UPSC Philosophy Optional Question Paper 2019: प्रश्न पत्र I

खण्ड- A

1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) अपने ‘गुफा-रुपक’ के द्वारा प्लेटों क्या करना चाहते हैं?
(b) क्या हूस्सर्ल द्वारा विभ्रांति को एक साभिप्राय क्रिया माना जा सकता है? व्याख्या कीजिए।
(c) हेगेल के दर्शन में, सत्य की प्राप्ति में, द्वन्द्वात्मक पद्धति की क्या भूमिका है?
(d) स्वयं एवं ईश्वर से भिन्न अन्य वस्तुओं की सत्ता को देकार्त किस प्रकार सिद्ध करते हैं? विवेचना कीजिए।
(e) संश्लेषणात्मक-विश्लेषणात्मक विभेद जे विरुद्ध क्वाइन के तर्कों की व्याख्या कीजिए।

2. (a) तार्किक प्रत्यक्षवादी सामान्य कथनों के अर्थ का विवरण किस प्रकार देते हैं? क्या वही विवरण तत्वमीमांसीय कथनों पर भी लागू किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
(b) अरस्तू के अनुसार, द्रव्य में विकासवादी परिवर्तनों के करण क्या हैं? विवेचना कीजिए।
(c) स्पिनोजा के इस कथन का क्या तात्पर्य है कि जो है, वह उसके अतिरिक्त कुछ और नहीं हो सकता है? व्याख्या कीजिए।

3. (a) क्या हेडेगर के लिए डेजाइन प्रामाणिक सत्ता है? वे डेजाइन को किस प्रकार कालिकता से सम्बन्ध करते हैं? विवेचना कीजिए।
(b) दर्शाइए कि विटगेन्सटाइन की अहनमात्रवाद की मीमांसा का चरमोत्कर्ष किस प्रकार निजी भाषा की मीमांसा में हो जाता है।
(c) क्या करण है कि मूर के दर्शन को सामान्य बुद्धि व्यस्तववाद कहा जाता है?

4. (a) देश एवं काल के अनुभवातीतता के लिए कान्ट किस प्रकार तर्क प्रस्तुत करते हैं? विवेचना कीजिए।
(b) क्या ह्यूम के अनुसार करण-सम्बन्धो में कोई अनिवार्यता का तत्व होता है? विवेचना कीजिए।
(c) चयन-स्वातंत्र्य और नियतिवाद की समस्या को सार्त्र किस प्रकार देखते हैं? व्याख्या कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) वैशेषिक दर्शन में, पदार्थ के रूप में अभाव की स्थिति का औचित्य बताइए।
(b) योगाचार बौद्ध बाह्य जगत के अस्तित्व का खंडन किस प्रकार करते हैं? चर्चा कीजिए।
(c) जब चावार्क मानते हैं कि अनुमान ज्ञान का र्क स्रोत नहीं है, तब क्या वे संगत होते हैं? चर्चा कीजिए।
(d) सांख्य दर्शन के अनुसार, जीव और पुरुष की तत्वमीमांसीय स्थिति का समीक्षात्मक विवेचना कीजिए।
(e) मीमांसा किस प्रकार वैदिक ज्ञान की प्रामाणिकता को स्थापित करता है?

6. (a ) जैन दर्शन यथार्थता को किस प्रकार परिभाषित करता है? यथार्थता की यह थियोरी उनके निर्णयों की दृष्टि में प्रकार प्रतिबिंबित होती है? चर्चा कीजिए।
(b) अन्यथाख्याति की व्याख्या करने में ज्ञानलक्षण-प्रत्यक्ष की भूमिका है?
(c) चार्वाक के अनुसार निम्नलिखित युक्ति में क्या दोष है?
सभी मनुष्य मरणशील हैं।
सुकरात एक मनुष्य है।
इसलिए सुकरात मरणशील है।
अपने उत्तर के लिए तर्क दीजिए।

7. (a) उदयन किस प्रकार कार्यात, आयोजनात, धृत्यादेः और श्रुतेः के द्वारा ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करते हैं? विवेचना कीजिए।
(b) योग दर्शन किस प्रकार एक वैज्ञानिक, एक ईश्वरज्ञात-सम्पन्न भक्त और एक आत्मज्ञान-संपन्न योगी के चित्त-स्तरों को समझेगा? अपने उत्तर के लिए तर्क दीजिए।
(c) प्रतीत्यसमुत्पाद क्या है? प्रत्येक वस्तु की क्षणिकता सिद्ध करने हेतु बौद्ध करने हेतु बौद्ध इस संकल्पना का किस प्रकार अनुप्रयोग करते हैं?

