भूगोल वैकल्पिक पेपर- I पाठ्यक्रम (Geography Optional Syllabus)
प्राकृतिक भूगोल
1. भूआकृति विज्ञान :
भूआकृति विकास के नियंत्रक कारण : अंतर्जात एवं बहिर्जात बल: भूपर्पटी का उद्गम एवं विकास : भू-चुंबकत्व के मूल सिद्धांत: पृथ्वी के अंतरंग की प्राकृतिक दशाएं।
भू-अभिनति: महाद्वीपीय विस्थापन: समस्थिति: प्लेट विवर्तनिठेकी: पर्वतोत्पति के संबंध मैं अभिनव विचार: ज्वालामुखी: भूकम्प एवं सुनामी: भूआकृतिक चक्र एवं दृश्यभूमि विकास की संकल्पनाएं, अनाच्छादन काल»अनुक्रम: जलमार्ग आकृतिक विज्ञान: अपरदन पृष्ठ: प्रवणता विकास: अनुप्रयुक्त भूआकृति विज्ञान: भूजल विज्ञान, आर्थिक भूविज्ञान एवं पर्यावरण।
2. जलवायु विज्ञान:
विश्व के ताप एवं दाब कटिबंध, पृथ्वी का तापीय बजट: वायुमंडल परिसंचरण, वायु मंडल स्थिरता एवं अनस्थिरता, भूमंडलीय एवं स्थानीय पवन: मानसून एवं जेट प्रवाह: वायु राशि एवं वाताग्रजनन: शीतोष्ण एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवात : वर्षण के प्रकार एवं वितरण : मौसम एवं जलवायु : कोपेन, थॉर्नवेट एवं त्रेवार्धा का विश्व जलवायु परिवर्तन में मानव की भूमिका एवं अनुक्रिया, अनुप्रयुक्त जलवायु विज्ञान एवं नगरी जलवायु।
3. समुद्र विज्ञान:
अटलांटिक, हिंद एवं प्रशांत महासागरों की तलीय स्थलाकृति: महासागरों का ताप एवं ल्वणता: उष्मा एवं लवण बजट, हासागरी निक्षैप: तरंग धाराएं एवं ज्वञर भाटा: समुद्रीय संसाधन जीवीय, खनिज एवं ऊर्जा संसाधन, प्रवाल मित्तियां: प्रवाल विरंजन: समुद्र परिवर्तन: समुद्र नियम एवं समुद्री प्रदूषण।
4. जीव भूगोल :
मृदाओं की उत्पति; मृदाओं का वर्गीकरण एवं वितरण: मृदा परिच्छेदिका: मृदा अपरदन: न्यूनीकरण एवं संरक्षण: पादप एवं जन्तुओं के वैश्यिक वितरण को प्रभावित करने वाले कारक: वन अपरोपण की समस्याएं एवं संरक्षण के उपाय: सामाजिक वानिकी: कृति वानिकी: वन्य जीवन: प्रमुख जीन पूल केंद्र।
5. पर्यावरणीय भूगोल :
पथ्नरिस्थितिकी के सिंद्धांत: मानव पथ्शरिस्थितिक अनुकूलन: पश्रिस्थितिकी एवं पर्यावरण पर मानव का प्रभाव: वैश्विक एव्र क्षेत्रीय पारिस्थितिक परिवर्तन एवं असंतुलनः पारितंत्र उनका प्रबंधन एवं संरक्षण: पर्यावरणीय निम्नीकरण, प्रबंध एवं संरक्षण: जैव विविधता एवं संपोषण विकास: पर्यावरणीय शिक्षा एवं विधान।
मानव भूगोल
1. मानव भूगोल के संदर्श
क्षेत्रीय विभेदन; प्रादेशिक संश्लेषण; दविभाजन एवं द्वैतवाद; पर्यावरणवाद; मात्रात्मक क्राठ॑ंति एवं अवस्थिति विश्लेषण; उग्रसुधार, व्यथ्अवहारिक, मानवीय एवं कल्याण उपागम: भाषाएं, धर्म ण्वं निरपेक्षीकरण; विश्व के सास्कृतिक प्रदेश! मानव विकास सूचक।
2. आर्थिक भूगोल
विश्व आर्थिक विकास : माप एवं समस्याएं; विश्व संसाधन एवं उनका वितरण;, ऊर्जा संकट : संवृदधि की सीमाएं; विश्व कृषि : कृषि प्रदेशों की प्रारूपता : कृषि निवेश एवं उत्पादकता; खादय एवं पोषण समस्याएं; खादय सुरक्षा; दुर्भिक्ष कारण, प्रभाव एवं उपचार, विश्व उद्योग, अवस्थानिक प्रतिरूप एवं समस्याएं; विश्व व्यापार के प्रतिमान।
3. जनसंख्या एवं बस्ती भूगोल
