गांधीवादी राष्ट्रवाद का चरित्र; गांधी की लोकप्रिय अपील; रौलट सत्याग्रह; खिलाफत आंदोलन; असहयोग आंदोलन; असहयोग आंदोलन के अंत से लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत तक राष्ट्रीय राजनीति; सविनय अवज्ञा आंदोलन के दो चरण; साइमन कमीशन; नेहरू रिपोर्ट; गोलमेज़ सम्मेलन; राष्ट्रवाद और किसान आंदोलन; राष्ट्रवाद और श्रमिक वर्ग आंदोलन; भारतीय राजनीति में महिलाएँ और भारतीय युवा और छात्र (1885-1947); 1937 का चुनाव और मंत्रालयों का गठन; क्रिप्स मिशन; भारत छोड़ो आंदोलन; वेवेल योजना; कैबिनेट मिशन

  1. देश में ‘व्यावसायिक दबावों’ की बदलती भूमिका के विशेष संदर्भ में सविनय अवज्ञा आंदोलन के मुख्य पहलुओं की पहचान करें।(1985)
  1. आप 1919-20 के दौरान गांधीजी के ‘सत्ता में उदय’ या राष्ट्रीय नेतृत्व पर ‘कब्ज़ा’ की व्याख्या कैसे करेंगे? क्या यह एक अत्यंत कुशल शीर्ष स्तरीय राजनीतिक खेल था?(1987)
  1. “शिमला सम्मेलन (1945) ने राष्ट्रवाद की ताकतों को देश की अखंडता को बनाए रखने के लिए एक पुनर्गठित कार्रवाई से लड़ने का आखिरी मौका दिया और जब लड़ाई हार गई, तो सांप्रदायिकता की लहरों ने इसे तुरंत घेर लिया।” लगभग 200 शब्दों में टिप्पणी करें।(1988)
  1. विभिन्न कालखंडों और विभिन्न स्तरों पर, राष्ट्रीय आंदोलन ने सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक आयाम को बढ़ाने के लिए ग्रहण किए। (1988)
  1. पश्चिमी और दक्षिणी भारत में जाति आंदोलनों का कारण क्या था? उन्होंने स्थानीय सामाजिक-राजनीतिक जीवन को कैसे प्रभावित किया?(1989)
  1. उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में पश्चिमी और दक्षिण भारत में गैर-ब्राह्मण आंदोलनों की मुख्य रूपरेखा का विश्लेषण करें।(1991)
  1. दिखाएँ कि कैसे सविनय अवज्ञा को बहुत अधिक बिखरी हुई संभावित कट्टरपंथी अभिव्यक्तियों द्वारा चिह्नित किया गया था। क्या कराची कांग्रेस पूरे आंदोलन की कुछ बुनियादी कमज़ोरियों का संकेत थी?(1992)
  1. ‘मुक्ति के लिए राष्ट्रवादी राजनीतिक आंदोलन जैसे असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन और उनका नेतृत्व बहुत हद तक किसानों पर निर्भर था।’ टिप्पणी करें।(1993)
  1. गाँधीजी ने जन-आन्दोलनों पर लगाम लगाई फिर भी उन्होंने जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बरकरार रखी। आप इस विरोधाभास को कैसे समझाते हैं?(1994)
  1. पाठ्यक्रम का पता लगाएं और 20वीं सदी में दक्षिण भारत में जाति आंदोलनों के चरित्र पर टिप्पणी करें। उनका उद्देश्य कहाँ तक प्राप्त हुआ?(1995)
  1. 1937 के बाद भारतीय राज्यों में जन आंदोलन के पाठ्यक्रम का पता लगाएं। कांग्रेस नेतृत्व ने इस पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?(1996)
  1. “गांधी के रहस्यवाद में रणनीति के लिए एक उल्लेखनीय प्रतिभा और जन मानस में एक अलौकिक अंतर्दृष्टि के साथ मूल विचारों का संयोजन शामिल था।” स्पष्ट करें.(1999)
  1. ‘भारत छोड़ो आंदोलन ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोगों का एक स्वतःस्फूर्त विद्रोह था।’ टिप्पणी करें।(2001)
  1. “गांधी ने जन आंदोलनों पर अंकुश लगाया, फिर भी उन्होंने जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बरकरार रखी।” टिप्पणी कीजिए ।(2002)
  1. ‘1942 की गर्मियों में, गांधीजी एक अजीब और अनोखे उग्र मूड में थे।’ टिप्पणी करें।(2003)
  1. उन कारकों का पता लगाएँ जिनके कारण 1907 में कांग्रेस में विभाजन हुआ। राष्ट्रवादी आंदोलन के पाठ्यक्रम पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?(2003)
  1. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-31) के लिए जिम्मेदार कारकों का विश्लेषण करें। 1935 के भारत सरकार अधिनियम में इसके उद्देश्य कहाँ तक साकार हुए?(2005)
  1. “1931 में कराची में कांग्रेस ने परिभाषित किया कि जनता के लिए स्वराज का क्या अर्थ होगा।” टिप्पणी कीजिए ।(2007)
  1. खिलाफत और असहयोग आंदोलनों के बीच गठबंधन की परिस्थितियों की व्याख्या करें। क्या यह कांग्रेस की ओर से राजनीतिक रूप से बुद्धिमानी भरा कदम था?(2007)
  1. “क्या नैतिक कानून, विवेक का कानून, राज्य के कानून से ऊंचा है, जो दमनकारी है?” (गांधी, 1922) टिप्पणी कीजिए ।(2008)
  1. क्या आपको लगता है कि भारत छोड़ो आंदोलन एक स्वतःस्फूर्त क्रांति थी?(2009)
  1. आलोचनात्मक मूल्यांकन करें: ‘1942 के आंदोलन में अरुणा आसफ अली की सक्रिय भागीदारी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका का प्रतीक थी।’(2010)