8. (a) अद्वैतवाद के तत्वमीमांसीय निरपेक्षवाद के तार्किक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
(b) अरविन्द के दर्शन की तत्वमीमांसीय योजना में अतिमानस की अद्वितीय स्थिति की व्याख्या कीजिए।
(c) प्रकृति के अस्तित्व के लिए सांख्य का कौन-सा प्रमाण वास्तव में दर्शाता है कि प्रकृति केवल एक ही हो सकती है? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए।


UPSC Philosophy Optional Question Paper 2019: प्रश्न पत्र II

खण्ड- A

1. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(a) आपके विचार में, जॉन रॉल्स प्लेटो की न्याय की संकल्पना को किस सीमा तक जारी रखे हुए है?
(b) आधिनिक धर्मनिरपेक्ष राज्य में, धर्मतंत्र की स्थिति पर चर्चा कीजिए।
(c) राजनीतिक अराजकतावादी के रूप में, महात्मा गांधी का मूल्यांकन कीजिए।
(d) क्या भ्रष्टाचार सामूहिक हिंसा का एक रूप नहीं है? चर्चा कीजिए।
(e) क्या स्त्री-पुरुष समानता को समाजवादी शासन-प्रणाली में साकार किया जा सकता है? विश्लेषण कीजिए।

2. (a) क्या अधिकार नागरिकों को राज्य के प्रति जवाबदेह बनाते हैं? वर्तमान परिदृश्य के संदर्भ में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
(b) बहुसांस्कृतिकता के विचारों पर वर्णनात्मक एवं आदर्शक परिप्रेक्ष्य क्या-क्या हैं?
(c) क्या प्रौद्योगिकीय विकास, समाज के नैतिक मानकों में प्रगति की ओर ले जाता है? स्पष्ट कीजिए।

3. (a) चर्चा कीजिए कि ऑस्टिन की संप्रभुता की संकल्पना कौटिल्य की संप्रभुता की संकल्पना के साथ कहाँ तक मेल खाती है।
(b) समालोचनापूर्वक विचार कीजिए कि स्त्री-पुरुष भेदभाव वास्तव में मनुष्य-निर्मित संकल्पना है ण कि प्रकृति के द्वारा प्रदान किया गया है।
(c) आपके विचार में प्रचलित मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, मार्क्सवाद का भविष्य क्या है?

4. (a) परीक्षण कीजिए कि क्या धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की दार्शनिक आधारभूमि के बारे में महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों में कोई भेद है अथवा नहीं है।
(b) क्या स्वतंत्रता, समता को परिसीमाओं में बांधती है? चर्चा कीजिए।
(c) क्या मृत्युदण्ड सामाजिक न्याय के सिद्धांत को निर्बल बनाता है? चर्चा कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(a) आत्मानुभूति प्रकटन में साधनरूप क्या है: आस्था या तर्क? अपने मत की पुष्टि कीजिए।
(b) क्या आज के वैश्वीकरणी संसार में धर्म मानवता के लिए एक एकीकारी बल है? चर्चा कीजिए।
(c) क्या धर्म के नाम पर हिंसा के समर्थन में कोई दार्शनिक तर्क संभव है? चर्चा कीजिए।
(d) क्या धार्मिक जीवन में निष्ठावान प्रतिबद्धता मनुष्य को सामाजिक नैतिकता से पथभ्रष्ट कर देती है? परीक्षण कीजिए।
(e) जैन धर्म में ईश्वर के अस्तित्व के लिए प्रतिपादित प्रमाणों का कथन कीजिए और मूल्यांकन कीजिए।

6. (a) चर्चा कीजिए कि धार्मिक प्रतीकवाद रहस्यवाद को जन्म देता है अथवा नहीं और कैसे जन्म देता है।
(b) अहित एवं अपवित्र की अवधारनाएं धर्म को मजबूत नींव प्रदान करने में क्या भूमिका निभाती हैं?
(c) एक धार्मिक व्यक्ति कैसे ईश्वरविहीन धर्म की संभावना से इनकार करेगा? चर्चा कीजिए।

7. (a) धार्मिक बहुतत्ववादियों एवं धार्मिक अनन्यतावादियों के बीच वाद-विवाद में केन्द्रीय समस्या को प्रतिपादित कीजिए और स्पष्ट कीजिए।
(b) सभी समय नैतिक किस करण बना रहे, इस बात का पूर्णरूपेण समाधान धर्मनिरपेक्ष नैतिकता नहीं निकाल सकती है। परीक्षण कीजिए।
(c) धार्मिक अनुभव को किस सीमा तक सार्वजनिक संवाद का एक विषय बनाया जा सकता है? विश्लेषण कीजिए।

8. (a) हिन्दू धर्म में कर्म, पुनर्जन्म एवं पुनःअवतरण के सिद्धांतों का कथन कीजिए और उनको स्पष्ट कीजिए।
(b) ईश्वर के वैयक्तिक एवं अवैयक्तिक स्वरूपों का कथन कीजिए और मूल्यांकन कीजिए।
(c) भारत में किसी एक धर्म के अनुसार, मानव और ईश्वर के बीच सम्बन्ध पर चर्चा कीजिए।


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