UPSC Philosophy Optional Question Paper 2013: प्रश्न पत्र I
खण्ड- A
1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:
(a) स्ट्रौसन के द्वारा व्यक्ति की प्रकृति की अपनी संकल्पना के लिए, दिए गए तर्कों को स्पष्ट कीजिए और उनका मूल्यांकन कीजिए।
(b) निजी भाषा की संभावना के विरुद्ध विटगैन्स्टाइन के तर्कों को स्पष्ट कीजिए।
(c) अनिवार्य प्रतिज्ञप्तियों का इंद्रयानुभविक प्रतिज्ञप्तियों से विभेदन कीजिए। अनिवार्य प्रतिज्ञप्ति को किस प्रकार न्यायसंगत सिद्ध किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
(d) चर्चा कीजिए कि किस प्रकार सारवस्तुओं की विभिन्न संकल्पनाओं का खंडन करने के द्वारा, अरस्तू सारवस्तु के अपने सिद्धांत को स्थापित करता है।
(e) विप्रतिषेध क्या होता है? कान्ट द्वारा चर्चित प्रमुख विप्रतिषेधों का वर्णन कीजिए।
2. निम्नलिखित के उत्तरलिखिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हों:
(a) प्लेटो के आकारों के सत्तमीमांसीय सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए। क्या ‘ज्ञान’ आकारों में से एक है? कारण बताइए।
(b) कान्ट के कारणता के विचार को स्पष्ट कीजिए। कान्ट किस सीमा तक ह्यूम की आपत्ति कि कारण-संबंध में तार्किक अवश्यता की कमी है, का उत्तर देने में सफल हो पाया है?
(c) परमाणु और सामान्य प्रतिज्ञप्तियों के बीच विभेदन कीजिए। दर्शाइए कि उनको किस प्रकार सत्य सिद्ध किया जाता है।
(d) व्यक्ति की स्वतंत्रता की स्पीनोजा की संकल्पना पर एक समालोचनात्मक निबंध लिखिए।
3. निम्नलिखित के उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हों:
(a) डेस्कार्टि की संदेह-प्रणाली को स्पष्ट कीजिए। क्या ईश्वर के अस्तित्व में उसके विश्वास को सिद्ध करने केलिए इस प्रणाली का इस्तेमाल किया जा सकता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
(b) टिप्पणी कीजिए: ‘संचलन स्वयं व्याघात है।’ इस संदर्भ में, हेगेल की द्वन्द्वात्मक प्रणाली का परीक्षण कीजिए।
(c) जॉन लॉक के सारवस्तु के सिद्धांत का परीक्षण कीजिए।
(d) सार्त्रे के ‘बिंग-फॉर-इट्सेल्फ’ और ‘बिंग-इन-इट्सेल्फ’ के बीच विभेद का परीक्षण कीजिए।
4. निम्नलिखित के उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हों:
(a) टिप्पणी कीजिए: ‘मूर का सामान्य बुद्धि का पक्ष-पोषण आवश्यक रूप से सामान्य भाषा का पक्ष-पोषण है।’
(b) वरण् की किर्कगार्ड की संकल्पना का विश्लेषण कीजिए। उसके विचार में, क्या सही या गलत वरण् हो सकता है? चर्चा कीजिए।
(c) अविभेद्द्यों के तादात्म्य के लाइबनिट्ज के सिद्धांत का एक समालोचनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(d) स्व के ह्यूम के सिद्धांत का एक समालोचनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
खण्ड ‘B’
5. निम्नलिखित के लघु उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 150 शब्दों में हों:
(a) ‘स्पतभंगीनय’ और ‘अनेकांतवाद’ के सिद्धांत के बीच संबंध का विश्लेषण कीजिए।
(b) बौद्धों की ‘अस्थायित्व’ की अवस्थिति को स्पष्ट कीजिए और दर्शाइए कि अस्थायित्व का विचार किस प्रकार यथार्थता की क्षणिकता के सिद्धनत तक ले जाता है।
(c) किसी कथन के ‘प्रामाण्य’ (वैधता/सत्य) का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है? इस संदर्भ में, ‘परतः-प्रमान्यवाद’ के सिद्धांत का परीक्षण कीजिए।
(d) ‘जीवनमुक्ति’ की संभावना को स्पष्ट कीजिए। इसकी ‘कैवल्य’ के योग-विवरण के साथ समालोचनात्मक तुलना कीजिए।
(e) व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के माध्यम से विश्व मोक्ष की श्री अरविन्द की संकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
6. निम्नलिखित के उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हों:
(a) पाँच प्रकारों के विभेदों (पंचविधाभेद) का वर्णन कीजिए। माधव के सिद्धांत के लिए उनके दर्शनीक महत्व पर प्रकाश डालिए।
(b) ‘समवास’ क्या होता है? समवास को एक सुस्पष्ट पदार्थ के रूप में स्वीकार करने के क्या आधार हैं? चर्चा कीजिए।
(c) ‘पुरुष’ और ‘प्रकृति’ के बीच संबंध का मूल्यांकन कीजिए, यदि कोई हो तो।
(d) ‘ब्रह्म’ (परम) से ‘ईश्वर’ का किस प्रकार विभेदन किया जा सकता है? इन दो संकल्पनाओं में से कौन-सी संकल्पना दर्शनिकत: बेहतर है?
