भारतीय भाषा मराठी वैकल्पिक विषय पेपर- I पाठ्यक्रम (Marathi Literature Syllabus)
खण्ड –क
(भाषा और लोक विद्या)
(क) भाषा का स्वरूप और कार्य
(मराठी के संदर्भ में)
भाषा-संकेतन प्रणाली के रूप में : लेंगुई और परौल, अधारभूत कार्य, काव्यात्मक भाषा, मानक भाषा तथा बोलियां, सामाजिक प्राचल के अनुसार भाषाई-परिवर्तन तेरहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी में मराठी की भाषाई विशेषताएं
(ख) मराठी की बोलियां
अहिराणी, बहदी, डांगी
(ग) मराठी व्याकरण
शब्द-भेद (पाट्स आफ स्पीच), कारक व्यवस्था (केस सिस्टम), प्रयोग विचार (वाच्य)
(घ) लोक विद्या के स्वरूप और प्रकार
(मराठी के विशेष संदर्भ में) लोकगीत, लोककथा, लोकनाट्य
खण्ड – ख
साहित्य का इतिहास और साहित्यिक आलोचना
(क) मराठी साहित्य का इतिहास
- प्रारंभ से 1818 ई. तक : महानुभव लेखक, वरकारी, कवि, पडत कवि, शाहिर्स, बाखर साहित्य के विशेष संदर्भ में ।
- 1850 ई. से 1990 तक : काव्य, कथा साहित्य (उपन्यास और कहानी), नाटक और प्रमुख साहित्य धाराओं के विशेष संदर्भ में तथा रोमाटिक, यथार्थवादी, आधुनिकतावादी, दलित, ग्रामीण और नारीवादी आंदोलनों के विकास के विशेष संदर्भ में।
(ख) साहित्यिक आलोचना
- साहित्य का स्वरूप और कार्य ।
- साहित्य का मूल्यांकन ।
- आलोचना का स्वरूप, प्रयोजन और प्रक्रिया ।
- साहित्य, संस्कृति और समाज ।
भारतीय भाषा मराठी वैकल्पिक विषय पेपर- II पाठ्यक्रम (Marathi Literature Syllabus)
(उत्तर मराठी में लिखने होंगे)
निर्धारित साहित्यिक रचनाओं का मूल पाठ विषयक अध्ययन
इस प्रश्न पत्र में निर्धारित मूल पाठ्य पुस्तकों को पढ़ना अपेक्षित होगा और इनमें अभ्यर्थी की आलोचनात्मक योग्यता को जांचने वाले प्रश्न पूछे जाएंगे ।
खंड-क
(काव्य)
- “स्मृति स्थल
- महात्मा जोतिबा फुले : “शेतकारियाचा आसुद’, “सार्वजनिक सत्यधर्म”
- एस. वी. केतकर : ‘‘ब्राह्मण कन्या’
- पी. के. अत्रे : “शास्टांग नमस्कार’
- शरच्चंद मुक्तिबोध : जाना हे बोलातु जेथे
- अद्धव शैल्के : ‘‘शीलन’
- बाबू राब बागुल : “जेव्हा मी जात चोरली होती’
- गौरी देशपांडे : “एकेक पान गालाव्या”
- पी आई सोनकाम्बले “आठवनीन्चे पक्षी
(गद्य)
- नामदेवान्ची अभंगवाणी सम्पा.-इनामदार, रेलेकर, मिराजकर, माडर्न बुक डिपो, पुणे
- “पेन्जान”
सम्पा.-एम. एन. अद्वन्त
साहित्य प्रसाद केन्द्र, नागपुर - दमयन्ती स्वयंवर
द्वारा रघुनाथ पंडित - बालकविंची कविता
द्वारा बालकवि - विशाखा
द्वारा-कुसुमाग्रज - मृदगंध
द्वारा-विन्दा करन्दीकर - जाहिरनामा
द्वारा–नारायण सुर्वे - संध्या कालचे कविता
द्वारा-ग्रेस - यां सत्तेत जीव रमात नाही
द्वारा-नामदेव ढसाल