UPSC Hindi Literature Optional Paper-1 2015: हिंदी साहित्य प्रथम प्रश्न पत्र
खण्ड ‘A’
1. निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए।
(a) देवनागरी लिपि में हुए सुधारों का इतिहास
(b) मध्यकाल में साहित्यिक भाषा के रूप में ब्रज का विकास
(c) अवहट्ट की व्याकरणिक विक्षेशताएं
(d) प्रारम्भिक खड़ी बोली और खुसरो की कविता
(e) संत-साहित्य की विक्षेशताएं
2. (a) पश्चिमी हिन्दी की कीन्ही दो बोलियों का विवेचन कीजिए।
(b) दक्खिनी हिन्दी की विशेषताओं का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
(c) स्वतंत्रता संग्राम की अवधि में हुए हिन्दी के विकास का परिचय दीजिए।
3. (a) वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में हिन्दी भाषा के विकास का सर्वेक्षण कीजिए और उस पर उपयुक्त एवं तर्कपूर्ण टिप्पणी कीजिए।
(b) मानक हिन्दी की कारक-व्यवस्था का सोदाहरण विवेचन कीजिए।
(c) आरंभिक हिन्दी की प्रमुख विशेषताओं का परिचय दीजिए।
4. (a) हिन्दी के विकास में अपभ्रंश के योगदान का आकलन कीजिए।
(b) हिन्दी भाषा के मानकीकरण में नागरी लिपि के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
(c) “राजभाषा के रूप में हिन्दी का विरोध राजनीतिक कारणों से हैं – इस कथन का विवेचन कीजिए।
5. निम्नलिखित पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिए:
(a) केशव की संवाद-योजना
(b) ‘हिन्दी प्रदीप’ के माध्यम से बालकृष्ण भट्ट का हिन्दी पत्रकारिता को प्रदत्त योगदान
(c) उपन्यासकार जैनेन्द्र की नारी दृष्टि
(d) साठोत्तरी हिन्दी कहानी
(e) जयशंकर प्रसाद का नाट्य-शिल्प
6. (a) विद्यापति की काव्य-कला का मूल्यांकन कीजिए।
(b) सूरदास की कविता के आधार पर उनकी लोकचेतना पर प्रकाश डालिए।
(c) बिहारी की काव्यगत विशेषताओं का विवेचन अनुभूति एवं अभिव्यक्ति-उभय दृष्टियों से कीजिए।
7. (a) ‘दिनकर’ की राष्ट्रीय चेतना पर प्रकाश डालिए।
(b) नागार्जुन की काव्य-भाषा पर एक संक्षिप्त निबंध लिखिए।
(c) हिन्दी-रंगमंच की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालिए।
8. (a) “‘झूठा सच’ महाकाव्योंचित औदात्य से सम्पन्न उपन्यास है।” इस कथन का विवेचन कीजिए।
(b) नगेन्द्र के आलोचना-कर्म की प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
(c) महादेवी वर्मा के संस्मरणों के वैशिष्ट्य का संक्षेप में निरूपण कीजिए।
UPSC Hindi Literature Optional Paper-2 2015: हिंदी साहित्य द्वितीय प्रश्न पत्र
खण्ड ‘A’
1. निम्नलिखित काव्यांशों की संदर्भ-सहित व्याख्या (लगभग 150 शब्दों में) प्रस्तुत करते हुए उनके काव्य-सौंदर्य का परिचय दीजिए:
(a) निर्गुन कौन देस को वासी ?
मधुकर ! हंसि समुझाय, सौंह दै बुझति साँच, न हांसी ।
को है जनक, जननि को कहियत, कौन नारि को दासी?