विश्व जनसंख्या की वृद्धि और वितरण; जनसांख्यिकी गुण; प्रवासन के कारण एवं परिणाम; अतिरेक-अल्प एवं अनुकूलतम जनसंख्या की संकल्पनाएं; जनसंख्या के सिद्धांत; विश्व जनसंख्या समस्याएं और नीतियां; सामाजिक कल्याण एवं जीवन गुणवत्ता; सामाजिक पूंजी के रूप में जनसंख्या, ग्रामीण बस्तियों के प्रकार एवं प्रतिरूप; ग्रामीण बस्तियों के पर्यावरणीय मुद्दे; नगरीय बस्तियों का पदानुक्रम; नगरीय आकारिकी; प्रमुख शहर एवं श्रेणी आकार प्रणाली की संकल्पना; नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण; नगरीय प्रभाव क्षेत्र; ग्राम नगर उपांत; अनुषंगी नगर, नगरीकरण की समस्याएं एवं समाधान; नगरों का संपोषणीय विकास।
4. प्रादेशिक आयोजन
प्रदेश की संकल्पना; प्रदेशों के प्रकार एवं प्रदेशीकरण की विधियां; वृद्धि केन्द्र तथा वृद्धि धुव; प्रादेशिक असंतुलन; प्रादेशिक विकास कार्यनीतियां; प्रादेशिक आयोजना में पर्यावरणीय मुददे; संपोषणीय विकास के लिए आयोजना।
5. मानव भूगोल में मॉडल, सिद्धांत एवं नियम
मानव भूगोल में प्रणाली विश्लेषण; माल्थस का, मार्क्स का और जनसांख्यिकीय संक्रमण मॉडल; क्रिस्टावर एवं लॉश का केन्द्रीय स्थान सिद्धांत; पेरू एवं बूदेविए; वॉन थूनेन का कृषि अवस्थान मॉडल; वेबर का औदयोगिक अवस्थान मॉडल; ओस्तोव का वृद्धि अवस्था माडल; अंत: भूमि एवं बहि: भूमि सिद्धांत; अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं एवं सीमांत क्षेत्र के नियम।
भूगोल वैकल्पिक पेपर- II पाठ्यक्रम (Geography Optional Syllabus):
भारत का भूगोल
1. भाँतिक विन्यास :
पड़ोसी देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष संबंध; संरचना एवं उच्चावच; अपवाहतंत्र एवं जल विभाजक; भू-आकृतिक प्रदेश; भारतीय मानसून एवं वर्षा प्रतिरूप; ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं पश्चिमी विक्षोभ की क्रिया विधि; बाढ़ एवं अनावृष्टि; जलवायवी प्रदेश; प्राकृतिक वनस्पति; मृदा प्रकार एवं उनका वितरण।
2. संसाधन :
भूमि, सतह एवं भौमजल, ऊर्जा, खनिज, जीवीय एवं समुद्री संसाधन; वन एवं वन्य जीवन संसाधन एवं उनका संरक्षण; ऊर्जा संकट।
3. कृषि :
अवसंरचना: सिंचाई, बीज, उर्वरक, विद्युत; संस्थागत कारक: जोत भू-धारण एवं भूमि सुधार: शस्यन प्रतिरूप, कृषि उत्पादकता; कृषि प्रकर्ष, फसल संयोजन, भूमि क्षमता; कृषि एवं सामाजिक वानिकी; हरित क्रांति एवं इसकी सामाजिक आर्थिक एवं पारिस्थितिक विवक्षा; वर्षाधीन खेती का महत्व; पशुधन संसाधन एवं श्वेत क्रांति; जल कृषि; रेशम कीटपालन; मधुमक्षिपालन एवं कुक्कुट पालन; कृषि प्रादेशीकरण, कृषि जलवाधवी क्षेत्र; कृषि पारिस्थितिक प्रदेश।
4. उद्योग :
उदयोगों का विकास; कपास, जूट, वस्त्रोदयोग, लोह एवं इस्पात, अलुमिनियम, उर्वरक, कागज़, रसायन एवं फार्मास्युटिकल्स, आटोमोबाइल, कुटीर एवं कृषि आधारित उद्योगों के अवस्थिति कारक; सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित औद्योगिक घराने एवं संकुल; औदयोगिक प्रादेशीकरण; नई औद्योगिक नीतियां; बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं उदारीकरण; विशेष आर्थिक क्षेत्र; पारिस्थितिकी-पर्यटन समेत पर्यटन।
