परीक्षा का नाम (Exam Name): UPPSC/UPPCS – 2014
विषय (Subject) : सामान्य हिंदी (General Hindi)
माध्यम (Medium): Hindi
नोटः
- सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न के अंक के अंत में अंकित हैं।
- पत्र, प्रार्थना-पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य का नाम, पता एवं अनुक्रमांक न लिखें। आवश्यक होने पर क, ख, ग लिख सकते हैं।
- मत या सम्प्रदाय के अर्थ में धर्म शब्द का प्रयोग करना हमने अधिकतर विदेशियों से सीखा है जब विदेशी भाषाओं के ‘मजहब’, ‘रिलीजन’ शब्द यहाँ प्रचलित हुए, तब भूल से या स्पर्धा सुंठहम उनके स्थान में ‘धर्म’ शब्द का प्रयोग करने लगे परंतु हमारे प्राचीन ग्रंथों में, जो विदेशियों के आने पूर्व रचे गये थे, कहीं पर भी धर्म शब्द मत, विश्वास या सम्प्रदाय के अर्थ में प्रयुक्त नहीं हुआ, प्रत्युत् उनमें सर्वत्र स्वभाव और कर्त्तव्य इन दो ही अर्थों में इसका प्रयोग पाया जाता है। प्रत्येक पदार्थ में जो उसकी सत्ता है, जिसको स्वभाव कहते हैं, वही उसका धर्म है। जैसे वृक्ष का धर्म ‘जड़ता और पशु का धर्म पशुता कहलाती है, ऐसे ही मनुष्य का धर्म ‘मनुष्यता’ है। वह मनुष्यता किस वस्तु पर अवलम्बित है ? इसमें किसी का मतभेद नहीं हो सकता कि मनुष्यता का आधार बुद्धि है। बुद्धि की दो शाखाएँ हैं- एक कल्पनाशक्ति, दूसरी विचार शक्ति । कल्पना शक्ति सन्देहात्मक और विचारशक्ति निर्णयात्मक है। बिना संदेह के किसी बात का निर्णय नहीं हो सकता। अतएव अपनी कल्पनाशक्ति से सन्देह उठाकर पुन: विचारशक्ति से उसका निर्णय करने में जो समर्थ है, वही मनुष्य है। संसार में सिवाय असभ्य और वन्य लोगों के और कौन ऐसा मनुष्य होगा, जिसको ऐसे धर्म की आवश्यकता न होगी, जो उसे मनुष्य बनाता है।
(क) उपर्युक्त गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए ।
(ख) उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर धर्म शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
(ग) उपर्युक्त गद्यांश के रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए - श्रद्धा एक सामाजिक भाव है, इससे अपनी श्रद्धा के बदले में हम श्रद्धेय से अपने लिए कोई बात नहीं चाहते। श्रद्धा धारण करते हुए अपने को जी समाज में समझते हैं जिसके किसी अंश पर चाहे हम व्यष्टि रूप में उनके अन्तर्गत न भी हों-जान बूझकर उसने कोई शुभ प्रभाव डाला। श्रद्धा स्वयं ऐसे कामों के प्रतिकार में होती है, जिसका शुभ प्रभाव अकेले हम पर नहीं, बल्कि सारे मनुष्य समाज पर पड़ सकता है। श्रद्धा एक ऐसी आनन्दपूर्ण कृतज्ञता है, जिसे हम केवल समाज के प्रतिनिधि रूप में प्रकट करते हैं। सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध या घृणा प्रकट करने के लिए समाज ने प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिनिधित्व प्रदान कर रखा है। यह काम उसने इतना भारी समझा है कि उसका भार सारे मनुष्यों को बाँट दिया है। दो-चार मानवीय लोगों के ही सर पर नहीं छोड़ रखा है जिस समाज में सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध प्रकट करने के लिए जितने ही अधिक लोग तत्पर पाये जायेंगे, उतना ही वह समाज जाग्रत समझा जायेगा ।
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ।
(ख) श्रद्धा किसे कहते हैं ?
(ग) उपर्युक्त अवतरण का संक्षेपण लिखिए। - (क) परिपत्र का स्वरूप स्पष्ट करते हुए इसका एक उदाहरण दीजिए।
(ख) अधिसूचना किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए - (क) (i) निम्नांकित शब्दों से उपसर्गों को अलग कीजिए:
अनुकृति, उपद्रद, निरभिमान, अधखिला, कमजोर ।
(ख ) निम्नलिखित शब्दों से प्रत्ययों को अलग कीजिए :
चितेरा, अच्छाई, नैतिक, मझला, उड़ान । - (क) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:
अभिज्ञ, आवृत्त, उपचय उदयाचल, ग्राह्ये, जाग्रत, नैसर्गिक, पुष्ट, भ्रान्त, व्यष्टि - निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक-एक शब्द लिखिए :
(i) जो पहले कभी नहीं सुना गया।
(ii) जो स्मरण करने योग्य है।
(iii) जो मुश्किल से प्राप्त हो ।
(iv) जो इन्द्रियों के ज्ञान के परे हैं।
(v) जिसकी बाहें अधिक लम्बी हों। - निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए:
(i) जीवन और साहित्य का घोर सम्बन्ध है।
(ii) उसके ऊपर उचित न्याय किया जायेगा ।
(iii) इतने में हल्की-सा हवा का झोंका आया।
(iv) इस बात का स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता है।
(v) उन्हें चार घोड़े और एक बैल का दाम मिला । - निम्नलिखित मुहावरों एवं लोकोक्तियों का अर्थ वाक्य में प्रयोग कीजिए:
(i) आँखों का तारा होना
(ii) बाल की खाल निकालना
(iii) आसमान पर दिये जलाना ।
(iv) वेद वाक्य मानना
(vi) आये थे हरिभजन को ओटने लगे कपास
(vii) गुरु कीजै जान, पानी पीजै छान,
(viii) छप्पर पर फूस नहीं, ड्योढ़ी पर नाच
(ix) खोदा पहाड़, निकली चुहिया
(x) गये थे रोजा छुड़ाने, गले नमाज पड़ी