7. निम्नलिखित के उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हों:
(a) ‘व्याप्ति’ की न्याय संकल्पना का विश्लेषण कीजिए और ‘तर्क’ के साथ उसके संबंध का परीक्षण कीजिए।
(b) ‘श्रुति’ को ‘प्रमाण’ रूप में स्वीकार करने के लिए प्रभाकर मीमांसक के तर्कों का मूल्यांकन कीजिए।
(c) जीवात्मा के अस्तित्व के लिए न्याय-वैशेषिक के तर्कों का परीक्षण कीजिए।
(d) शंकर के पश्चात ब्राह्मण के स्वरूप लक्षण और तटस्थ लक्षण के बीच विभेदन कीजिए।
8. निम्नलिखित के उत्तर लिखिए, जो प्रत्येक लगभग 200 शब्दों में हों:
(a) टिप्पणी कीजिए: ‘शून्यवाद को स्वीकार कर लेना व्यक्ति को धर्म के अनुसरण के प्रति उदासीन बना देता है।’ इस संदर्भ में, शून्यवाद के लिए नागार्जुन के तर्कों का परीक्षण कीजिए।
(b) ‘कर्म नहीं, परंतु केवल ज्ञान मोक्ष तक पहुंचा देता है,; (शंकर)। क्या आप सहमत हैं ? अपने उत्तर को सही सिद्ध कीजिए।
(c) ‘माया’ के शंकर के सिद्धांत की रामानुज की मीमांसा का मूल्यांकन कीजिए।
(d) योग दर्शन में ‘चित्तवृत्ति’ की संकल्पना का एक समालोचनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
UPSC Philosophy Optional Question Paper 2013: प्रश्न पत्र II
खण्ड- A
1. निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए:
(a) क्या भ्रष्टाचार से केवल नैतिक पहलू ही नहीं वरन आर्थिक पहलू भी जुड़ा है?
(b) भारतीय संविधान में नागरिकों के कर्तव्यों के समावेश का क्या महत्व है?
(c) क्या सभी धर्मों को समान आदर का भाव एक संगत व कार्यात्मक राष्ट्रीय नीति प्रदान करता है?
(d) क्या प्रजातन्त्र व समाजवाद का संयोग अधिक समानता का समाज बनाता है?
(e) भारतीय संदर्भ में, क्या जातीभेद ने प्रजातान्त्रिक प्रणाली को प्रभावित किया है?
2. निम्नलिखित में से प्रत्येक की समालोचनात्मक विवेचना अधिकतम 250 शब्दों में कीजिए:
(a) ‘प्रजातन्त्र’ से क्या अभिप्राय है? प्रजातान्त्रिक सरकारों के कौन-कौन से विभिन्न रूप होते हैं?
(b) क्या प्रजातान्त्रिक सरकार अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने में समर्थ होती है?
(c) क्या प्रजातान्त्रिक सरकार उदारवादी तानाशाही से बेहतर होती है? अपने उत्तर के कारण बताइए।
3. (a) निम्नलिखित में से प्रत्येक की समालोचनात्मक विवेचना अधिकतम 250 शब्दों में कीजिए:
(a) ‘लिंग समानता’ से आप क्या समझते हैं और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
(b) पुरुष व महिला में बराबरी के लिए क्या आर्थिक स्वतंत्रता आवश्यक है?
(c) इस संदर्भ में राजनैतिक संगठनों में महिलाओं का यथेष्ट प्रतिनिधित्व क्यों महत्वपूर्ण है?
4. निम्नलिखित में से प्रत्येक का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दीजिए:
(a) अरस्तू की न्याय की अवधारणा समझाइए और उसका मूल्यांकन कीजिए।
(b) ‘निष्पक्ष न्याय’ से आप क्या समझते हैं? रॉल्स के न्याय के सिद्धांत के मूल बिंदुओं को समझाइए।
(c) न्याय के प्रति अमर्थ्य सेन और रॉल्स की सोच में क्या अंतर है?
खण्ड ‘B’
5. निम्नलिखित में से प्रत्येक की समालोचनात्मक विवेचना अधिकतम 150 शब्दों में कीजिए:
(a) क्या धर्म भगवान का परित्याग नहीं कर सकता?
(b) क्या धार्मिक नैतिकता व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संगत है?
(c) क्या मानवीय प्रयासों से भिन्न कोई अन्य साधन मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रेरक है?
(d) क्या आस्तिक लोग संसार में दैवी बुराई को अच्छाई का ही दूसरा आवश्यक पहलू बताने में सफल हुए हैं?
(e) क्या धार्मिक आस्था तर्क के विरुद्ध है?
6. निम्नलिखित में से प्रत्येक का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दीजिए:
(a) पाश्चात्य व भारतीय दर्शन में भगवान के अस्तित्व के पक्ष में दिए ब्रह्मांड संबंधी तर्क बताइए और उसकी विवेचना कीजिए।
(b) इस तर्क के विरुद्ध दो मुख्य आपत्तियों की विवेचना कीजिए। क्या आस्तिक लोग इनका संतोषजनक उत्तर डे पाए हैं?
(c) भगवान के अस्तित्व के लिए गढ़े गए तर्क के विरुद्ध तीन मुख्य आपत्तियों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
7. निम्नलिखित में से प्रत्येक का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दीजिए:
(a) दैवी अनुभव की प्रकृति क्या होती है?
(b) क्या दैवी अनुभव की भिन्न-भिन्न रूपों में व्याख्या की जा सकती है?
(c) क्या दैवी अनुभव को ज्ञान का अधिकृत स्रोत माना जा सकता है?
8. निम्नलिखित में से प्रत्येक की विवेचना अधिकतम 250 शब्दों में कीजिए:
(a) “धार्मिक भाषा गैर-संज्ञानात्मक है।” इस कथन का क्या आशय है?
(b) क्या धार्मिक भाषा को सत्यापन-योग्य कहा जा सकता है?
(c) क्या संज्ञानात्मकतावादी झूठ पर आधारित आपत्ति का समुचित उत्त दे पाते हैं?