भारतीय भाषा कन्नड़ वैकल्पिक विषय पेपर- I पाठ्यक्रम (Kannada Literature Syllabus)
खण्ड क
(क) कन्नड़ भाषा का इतिहास
भाषा क्या है? भाषा की सामान्य विशेषताएं। द्रविड़ भाषा परिवार और इसके विशिष्ट लक्षण : कन्नड़ भाषा की प्राचीनता । उसके विकास के विभिन्न चरण : कन्नड़ भाषा की बोलियां : क्षेत्रीय और सामाजिक । कन्नड़ भाषा के विकास के विभिन्न पहलू : स्वनिमिक और अर्थगत परिवर्तन ।
भाषा आदान ।
(ख) कन्नड़ साहित्य का इतिहास
प्राचीन कन्नड़ साहित्य : प्रभाव और प्रवृत्तियां । निम्नलिखित कवियों का अध्ययन : पंपा, जन्न, नागचंद्र, : पंपा से रत्नाकर वर्णी तक इन निर्दिष्ट कवियों का विषय वस्तु, रूप विधान और अभिव्यंजना की दृष्टि से अध्ययन ।
मध्ययुगी कन्नड़ साहित्य: प्रभाव और प्रवृत्तियां वचन साहित्य : बासवन्ना अक्क महादेवी । मध्ययुगीन कवि : हरिहर राघवंक, कुमारव्यास । दारा साहित्य : पुरन्दर और कनक ।
संगतया : रत्नाकर वर्णी
(ग) आधुनिक कन्नड़ साहित्य : प्रभाव प्रवृत्तियां और विचार-धाराएं। नवोदय, प्रगतिशील, नव्य, दलित और बन्दय ।
खण्ड-ख
(क) काव्यशास्त्र और साहित्यक आलोचना
कविता की परिभाषा और संकल्पनाएं : शब्द, अर्थ, अलंकार, रीति, रस, ध्वनि, औचित्य ।
रस सूत्र की व्याख्याएं। साहित्यिक आलोचना की आधुनिक प्रवृत्तियां : रूपवादी, ऐतिहासिक, माक्र्सवादी, नारीवादी
उत्तर-औपनिवेशिक आलोचना ।
(ख) कर्नाटक का सांस्कृतिक इतिहास
कर्नाटक की संस्कृति में राजवंशों का योगदान : साहित्यिक संदर्भ में बदामी और कल्याणी के चालुक्य, राष्ट्रकुटों, हौशल्या और विजयनगर के शासकों का योगदान ।
कर्नाटक के प्रमुख धर्म और उनका सांस्कृतिक योगदान कर्नाटक की कलाएं : साहित्यिक संदर्भ में मूर्तिकला, वास्तुकला, चित्रकला, संगीत, नृत्य । कर्नाटक का एकीकरण और कन्नड़ साहित्य पर इसका प्रभाव ।
भारतीय भाषा कन्नड़ वैकल्पिक विषय पेपर- II पाठ्यक्रम (Kannada Literature Syllabus)
(उत्तर कन्नड़ में लिखने होंगे)
इस प्रश्न पत्र में निर्धारित मूल पाठ्य पुस्तकों को पढ़ना अपेक्षित होगा और ऐसे प्रश्न पूछे जाएंगे जिससे उम्मीदवारों की आलोचनात्मक योग्यता की परीक्षा हो सके।
खण्ड क
(क) प्राचीन कन्नड़ साहित्य
- पंपा का विक्रमार्जुन विजय (सर्ग 12 तथा 13), (मैसूर विश्वविद्यालय प्रकाशन) ।
- बद्दराघने (सुकुमारस्वामैया काथे, विद्युत्चोरन काथे) ।
(ख) मध्ययुगीन कन्नड़ साहित्य
- वचन काम्मत, ‘संपादक: के. मास्लसिद्दष्पा, के. आर. नागराज’ (बंगलौर विश्वविद्यालय, प्रकाशन)।
- जनप्रिय कनकसम्पुत, संपादक: डी. जवारे गौड़ा’ (कन्नड़ एंड कल्चर डायरेक्टोरेट, बंगलौर) ।
- नम्बियन्नाना रागाले, संपादक: डी. एन. श्रीकांतैय (ता. वैम. स्मारक ग्रंथ माले, मैसूर) ।
- कुमारव्यास भारत : कर्ण पर्व (मैसूर विश्वविद्यालय) ।
- भारतेश वैभव संग्रह, संपादक : ता. सु. शाम राव (मैसूर विश्वविद्यालय) ।
खण्ड ख
(क) आधुनिक कन्नड़ साहित्य
- काव्य: होसगन्नड़ कविते, संपादक : जी. एच. नायक (कन्नड़ साहित्य परिशत्तु, बंगलौर) ।
- उपन्यास: बैलाद जीव-शिवराम कारंत (माधवी-अनुपमा | निरंजन औडालाल-देवानुरू महादेव) ।
- कहानी: कन्नड़ सन्न काथेगलु, संपादक: जी. एच. नायक (साहित्य अकादमी, नई दिल्ली) ।
- नाटक: शुद्र तपस्वी-कुवेम्पु । तुगलक-गिरीश कर्नाड
- विचार साहित्य: देवरू-ए, एन. मूर्ति राव (प्रकाशक : डी. वी. के. मूर्ति, मैसूर)
(ख) लोक साहित्य
- जनपद स्वरूप-डा. एच. एम. नायक (ता. वैम स्मारक ग्रंथ माले, मैसूर)
- जनपद गीतांजलि : संपादक : डी. जवारे गौड़ा (प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली) ।
- कन्नड़ जनपद काथेगालु-संपादक : जे. एस. परमशिवैया (मैसूर विश्वविद्यालय) ।
- बीड़ि मक्कालु बैलेडो : संपादक : कालेगौड़ा नागवारा (प्रकाशक : बंगलौर विश्वविद्यालय) ।
- सविरद ओगातुगालू-संपादक । एस. जी. इमरापुर ।