कैसो वरन घेस है कैसो, केहि रस के अभिलासी ।
पावैगो पुनि कियो आपनों जो रे कहैगो गांसी।
सुनत मौन है रह्यो ठग्यौ सो सूर सबै मति नासी।।
(b) तात राम नहि नर भूपाला । भुवनेश्वर कालहुं कर काला ।।
ब्रह्म अनामय अज भगवंता। व्यापक अजित अनादि अनंता ।।
गो द्विज धेनु देव हितकारी। कृपासिन्धु मानुष तनुधारी ।।
जन रंजत भंजत खल व्राता । वेद धर्म रच्छक सुनु भ्राता ।।
ताहि वयर तजि नाइए माथा, प्रनतारति भंजन रघु नाथा।।
देहु नाथ प्रभु कहुँ वैदेही, भजहु राम विनु हेतु सनेहीं ।
सरन गए प्रभु ताहु न त्यागा, बिस्व द्रोह कृत अघ जेहि लागा।
जासु नाम भय ताप नसावन, सोई प्रभु प्रकट समुझु जियं रावण।।
(c) मेरी भवबाधा हरौं, राधा नागरि सोई।
जा तन की झाई परै स्याम हरित दुति होई ।।
कहत नटत रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरै भौन मैं करत हैं नैननु हीं सब बात।।
(d) विश्व की दुर्बलता बल बने
पराजय का बढ़ता व्यापार
हँसाता रहे उसे सविलास
शक्ति की क्रीड़ामय संचार
शक्ति के विद्युतकण जो व्यस्त
विकल बिखरे हैं हो निरुपाय
समन्वय उसको करे समस्त
विजयिनी मानवता हो जाय ।
(e) सबने भी अलग-अलग संगीत सुना
इसको
वह कृपा वाक्य था प्रभुओं का
उसको
आतंक मुक्ति का आश्वासन
इसको
वह भरी तिजोरी में सोने की खनक।
उसे
बटुली में बहुत दिनों के बाद अन्न को साँधी खुशबू।
किसी एक को नई वधु की सहमी सी पायल ध्वनि
किसी दूसरे को शिशु की किलकारी
एक किसी को जाल फंसी मछली की तड़पन – एक अपर को चहक मुक्त नभ में उड़ती चिड़िया की।
एक तीसरे को मंडी की ठेलमठेल ग्राहकों की आस्पर्धा भली बोलियाँ,
चौथे को मंदिर की ताल युक्त घंटा ध्वनि।
और पाँचवे को लोहे पर सधे हथौड़े की सम चोटें
और छठे को लंगर पर कसमसा रही नौका पर लहरों की अविराम थपक
बटिया पर चमरौधे की रुंधी चाम सातवें के लिए
और आठवें को कुलिया की कटी मेड से बहते जल की छुलछुल।
इसे गमक नट्टीन की ऐडी के घुँघरू की ।
उसे युद्ध का ढोल।
इसे संझा- गोधुली की लघु टुन टुन
उसे प्रलय का डमरू नाद।
इसको जीवन की पहली अंगड़ाई
पर उसको महाजृंभ विकराल काल
सब डूबे, तिरे, झिपे जागे
हो रहे वशंवद स्तब्ध
इयत्ता सबकी अलग-अलग जागी।
2. (a) मुक्तिबोध की कविता में आधुनिकताबोध नए आयाम के साथ आत्मबोध के स्वर भी है। विचार प्रस्तुत कीजिए।
(b) अवधी भाषा में रचित ‘पद्मावत’ प्रेम और दर्शन का अद्भुत महाकाव्य है। संवेदनशील उत्तर दीजिए।
(c) बिहारी के दोहों में नीति, भक्ति शृगार की त्रिवेणी प्रवाहित है। स्पष्ट कीजिए।
3. (a) सूर के काव्य में है उतनी ही वग्विदग्धता भी स्पष्ट कीजिए।
(b) ‘रामचरितमानस’ के बाद ‘कामायनी’ एक ऐसा प्रबंध काव्य है जो मनुष्य के सम्पूर्ण प्रश्नों का अपने ढंग से कोई न कोई सम्पूर्ण उत्तर देता है। विचार कीजिए।
(c) मैथिलीशरण गुप्त को आधुनिक हिन्दी कविता के विकास में जो भूमिका है उसे स्पष्ट कीजिए।
4. (a) ‘राम की पूजा का आज के समय में नया पाठ क्या हो सकता है, स्पष्ट कीजिए।
