आदर्श उपस्थित करते हैं – मूल्यांकन कीजिए।

7. (a) हिन्दी साहित्य की आलोचना परंपरा मूलतः आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की मान्यताओं का ही खंडन-मंडन है-युक्तियुक्त विवेचन कीजिए।
(b) जयशंकर प्रसाद के नाटकों की ऐतिहासिकता पर विचार कीजिए।
(c) हिन्दी क्षेत्र की लोकनाट्य पद्धतियों का परिचय देते हुए हिन्दी रंगमंच की विकास यात्रा का मूल्यांकन कीजिए।

8. (a) हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र के इतिहास का परिचय देते हुए महादेवी वर्मा के रेखाचित्रों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(b) जैनेन्द्र कुमार का गद्य-लेखन की गुम होती पहचान को उभारकर सामने रखता है- विवेचन कीजिए।
(c) मोहन राकेश के ऐतिहासिक नाटकों की मंच-सज्जा का विवेचन कीजिए।


UPSC Hindi Literature Optional Paper-2 2018: हिंदी साहित्य द्वितीय प्रश्न पत्र

खण्ड ‘A’

1. निम्नलिखित काव्यांशों की लगभग 150 शब्दों में ऐसी व्याख्या कीजिए की इसमें निहित काव्य-मर्म भी उद्घाटित हो सके :

(a) प्रकृति जोई जाके अंग परी।
स्वान-पुंछ कोटिक जो लागै सुधि न काहु करी।
जैसे काग भच्छ नहिं छांडै जनमत जौन घरी।
धोए रंग जात कहु कैसे ज्यों कारी कमरी।
ज्यों अहि डसत उदर नहिं पूरत ऐसी धरनि धरी ।
सूर होउ सो होउ सोच नहिं, तैसे हैं एउ री।।

(b) सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया। पाई जासु बल बिरचति माया।
जाके बल बिरंचि हरि ईसा। पालत सृजत हरत दससीसा।
जा बल सीस धरत सहसासन। अंडकोस समेत गिरि कानन।
धरई जो बिबिध देह सुरत्राता। तुम्ह से सठन सिखावनु दाता।
हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा। तेहि समेत नृप दल मद गंजा।

(c) पावक सो नयननु लगै जावकु लाग्यो भाल ।
मुकुरु होहुगे नैंक मैं, मुकुरु बिलोको लाल।।
तखिन -कनकु कपोल-दुति बिच ही बीच बिकान ।
लाल लाल चमकति चुनीं चौका-चिन्ह-समान।।

(d) उषा की पहिली लेखा कांत,
माधुरी से भिंगी भर मोद;
मदभरी जैसे उठे सलज्ज
भोर की तारक-द्युति की गोद।

(e) अवतरित हुआ संगीत स्वयंभू
जिसमें सोता है अखण्ड
ब्रह्मा का मौन
अशेष प्रभायम ।

2. (a) नीरस निर्गुण मत में कबीर ने ‘ढाई आखर’ जोड़ने की पहल किससे प्रेरित हो कर की और क्यों? कथन की पुष्टि कीजिए।
(b) जायसी की सौंदर्य-संचेतना में उनकी ऊहा शक्ति साधक रही है या वाधक ? सोदाहरण समझाइए।
(c) “निराला कृत ‘कुकुरमुत्ता’ में व्यंग-विद्रूप के साथ भारतीय अस्मिता का जयघोष है” – युक्तियुक्त उत्तर दीजिए।

3. (a) “कुरुक्षेत्र में युग प्रबुद्ध उद्विग्र मानस का जो द्वन्द्व चित्रित हुआ है, उससे उसकी प्रबंधात्मकता भी प्रभावित हुई है। पक्षापक्ष विमर्श कीजिए।
(b) “मुक्तिबोध रचित ‘ब्रह्मराक्षस’ की उपलब्धि है भयानक अंगीरस, तिलिस्मी ‘वस्तु’ और आवेग-कल्पना-संवेदना का संगम।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
(c) ‘असाध्य वीणा’ के किरीटी तरु में जो ध्वनियाँ समाहित हुई और वीणा वादन के बीच जो ध्वनियाँ झंकृत हुई उनके साम्य वैषम्य पर विचार प्रस्तुत कीजिए।

