UPSC Hindi Literature Optional Paper-1 2022: हिंदी साहित्य प्रथम प्रश्न पत्र

खण्ड ‘A’

1. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए :
(a) हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योगदान
(b) अमीर खुसरो की काव्य-भाषा का महत्व
(c) रहीम की कविता की प्रासंगिकता
(d) सिद्ध-नाथ साहित्य में प्रयुक्त खड़ी बोली का स्वरूप
(e) स्वातंत्रयोत्तर भारत में हिन्दी के विकास में आने वाली चुनौतियाँ

2. (a) पश्चिमी हिन्दी की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
(b) दक्खिनी हिन्दी की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
(c) अवधि में व्याकरणिक विशेषताओं का निरूपण कीजिए ।

3. (a) हिन्दी में परिभाषित शब्दावली के निर्माण की वर्तमान दशा पर प्रकाश डालिए।
(b) पहाड़ी हिन्दी की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
(c) अवहट्ट का सामान्य परिचय दीजिए।
4. (a) देवनागरी लिपि के महत्व का आकलन कीजिए।
(b) ‘आधुनिक काल में काव्य-भाषा के रूप में खड़ी बोली का विकास ब्रज के स्थान पर क्यों हुआ’ – इस कथन की तर्कपूर्ण व्याख्या कीजिए।
(c) तकनीक की भाषा के रूप में हिन्दी के सामने आने वाली कुनौतियों का वर्णन कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए :
(a) रामचन्द्र शुक्ल द्वारा किया गया हिन्दी साहित्य का काल -विभाजन
(b) कबीर की काव्य- भाषा
(c) सूरदास का विरह- वर्णन
(d) हिन्दी की प्रगतिवादी समीक्षा
(e) हजारी प्रसाद द्विवेदी की हिन्दी आलोचना में योगदान

6. (a) ‘बिहारी शृंगार रस के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं’ – इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
(b) हिन्दी उपन्यास के विकास में प्रेमचंद के योगदान का आकलन कीजिए।
(c) भारतेन्दु हरिश्चंद्र के नाटकों में चित्रित राष्ट्रीय चेतना को स्पष्ट कीजिए।

7. (a) ‘अज्ञेय’ के काव्य की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
(b) मंचन की दृष्टि से जयशंकर ‘प्रसाद’ के नाटकों का मूल्यांकन कीजिए।
(c) महादेवी वर्मा के संस्मरणों के महत्व का आकलन कीजिए।

8. (a) “नागार्जुन जनवादी कवि है” – इस कथन की तर्कसंगत व्याख्या कीजिए।
(b) कृष्णा सोबती के उपन्यासों में चित्रित नारी-चेतना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
(c) जगदिशचंद्र माथुर की नाट्य-कला का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।


UPSC Hindi Literature Optional Paper-2 2022: हिंदी साहित्य द्वितीय प्रश्न पत्र

खण्ड ‘A’

1. निम्नलिखित काव्यनशों की लगभग 150 शब्दों में सप्रशंग व्याख्या कीजीए :
(a) पिछै लागा जाइ था, लोक वेद के साथि ।
आगै थैं सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि ।।
दीपक दिया तेल भरि, बाती दई अघट्ट ।
पूरा किया बिसहुणां, बहुरि ण आँवौं हट्ट ।।

(b) बेद पुरान बिहाइ सुपंथ कुमारग कोटि कुचाल चली है ।
काल कराल, नृपाल कृपालन राज समाज बडोई छली है।।
बर्न -बिभाग न आस्रम धर्म, दुनी दुख-दोष-दरिद्र दली है।
स्वारथ को परमारथ को कलि राम को नाम प्रताप बली है।।

(c) रससिंगार-मंजनु किए, कंजनु भंजनु दैन ।
अंजनु रंजनु हूँ बिना खंजनु गंजनु नैन ।।
तो पर वारौं उरबसी, सुनि राधिके सुजान ।
तू मोहन कै उर बसी ह्वै उरबसी-समान ।।

(d) कौन हो तुम बसंत के दूत विरस पतझड़ में अति सुकुमार।
घन-तिमिर में चपला की रेख, तपन में शीतल मंद बयार ।
नखत की आशा-किरण समान, हृदय के कोमल कवि की कांत –
कल्पना की लघु लहरी दिव्य, कह रही मानस-हलचल शांत।

(e) धिक् जीवन को जो पाता ही आया विरोध,
धिक् साधन जिसके लिए सदा ही किया शोध ।
जानकी ! हाय, उद्धार प्रिया का हो न सका।

2. (a) भाव,भाषा एवं विचार की दृष्टि से निराला की ‘कुकुरमुत्ता’ कविता का मूल्यांकन कीजिए।
(b) “गुप्त जी ने ‘भारत-भारती’ में अतीत का गौरव गान, वर्तमान को रचनात्मक ऊर्जा एवं जागरण का संदेश देने हेतु किया है।” स्पष्ट कीजीए।
(c) ‘असाध्य वीणा’ कविता का मूल स्रोत क्या है? कवि ने कविता-सृजन की प्रक्रिया को किन स्तरों पर प्रस्तुत किया है?