(b) नये काव्य में किन अर्थों में महत्वपूर्ण है, स्पष्ट कीजिए
(c) दिन रचनाओं के संदेश अपनी भाषा में लिखिए।
खण्ड ‘B’
5. निम्नलिखित गद्यांशों की (लगभग 150 शब्दों में) ससन्दर्भ व्याख्या करते हुए उनके रचनात्मक-सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए:
(a) स्थाविर चिबुक की चमत्कारिक औषधि और कांधारी फलों के रस से शरीर में शीघ्र ही रसवृद्धि होकर पृथुसेन की प्राणशक्ति सामर्थ्य अनुभव करने लगी। उसी अनुपात में दिव्या की स्मृति और उसके लिए व्या लगा। जीवन का पाँसा फेंक कर प्राप्त की हुई सफलता दिव्या के अभाव में उसे निस्सार जान पड़ने लगी।
(b) होरी प्रमन्त था। जीवन के सारे संकट, सारी निराशाएं मानो उसके चरणों पर लोट रही थीं। कौन कहता है जीवन-संग्राम में वह हारा है? यह उल्लास, यह गर्व, यह पुलक क्या हार के लक्षण हैं? इन्हीं हारों में उसकी विजय है। उसके टूटे-फूटे अस्त्र उसकी विजय-पताकाएं हैं। उसकी छाती फूल उठी है। मुख पर तेज आ गया है।
(c) कविता ही मनुष्य के हृदय को स्वार्थ संबंधों के संकुचित मंडल से ऊपर उठाकर लोक सामान्य भूमि पर ले जाती है, जहाँ जगत की नाना गतियों के मार्मिक स्वरूप का साक्षात्कार और शुद्ध अनुभूतियों का संचार होता है, इस भूमि पर पहुचे हुए मनुष्य को कुछ काल के लिए अपना पता नहीं रहता। वह अपनी सत्ता को लोक-सत्ता में लीन किए रहता है। उसकी अनुभूति सबकी अनुभूति होती है या हो सकती है।
(d) मैं मानती हूँ माँ, अपवाद होता है। तुम्हारे दुख की बात भी जानती हूँ। फिर भी मुझे अपराध का अनुभव नहीं होता। मैंने भावना से प्रेम करती हूँ जो पवित्र है, कोमल है, अनश्वर है…।
(e)राष्ट्रनिति, दर्शनिकता और कल्पना का लोक नहीं है। इस कठोर प्रत्यक्षवाद की समस्या बड़ी कठिन होती है। गुप्त साम्राज्य की उत्तरोत्तर वृद्धि के साथ इसका दायित्व भी बढ़ गया है। पर उस बोझ को उठाने के लिए गुप्तकुल के शासक प्रस्तुत नहीं, क्योंकि साम्राज्य-लक्ष्मी को अब अनायास और अवश्य अपनी में आने वाली वस्तु समझने लगे हैं।
6. (a) “भारतेन्दु के कुछ नाटकों में गदर की साहित्यिक प्रतिक्रिया प्रकट हुई है।’ भारत दुर्दशा’ के विशेष संदर्भ में तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
(b) राजेन्द्र यादव की कहानियों में समकालीनता का स्वर है, प्रतिपादित कीजिए।
(c) कुबेरनाथ राय के ललित निबंधों की भावात्मक और विचारात्मक पृष्टभूमि का परिचय दीजिए।
7. (a) ‘स्कंदगुप्त’ नाटक प्रसाद के जीवन-मूल्यों का कौन-कौन संदर्भ उद्घाटित करता है?
(b) राजेन्द्र यादव की कहानियों की विशेषताएं बताइए।
(c) ‘ईदगाह’ या ‘पूस की रात’ कहानियों में से किसी की समीक्षात्मक विवेचना कीजिए।
8. (a) ‘दिव्या’ उपन्यास देश की गौरवगाथा मात्र। अपितु आगे की दिशा भी तलाशती है। इस पर विचार प्रस्तुत कीजिए।
(b) आंचलिक उपन्यास के रूप में ‘मैला आँचल’ का मूल्यांकन कीजिए।
(c) एक राजनैतिक उपन्यास के रूप में ‘महाभोज’ का विवेचन कीजिए।