4. (a) ‘सुंदर’ शब्द पर विचार करते हुए ‘सुंदरकाण्ड’ के वस्तु-शिल्प-सौंदर्य की विवेचना कीजिए।
(b) हिन्दी भ्रमरगीत-परंपरा में सूरदास कृत भ्रमरगीत का वैशिष्ठ्य निरूपित कीजिए।
(c) “कामायनी” को ‘चेतना का सुंदर इतिहास’ और ‘अखिल मानव-भावों का सत्य’-शोधक काव्य क्यों कहा गया है? अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखीय गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए और उसका भाव-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए: (प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में)
(a) भगवान सोम की मैं कन्या हूँ। प्रथम वेदों ने मधु नाम से मुझे आदर दिया। फिर देवताओं की प्रिया होने से मैं सूरा कहलाई और मेरे प्रचार के हेतु श्रौत्रामणि यज्ञ की सृष्टि हुई। स्मृति और पुराणों में भी प्रवृत्ति मेरी नित्य कही गई। तंत्र केवल मेरी ही हेतु बने। संसार में चार मत बहुत प्रबल हैं। इन चारों में मेरी चार पवित्र प्रेम मूर्ति विराजमान हैं।
(b) श्रद्धा और प्रेम के योग का नाम भक्ति है। जब पूज्य भाव की वृद्धि के साथ श्रद्धा के साथ श्रद्धा भजन के सामीप्य-लाभ की प्रवृत्ति हो, उसकी सत्ता के कई रूपों के साक्षात्कार की वासना हो, तब हृदय में भक्ति का प्रादुर्भाव समझना चाहिए।
(c) उस हिमालय के ऊपर प्रभाव-सूर्य की सुनहरी प्रभा से आलोकित प्रभा का, पीले पोखराज का सा, एक महल था। उसी से नवनीत की पुतली झाँक कर विश्व को देखती थी। वह हिम की शीतलता से सुसंगठित थी। सुनहरी किरणों को जलन हुई। तप्त हो कर महल को गला दिया। पुतली! उसका मंगल हो, हमारे अश्रु की शीतलता उसे सुरक्षित रखे। कल्पना की भाषा के पंख गिर जाते हैं, मौन-नीड़ में निवास करने दो। छेड़ो एमटी मित्र!
(d) संस्कृति में सदैव आदान-प्रदान होता आया है, लेकिन आंधी नकल तो मानसिक दुर्बलता का ही लक्षण है। पश्चिम की स्त्री आज गृह स्वामिनी नहीं रहना चाहती। भोग की विदग्ध लालसा ने उसे उच्छृंखल बना दिया है। लज्जा और गरिमा को, जो उसकी सबसे बड़ी विभूति थी, चंचलता और आमोद-प्रमोद पर वह होम कर रही है।
(e) सौंदर्य का ऐसा साक्षात्कार मैंने कभी नहीं किया। जैसे वह सौंदर्य अस्पृश्य होते हुए भी मांसल हो। तभी मुझे अनुभव हुआ की वह क्या है, जो भावना को कविता का रूप देता है। मैं जीवन में पहलीबार समझ पायी की क्यों कोई पर्वत-शिखरों को सहलाती हुई मेघ-मालाओं में खो जाता है, क्यों किसी को अपने तन-मन की अपेक्षा आकाश से बनते-मिटते चित्रों का इतना हो रहता है।

6. (a) “गोदान न केवल ग्रामीण जीवन का, बल्कि समूचे भारतीय जीवन की समस्याओं तथा यत्किंचित संभावनाओं का आख्यान है।”इस स्थापना का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण कीजिए।
(b) ‘मैला आँचल’ ‘ग्राम कथा’ की अलात्मक परिणित है या ‘आंचलिकता’ की स्वतंत्र संरचना? भारतीय आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
(c) ‘महाभोज’ में समसामयिक अव्यवस्था का मात्र निदान है अथवा विधेयात्मक समाधान भी? तर्क पूर्वक समझाइए।

7. (a) “गुप्त-कालीन प्रामाणिक इतिहास का अनुलेखन एवं कल्पनाधारित वस्तु-संयोजन ‘स्कंदगुप्त’ में परिलक्षित होते हैं।” इस कथन की अप्रमाण संपुष्टि कीजिए।
(b) ‘नाट्यरासक’ या ‘लास्यरुपक’ की शिल्प-विधि की दृष्टि से ‘भारत दुर्दशा’ का तात्विक मूल्यांकन कीजिए।
(c) ‘चीफ की दावत’ में नौकरशाही में व्याप्त स्वार्थ-लिप्सा के मनोविज्ञान का उद्घाटन कीजिए।

8. (a) आचार्य शुक्ल के निबंधों की विभिन्न कोटियों का परिचय देते हुए मनोभावों से संबंधित निबंधों का वैशिष्ट्य प्रतिपादित कीजिए।
(b) ‘दिव्या’ में लेखक की यथार्थभेदी दृष्टि से भारत के स्वर्णकाल का इतिहास विरूपित हुआ है या अभिमण्डित ? युक्तियुक्त उत्तर दीजिए।
(c) उपन्यास की भाषा को कथ्य का अनुसरण करना क्या श्रेयस्कर माना जाएगा ? ‘मैला आँचल’ के संदर्भ में तर्क प्रस्तुत कीजिए।


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