5. परिवहन, संचार एवं व्यापार :
सड़क, रेलमार्ग, जलमार्ग, हवाई मार्ग एवं पाइपलाइन, नेटवर्क एवं प्रादेशिक विकास मैं उनकी पूरक भूमिका; राष्ट्रीय एवं विदेशी व्यापार वाले पतनों का बढ़ता महत्व; व्यापार संतुलन; व्यापार नीति; निर्यात प्रकमण क्षेत्र; संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में आया विकास और अर्थव्यवस्था तथा समाज पर उनका प्रभाव; भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम
6. सांस्कृतिक विन्यास :
भारतीय समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य; प्रजातीय, आषिक एवं नृजातीय विविधताएं; धार्मिक अल्पसंख्यक; प्रमुख जनजातियां, जनजातियां क्षेत्र तथा उनकी समस्याएं; सांस्कृतिक प्रदेश; जनसंख्या की संवृद्धि, वितरण एवं घनत्व; जनसांख्यिकीय गुण: लिंग अनुपात, आयु संरचना, साक्षरता दर, कार्यबल, निर्भरता अनुपात, आयुकाल: प्रवासन (अंत:प्रादेशिक, प्रदेशांतर तथा अंतराष्ट्रीय) एवं इससे जुड़ी समस्याएं, जनसंख्या समस्याएं एवं नीतियां; स्वास्थ्य सूचक |
7. बस्ती :
ग्रामीण बस्ती के प्रकार, प्रतिरूप तथा आकारिकी; नगरीय विकास; भारतीय शहरों की आकारिकी; भारतीय शहरों का प्रकार्यौत्मक वर्गीकरण; सत्रनगर एवं महानगरीय प्रदेश; गंदी बस्ती एवं उससे जुड़ी समस्याएं; नगर आयोजना; नगरीकरण की समस्या एवं उपचार।
8. प्रादेशिक विकास एवं आयोजना:
भारत में प्रादेशिक आयोजना का अनुभव; पंचवर्षीय योजनाएं; समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम; पंचायती राज एवं विकैंद्रीकूत आयोजना; कमान क्षेत्र विकास; जल विभाजन प्रबंध; पिछड़ा क्षेत्र, मरूस्थल, अनावृष्टि प्रबण, पहाड़ी, जनजातीय क्षेत्र विकास के लिए आयेजना; बहुस्तरीय योजना; प्रादेशिक योजना एवं द्वीप क्षेत्रों का विकास।
9. राजनैतिक परिप्रेक्ष्य :
भारतीय संघवाद का भौगोलिक आधार; राज्य पुनर्गठन; नए राज्यों का आविर्भाव; प्रादेशिक चेतना एवं अंतर्राज्य मुद्दे; भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और संबंधित मुददे; सीमापार आतंकवाद; वैश्विक मामलों मैं भारत की भूमिका; दक्षिण एशिया एवं हिंद महासागर परिमंडल की भू-राजनीति।
10. समकालीन मुद्दे :
पारिस्थितिक मुद॒दे: पर्यावरणीय संकट: भू-स्खलन, भूकंप, सूनामी, बाढ़ एवं अनावृष्टि, महामारी, पर्यावरणीय प्रदूषण से संबंधित मुद्दे; भूमि उपयोग के प्रतिरूप में बदलाव; पर्यावरणीय प्रभाव आकलन एवं पर्यावरण प्रबंधन के सिद्धांत; जनसंख्या विस्फोट एवं खादूय सुरक्षा; पर्यावरणीय निम्नीकरण; वनोन्मूलन, मरूस्थलीकरण एवं मृदा अपरदन; कृषि एवं औदयोगिक अशांति की समस्याएं; आर्थिक विकास में प्रादेशिक असमानताएं; संपोषणीय वृद्धि एवं विकास की संकल्पना; पर्यावरणीय संचेतना; नदियों का सहवद्धन भूमंडलीकरण एवं भारतीय अर्थव्यवस्था।
नोट : उम्मीदवारों को इस पेपर में शामिल विषयों से संबंधित एक अनिवार्य मानचित्र प्रश्न का उत्तर देना होगा।
Geography Optional Syllabus (in English)
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