3. (a) “सूरदास द्वारा भ्रमरगीत प्रसंग की योजना का मुख्य उद्देश्य निर्गुण पर सगुण की विजय दिखाना है।” इस कथन की युक्तिसंगत समीक्षा कीजिए।
(b) “जायसी ने नागमती वियोग-वर्णन द्वारा नारी की व्यथा-कथा को प्रस्तुत किया है।” इस कथन से आप कितने सहमत है, उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
(c) “दिनकर ने ‘कुरुक्षेत्र’ में युधिष्ठिर और भीष्म के माध्यम से अपने ही मानसिक अन्तर्द्वदों को अभिव्यक्त किया है।” कथन का तर्कपूर्ण विवेचन कीजिए।

4. (a) कबीर-वाणी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कितनी प्रासंगिक है? उदाहरण सहित लिखिए।
(b) ‘ब्रह्मराक्षस’ अस्तित्ववादी मान्यताओं और खंडित व्यक्तित्व का प्रतीक है। इस कथन के आलोक में ‘ब्रह्मराक्षस’ कविता की मूल संवेदना पर प्रकाश डालिए।
(c) ‘हरिजन गाथा’ कविता के आधार पर नागार्जुन की जनवादी दृष्टि की मीमांसा कीजिए।

खण्ड ‘B’

5. निम्नलिखित अवतरणों की लगभग 150 शब्दों में सप्रसंग व्याख्या कीजिए :

(a) जिसका मन अपने बस में नही है, वही दूसरे के मन का छंदावर्तन करता है, अपने को छिपाने के लिए मिथ्या आडंबर रचता है, दूसरों को फँसाने के लिए जाल बिछाता है। कुटज सब मिथ्याचारों से मुक्त है। वह वशी है। वह वैरागी है।
(b) कौन कहता है की हम-तुम आदमी हैं। हनमें आदमियत कहाँ? आदमी वह है जिसके पास धन है, अख्तियार है, इलम है। हम लोग तो बिल हैं और जुतने के लिए पैदा हुए हैं।
(c ) सम्पूर्ण संसार कर्मण्य वीरों की चित्रशाला है। वीरत्व एक स्वावलंबी गुण है। प्राणियों का विकास संभवतः इसी विचार के ऊर्जित होने से हुआ है। जीवन में वही तो विजयी होता है जो दिन-रात ‘युद्धस्व विगतज्वर:’ का शंखनाद सुन करता है।
(d) परलोक में अधिक भोग का अवसर पाने की कामना से किया गया यह त्याग त्याग नहीं। तुम्हारी आशा और विश्वास के अनुसार यह त्याग भोग की आशा का मूल्य है, भोग की इच्छा है तो साधन रहते भोग करो।
(e) काव्य-साहित्य और अन्य कलाएँ मूलतः सृजनात्मक हैं, अतः उनमें राजनीति के कार्य-विभाजन जैसा कोई विभाजन संभव ही नहीं होता। कोई भी सच्चा कलाकार ध्वंसयुग का अग्रदूत रहकर निर्माण का भार दूसरों पर नहीं छोड़ सकता, क्योंकि उसकी रचना तो निर्माण तक पहुँचने के लिए ही ध्वंस का पथ पार करती है।

6. (a) ‘भारत दुर्दशा’ नाटक अंग्रेजी राज्य की अप्रत्यक्ष रूप से कटु और सच्ची आलोचना है। विश्लेषण कीजिए।
(b) “दिव्या’ इतिहास नही, ऐतिहासिक कल्पना मात्र है।” इस कथं के आधार पर ‘दिव्या’ उपन्यास में इतिहास और कल्पना के समन्वय का विवेचन कीजिए।
(c) ‘गोदान’ की भाषा और उसके शिल्प की विशेषताएं बताइए।

7. (a) ” ‘आषाढ़ का एक दिन’ की मल्लिका स्वाधीन चेता स्त्री के जीवन के स्वाभिमान और विडंबना को चरितार्थ करती है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
(b) ‘मेरे राम का मुकुट भीग रहा है’ निबंध की ललित निबंध के रूप में तात्विक समीक्षा कीजिए।
(c) “‘महाभोज’ उपन्यास राजनीतिक विकृतियों का सच्चा दस्तावेज है।” इस कथन से आप कितने सहमत हैं, तर्कसंगत मीमांसा कीजिए।

8. (a) ‘कविता क्या है’ निबंध के आधार पर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के काव्य विषयक विचार प्रस्तुत कीजिए।
(b) ‘नयी कहानी’ की अवधारणा के संदर्भ में निर्मल वर्मा की कहानी ‘परिंदे’ की समीक्षा कीजिए।
(c) ‘मैला आँचल’ उपन्यास की भाषा, परिवेश को जीवंत करने में कितनी सफल सिद्ध हुई है? उदाहरण सहित विवेचन कीजिए।


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