स्वदेशी शिक्षा की स्थिति, उसकी अव्यवस्था; प्राच्यवादी-आंग्लवादी विवाद। भारत में पश्चिमी शिक्षा की शुरूआत; प्रेस, साहित्य और जनमत का उदय; आधुनिक स्थानीय साहित्य का उदय; विज्ञान की प्रगति; भारत में ईसाई मिशनरी गतिविधियाँ.
- अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की शैक्षिक नीति की समीक्षा करें। इसने किस हद तक ग्रेट ब्रिटेन के शाही हितों की सेवा की?(1988)
- ‘मिशनरियों का प्रभाव महिला आंदोलन से अधिक कहीं नहीं महसूस किया गया।’ लगभग 200 शब्दों में टिप्पणी करें।(1989)
- एंग्लिसीसिट-ओरिएंटलिस्ट विवाद किस बारे में था? इसका समाधान कैसे हुआ और इसके क्या परिणाम रहे?(1990)
- “भारत ने पश्चिमी हथौड़ों से अपनी ब्रिटिश बेड़ियाँ तोड़ दीं।” टिप्पणी करें।(1997)
- 1813 के बाद से ईसाई मिशनरी का प्रचार “अक्सर असंवेदनशील और घाव भरने वाला” था। टिप्पणी कीजिए ।(1999)
- “भारत ने पश्चिमी हथौड़ों से अपनी ब्रिटिश बेड़ियाँ तोड़ दीं।” टिप्पणी करें।(2002)
- 19वीं शताब्दी में भारतीय समाज पर ब्रिटिश शासन के प्रभाव का परीक्षण करें।(2004)
- “उन्नीसवीं सदी में स्थानीय भाषा का प्रेस समाचार पत्र के साथ-साथ ‘व्यूपेपर’ भी था, जो सुप्त जनता को प्रबुद्ध करता था।” टिप्पणी।(2008)
- “प्राच्यवाद ने औपनिवेशिक राज्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अतीत में ज्ञान का उत्पादन किया।” स्पष्ट करें.(2011)
- “उन्नीसवीं सदी के भारत में स्थानीय प्रेस ने न केवल समाचार पत्र के रूप में बल्कि उससे भी महत्वपूर्ण रूप से विचार-पत्र के रूप में कार्य किया।” टिप्पणी करें।(2011)
- ”प्रारंभिक आधुनिक भारत’ के वर्गीकरण की वर्तमान प्रथा ‘मुस्लिम भारत’ – ‘ब्रिटिश भारत’ के पुराने साम्राज्यवादी कालीकरण से ‘मध्यकालीन भारत’ – ‘आधुनिक भारत’ के अधिक धर्मनिरपेक्षतावादी कालीकरण में बदलाव पर आधारित है, जो भारतीय इतिहास को एक सार्वभौमिक कालानुक्रमिक संरचना में रखता है।” आलोचनात्मक परीक्षण करें। (2012)
- क्या आप इस मत से सहमत हैं कि भारत में 19 वीं व 20 वीं शताब्दियों में मातृभाषा साहित्य के विकास ने सामाजिक सुधार और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त किया? (2016)
- उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता पैदा करने में समाचारपत्रों की भूमिका का आकलन कीजिए। (2017)
- 19 वीं शताब्दी भारत में प्राच्यवादी-आंग्लवादी विवाद का क्या महत्व था ? विश्लेषण कीजिए। (2018)
- भारत में पश्चिमी शिक्षा को लागू करवाए जाने के लिए प्रयासरत शक्तियों का परीक्षण कीजिए। ईसाई धर्म-प्रचारकों द्वारा इसके लिए डाले गए दबाव का विश्लेषण कीजिए। (2019)
- पाश्चात्य शिक्षा के लागू होने से भारत में अनपेक्षित परिवर्तन हुए। (2021)
- देशी प्रेस अधिनियम (वर्नाक्यूलर प्रेस ऐक्ट), 1878 को देशी प्रेस पर बेहतर नियंत्रण के लिए बनाया गया था जिससे सरकार और अधिक प्रभावी तरीकों से राजद्रोही लेखन को दंडित एवं दमित करने में सशक्त बन सके। (2021)