  1.  “हम में से बहुत से जिन्होंने काँग्रेस के कार्यक्रमों में काम किया था, वर्ष 1921 में एक प्रकार के नशे में जीते रहे। हम में उत्साह और आशावाद भरा था…। हमें स्वाधीनता का आभास होने लगा किस पर हमें गर्व था।” (2013)
  1.  “गाँधीजी शारीरिक रूप से जेल में हैं पर उनकी आत्मा आपके साथ है, भारत का मान आपके हाथों में है, आपको किसी भी परिस्थिति में हिंसा का प्रयोग नहीं करना है। आपको पीटा जाए तो भी आप विरोध ण करें; अपने ऊपर पड़ने वाले वर को रोकने के लिए हाथ नहीं उठाना है।” (2013)
  1. “एम. के. गांधी द्वारा खिलाफत आन्दोलन का समर्थन एक बड़ी भूल थी, क्योंकि यह एक ऐसा अन्य-देशीय मुद्दा था जिसने भारतीय राष्ट्रीयता को जड़ों से ही काट दिया था।” (2014)
  1. “…योजना (केबिनेट मिशन योजना) को नकारने के बजाय, काँग्रेस ने अध-कचड़ी विधिक युक्ति का सहारा अपने हितों को दूरगामी प्रबंधों से साधने के लिए, इसके सीमित (अल्पकालीन) प्रावधानों को स्वीकार कर लिया।” समालोचनात्मक समीक्षा कीजिए। (2014)
  1. भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन ने किस हद तक अफ्रीका में स्वाधीनता आन्दोलन को प्रभावित किया था? (2014)
  1. “सर्वत्र मजबूत विरोध के बावजूद रॉलेट विधान को अस्तित्व में बनाए रखना राष्ट्र का अपमान है। राष्ट्रीय की सांत्वना के लिए उसका निरसन करना आवश्यक है।” (2015)
  1.  “रॉयल भारतीय नौसेना के विद्रोह की घटना को अन्ततः भारतीय स्वतंत्रता दिवस की तरह ही ब्रिटिश शासन की समाप्ति के रूप में चिन्हित किया गया।” व्याख्या कीजिए। (2015)
  1. “भारत छोड़ो आन्दोलन को स्वतःफुरत क्रान्ति’ के रूप में चित्रित करना आंशिक व्याख्या होगी, उसी प्रकार उसे गाँधीवादी सत्याग्रह आन्दोलनों के चरम बिन्दु के रूप में देखना भी।” स्पष्ट कीजिए। (2015)
  1. भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में महिलाओं ने कौन-सी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई? (2016)
  1.  डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने भारत की जाति समस्या का राजनीतिक हल किस प्रकार से निकालने का प्रयत्न किया? (2016)
  1. यह स्पष्ट कीजिए कि किस कारण 1942-1946 के दौरान भारत के सांविधानिक अवरोध का समाधान ढूँढने के प्रयास असफल हो गए थे। (2017)
  1.  विवेचना कीजिए कि गांधी के सत्याग्रहों ने किस प्रकार भारतीयों के बिच भय के दौर को समाप्त किया था तथा इस प्रकार साम्राज्यवाद के एक महत्वपूर्ण खम्बे को उखाड़ फेंका था। (2017)
  1.  “श्री नारायण गुरु का सामाजिक सुधार आन्दोलन में, उपाश्रित (सबलटर्न) परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से, एक प्रधान मध्यक्षेप था।” (2017)
  1. क्या आप असहयोग आन्दोलन के स्थगन को एक “राष्ट्रीय विपत्ति ” मानते हैं ? (2018)
  1. “क्रिप्स मिशन निरन्तर मुसीबतों से ग्रस्त रहा, तथा अन्ततः विफल हो गया।” (2019)
  1. भारत छोड़ो आन्दोलन को एक ‘स्वतःस्फूर्त क्रान्ति’ के रूप में क्यों चरित्रांकित किया गया? क्या इसने भारतीय स्वतंत्रता की प्रक्रिया को तीव्रता प्रदान की? (2019)
  1. “20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में अनेकों स्त्री संगठन अस्तित्व में आए जिन्होंने जन क्षेत्र में बहुत सक्रियता से कार्य किया तथा अपना ध्यान अधिक प्रत्यक्षता से स्त्रियों के राजनीतिक तथा कानूनी अधिकारों पर केंद्रित किया।” (2020)
  1. क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि असहयोग आन्दोलन की परोक्ष असफलता तथा राष्ट्रवादी परिदृश्य पर छायी उदासी ने क्रान्तिकारी गतिविधियों के लिए परिस्थितियों का निर्माण किया? विवेचना कीजिए। (2020)
  1. “भारतीय राजनीति के विभाजित तथा विवादास्पद क्षेत्र में गाँधीजी अपने लिए एक मध्यवर्ती स्थिति का दावा कर सके क्योंकि उन्होंने किसी को अलग नहीं किया बल्कि युक्तिपूर्वक नरमपंथियों के लक्ष्य को गरमपंथियों के साधनों से जोड़ दिया । ” विवेचना कीजिए। (2020)
  1. जिन गांधीजी ने चौरी-चौरा में हिंसा के मुद्दे पर असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया था, उन्हीं ने भारत छोड़ो आँडिलन के दौरान लोगों द्वारा की गई हिंसा की भर्त्सना करने से इनकार कर दिया था। क्या आपको लगता है कि गांधीजी अहिंसा के प्रभावशाली होने के विश्वास को खो रहे थे तथा इसके पथ से अलग होने की सोच रहे थे? विशद व्याख्या कीजिए। (2021)

Similar Posts

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments